| शब्द का अर्थ | 
					
				| पया					 : | पुं० [देश०] दस सेर अनाज की तौल का एक बरतन। उदा०—अपने यहाँ पया से तौल नहीं की जाती।—वृन्दावन लाल वर्मा। | 
			
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				| पयाण					 : | पुं०=प्रयाण।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पयादा					 : | वि०, पुं०=प्यादा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पयान					 : | पुं० [सं० प्रयाण] कही जाने या पहुँचने के लिए यात्रा आरम्भ करना। प्रस्थान। रवानगी। | 
			
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				| पयाम					 : | पुं० [फा०] सन्देश। संदेसा। | 
			
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				| पयामबर					 : | पुं० [फा०] सन्देश ले जानेवाला व्यक्ति। सन्देशवाहक। | 
			
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				| पयार					 : | पुं०=पयाल। | 
			
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				| पयाल					 : | पुं० [सं० पलाल] १. धान, कोदों आदि के सूखे हुए ऐसे डंठल जिनमें से दाने झाड़ लिये गये हों। पुराल। पुआल। पियरा। मुहा०—पयाल गाहना या झाड़ना=(क) ऐसा श्रम करना जिसका कुछ फल न हो। व्यर्थ मेहनत करना। उदा०—फिर फिर कहा पयारहि गाहे।—सूर। (ख) ऐसे व्यक्ति की सेवा करना जिससे कुछ लाभ न हो सकता हो। २. एक तरह का वृक्ष जिसके फल खट-मीठे होते हैं। ३. उक्त वृक्ष का फल। पुं० [सं० प्रियाल] चिरौंजी का पेड़। वि०=प्यारा। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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