| शब्द का अर्थ | 
					
				| पथर					 : | पुं० [हिं० पत्थर] ‘पत्थर’ का वह संक्षिप्त रूप जो उसे समस्त पदों के आरंभ में लगने से प्राप्त होता है। जैसे—पथरकला, पथरचटा। | 
			
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				| पथर-कला					 : | स्त्री० [?] पुरानी चाल की एक तरह की बंदूक जिसमें लगे हुए चकमक पत्थर की सहायता से रगड़ उत्पन्न कर उसमें का बारूद जलाया जाता था। | 
			
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				| पथर-चटा					 : | पुं० [?] पखान भेद-नाम की वनस्पति। | 
			
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				| पथरना					 : | स० [हिं० पत्थर+ना (प्रत्य०)] औजारों को पत्थर पर रगड़कर तेज करना। अ० पत्थर की तरह कठोर तथा ठोस होना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पथराना					 : | अ० [हिं० पत्थर+आना (प्रत्य०)] १. सूखकर पत्थर की तरह कड़ा हो जाना। पत्थर की तरह कठोर तथा ठोस होना। २. सूखकर निष्प्रभ या शुष्क हो जाना। ३. पत्थर की तरह स्तब्ध और स्थिर हो जाना। जैसे—आँखें पथराना। स० १. ऐसी क्रिया करना जिससे कोई चीज पत्थर की तरह कठोर, जड़ या नीरस हो जाय। २. किसी को आघात पहुँचाने के लिए उस पर पत्थर के टुकड़े आदि फेंकना। | 
			
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				| पथराव					 : | पुं० [हिं० पथराव=पत्थर की तरह होना] पत्थर की तरह कठोर और स्तब्ध होने की क्रिया, दशा या भाव। जैसे—आँखों का पथराव। पुं० [हिं० पथराना=पत्थरों से मारना] किसी पर बार-बार पत्थर के टुकड़े फेंकते रहने की क्रिया। जैसे—वह उसकी कामनाओं के शीशमहल पर इसी प्रकार पथराव करती रही। | 
			
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				| पथरी					 : | स्त्री० [हिं० पत्थर+ई (प्रत्य०)] १. पत्थर का बना हुआ कटोरी या कटोरे के आकार का पात्र। २. पत्थर का वह टुकड़ा जिस पर रगड़कर छुरे आदि की धार तेज करते है। सिल्ली। ३. कुरंड पत्थर जिसके चूर्ण को लाख आदि में मिलाकर औजार तेज करने की सान बनाते हैं। ४. चकमक पत्थर। ५. एक प्रकार का रोग जिसमे मूत्राशय में पत्थर के टुकड़ों के समान कोई चीज उत्पन्न की जाती है, जिसके फलस्वरूप पेशाब रुक-रुककर और बहुत कष्ट से होता है और कभी-कभी बन्द भी हो जाता है। ६. पक्षियों के पेट का वह पिछला भाग जिसमें अनाज आदि के बहुत कड़े दाने जाकर पचते हैं। ७. एक प्रकार की मछली। ८. जायफल की जाति का एक वृक्ष जो कोंकण आदि के जंगलों में होता है। | 
			
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				| पथरीला					 : | वि० [हिं० पत्थर+ईला (प्रत्य०)] [स्त्री० पथरीली] १. जिस जमीन में पत्थर के कण मिले हों। २. जिसमें पत्थर हों, अथवा जो पत्थर या पत्थरों से बना हो। जैसे—पथरीला रास्ता। ३. पत्थर के समान कठोर, ठोस अथवा शुष्क। | 
			
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				| पथरौटा					 : | पुं० [हिं० पत्थर+औटा (प्रत्य०)] [स्त्री० अल्पा० पथरौटी] पत्थर का बना हुआ कटोरे की तरह का एक प्रकार का बड़ा पात्र। बड़ी पथरी। | 
			
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				| पथरौड़ा					 : | पुं० [हिं० पाथना] वह स्थान जहाँ पर गोबर (अथवा कंडे) पाथे जाते हों। | 
			
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