| शब्द का अर्थ | 
					
				| नृत्य					 : | पुं० [सं०√नृत्+क्यप्] ताल, लय आदि के अनुसार मन-बहलाव के लिए शरीर के अंगों का किया जानेवाला संचालन। विशेष दे० ‘नाच’। | 
			
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				| नृत्यकी					 : | स्त्री०=नर्त्तकी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| नृत्य-गीत					 : | पुं० [सं०] धार्मिक, सामाजिक आदि अवसरों पर होनेवाला ऐसा नृत्य जिसमें नर्त्तक साथ ही साथ गाते भी हैं। जैसे–गुजरात का गरबा प्रसिद्ध नृत्य गीत है। | 
			
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				| नृत्य-नाटक					 : | पुं० [सं०] ऐसा अभिनय या नाट्य जिसमें नृत्यों की अधिकता हो। | 
			
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				| नृत्य-प्रिय					 : | पुं० [ब० स०] १. महादेव। २. कार्तिकेय का एक अनुचर। | 
			
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				| नृत्यशाला					 : | स्त्री० [ष० त०] नाचघर। | 
			
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