| शब्द का अर्थ | 
					
				| पंकज					 : | वि० [सं० पंक√जन् (पैदा होना।+ड] कीचड़ में उत्पन्न। होनावाला। पुं० कमल। | 
			
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				| पंकज-नाभ					 : | पुं० [ब० स०] विष्णु। | 
			
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				| पंकज-योनि					 : | पुं० [ब० स०] ब्रह्मा। | 
			
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				| पंकज-राग					 : | पुं० [ब० स०] पद्मराग-मणि। | 
			
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				| पंकज-वाटिका					 : | स्त्री० [सं०] तेरह अक्षरों का एक वर्ण-वृत्त, जिसके प्रत्येक चरण में क्रमश | 
			
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				| पंकजासन					 : | पुं० [पंकज-आसन, ब० स०] ब्रह्मा। | 
			
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				| पंकजित्					 : | पुं० [सं० पंक√झि (जीतना)+क्विप्] गरुड़ के एक पुत्र का नाम। | 
			
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				| पंकजिनी					 : | स्त्री० [सं० पंकज+इनि—ङीप्] १. कमल के पौधों और फूलों से भरा हुआ जलाशय। कमलाकर। २. कमलिनी। | 
			
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