| 
		
			| शब्द का अर्थ |  
				| पंगु-गति					 : | स्त्री० [कर्म० स०] वार्णिक छंदों का एक दोष जो उस समय माना जाता है, जब किसी छंद में लघु के स्थान पर गुरु अथवा गुरु के स्थान आ जाता है। जैसे—‘फूटि गये श्रुति ज्ञान के केशव आँखि अनेक विवेक की फूटी।’ में ‘के’ और ‘की’ को लघु होना चाहिए। |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |  |