| शब्द का अर्थ | 
					
				| पती					 : | पुं०=पति।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पतीआ					 : | स्त्री०=प्रतिज्ञा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पतीजना					 : | अ० [हिं० प्रतीत+ना (प्रत्य०)] प्रतीति या एतबार करना। भरोसा या विश्वास करना। उदा०—इहौ राहु भा भानहिं, राधौं मनहिं पतीजु।—जायसी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पतीणना					 : | स०=पतीतना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पतीतना					 : | स०=पतीजना (विश्वास करना)। | 
			
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				| पतीना					 : | स०=पतीतना (विश्वास करना)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पतीर					 : | स्त्री० [सं० पंक्ति] कतार। पंक्ति। वि०=पतला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पतीरी					 : | स्त्री० [हिं० पात=पत्ता] एक प्रकार की चटाई। | 
			
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				| पतील					 : | वि०=पतला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पतीला					 : | पुं० [सं० पतिली] [स्त्री० अल्पा० पतीली] ताँबे, पीतल आदि का ऊँचे तथा खड़े किनारेवाला और गोल घेरेवाला एक प्रसिद्ध बरतन। वि०=पतील (पतला)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पतीली					 : | स्त्री० हिं० पतीला का स्त्री० अल्पा० रूप। | 
			
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