| शब्द का अर्थ | 
					
				| नोच					 : | स्त्री० [हिं० नोचना] १. नोचने की क्रिया या भाव। २. झपटकर जबरदस्ती छीन लेने या छीनकर भागने की क्रिया या भाव। पद-नोच-खसोट (देखें)। | 
			
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				| नोच-खसोट					 : | स्त्री० [हिं० नोचना+अनु० खसोटना] १. दो जीवों का परस्पर लड़ते समय अपने-अपने दाँतों नाखूनों आदि से दूसरे के अंगों में से बाल,मांस आदि नोचना। २. दे० ‘छीना-झपटी’। | 
			
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				| नोचना					 : | स० [सं० लुंचन] १. किसी जमी या लगी हुई वस्तु को निर्दयता पूर्वक झटके से खींचकर अलग करना। जैसे पेड़ के पत्ते या सिर के बाल नोचना। संयो० क्रि०—डालना।–देना।–लेना। २. नाखून, दाँत पंजे आदि से पकड़कर झटके से कुछ अंश निकालना—जैसे गीदड़ ने बच्चे को जगह-जगह से नोच डाला था। ३. किसी के हाथ में पकड़ी हुई वस्तु बलात् उससे छीनने का प्रयत्न करना। संयो० क्रि०—लेना। ४. किसी को किसी काम या बात के लिए इस प्रकार बार-बार तंग या परेशान करना कि ऐसा जान पड़े कि उसका अंग नोचा जा रहा है। जैसे—(क) नालायक लड़के रुपए-पैसे के लिए माँ-बाप को नोचते रहते हैं। (ख) दिवालिए को तगादा करने वाले नोचते हैं। पुं० वह छोटी चिमटी जिससे शरीर के फालतू बाल आदि खींचकर उखाड़े जाते हैं। मोचना। | 
			
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				| नोचा-नोची					 : | स्त्री०=नोच-खसोट।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| नोचू					 : | वि० [हिं० नोचना] १. नोचनेवाला। २. छीना-झपटी करनेवाला। ३. किसी काम या बात के लिए बार-बार बहुत तंग करनेवाला। | 
			
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