| शब्द का अर्थ | 
					
				| परिबोध					 : | पुं० [सं० प्रा० स०] १. ज्ञान। २. तर्क। ३. वे प्रतिबंध या विघ्न जो दुर्बल चित्तवाले साधकों को समाधिस्थ नहीं होने देते। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| परिबोधन					 : | पुं० [सं० परि√बुद्ध+णिच्+ल्युट्—अन] [वि० परिबोधनीय] १. ठीक प्रकार से बोध करना। २. दंड की धमकी देकर कोई विशेष कार्य करने से रोकना। चेतावनी देना। ३. चेतावनी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| परिबोधना					 : | स्त्री० [सं० परि√बुध्+णिच्+युच्—अन, टाप्] चेतावनी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| परिबोध					 : | पुं० [सं० प्रा० स०] १. ज्ञान। २. तर्क। ३. वे प्रतिबंध या विघ्न जो दुर्बल चित्तवाले साधकों को समाधिस्थ नहीं होने देते। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| परिबोधन					 : | पुं० [सं० परि√बुद्ध+णिच्+ल्युट्—अन] [वि० परिबोधनीय] १. ठीक प्रकार से बोध करना। २. दंड की धमकी देकर कोई विशेष कार्य करने से रोकना। चेतावनी देना। ३. चेतावनी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| परिबोधना					 : | स्त्री० [सं० परि√बुध्+णिच्+युच्—अन, टाप्] चेतावनी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |