| शब्द का अर्थ | 
					
				| पटु					 : | वि० [सं०√पट्+उन्] [भाव० पटुता] १. किसी काम या बात में कुशल अथवा दक्ष। निपुण। प्रवीण। २. चतुर। चालाक। ३. धूर्त्त। मक्कार। ४. कठोर हृदयवाला। निष्ठुर। ५. नीरोग। स्वस्थ। ६. तीक्ष्ण। तेज। ७. उग्र। प्रचंड। ८. जो स्पष्ट रूप से सामने आया हुआ हो। प्रकाशित। व्यक्त। ९. मनोहर। सुन्दर। १॰. कर्कश (स्वर) ११. विकसित। पुं० १. नमक। २. पांशु लवण। पाँगा नमक। ३. चीनी कपूर। ४. नक-छिकनी। ५. परवल। (लता और फल) ६. करेला। ७. चिरमिटा नामक लता। ८. जीरा। ९. बच। | 
			
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				| पटुआ					 : | पुं० [सं० पाट] १. पाट या सन का पौधा। जूट। पटसन। २. करेमू। ३. वह डंडा जिसके सिरे पर गून या डोरी बँधी रहती है और जिसे पकड़कर मल्लाह लोग नाव खींचते हैं। पुं० [?] तोता। (पक्षी)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पटुक					 : | पुं० [सं० पटु+कन्] परवल। पुं० [सं० पट] कपड़ा। वस्त्र। | 
			
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				| पटुका					 : | पुं०=पटका। | 
			
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				| पटुता					 : | स्त्री० [सं० पटु+तल्—टाप्] पटु होने की अवस्था या भाव। प्रवीणता। निपुणता। होशियारी। | 
			
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				| पटु-तूलक					 : | पुं०=पटुतृणक। | 
			
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				| पटु-तृणक					 : | पुं० [सं० पटु-तृण,मध्य० स०,+कन्] लवणतृण (घास)। | 
			
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				| पटु-त्रय					 : | पुं० [सं० ष० त०] काला,बिड़ और सेंधा इन तीनों प्रकार के लवणों का समाहार। | 
			
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				| पटुत्व					 : | पुं० [सं० पटु+त्व] पटुता। | 
			
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				| पटु-पत्रिका					 : | स्त्री० [सं० पटु-पत्र,ब० स०, कप्—टाप्,इत्व] चेंच नामक साग। | 
			
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				| पटु-पर्णिका					 : | स्त्री० [सं० पटु-पर्ण,ब० स०+कप्—टाप्,इत्व] मकोय। | 
			
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				| पटु-पर्णी					 : | स्त्री० [सं० ब० स०, ङीष्] मकोय। | 
			
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				| पटु-रूप					 : | वि० [सं० पटु+रूपप्] जो किसी काम में बहुत अधिक पटु हो। | 
			
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				| पटुली					 : | स्त्री० [सं० पट्ट] १. काठ की वह पटरी जो झूले के रस्सों पर रक्खी जाती है। पाटा। २. चौकी। ३. छकड़े या बैल-गाड़ी के बगल में जड़ी हुई लंबी पटरी। | 
			
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				| पटुवा					 : | पुं० १.=पटुआ। २.=पटवा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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