| शब्द का अर्थ | 
					
				| परिभाव					 : | पुं० [सं० परि√भू+घञ्] १. अनादर। अपमान। परिभव। २. मात करना। हराना। पराभव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| परिभावन					 : | पुं० [सं० परि√भू+णिच्+ल्युट्—अन] [भू० कृ० परिभावित] १. मिलाप। संयोग। मिलन। २. चिंता। फिक्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| परिभावना					 : | स्त्री० [सं० परि√भू+णिच्+युच्—अन+टाप्] १. चिन्तन। विचार। २. चिंता। फिक्र। ३. साहित्य में ऐसा वाक्य या पद जिससे अतिशय उत्सुकता उत्पन्न हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| परिभावित					 : | भू० कृ० [सं० परि√भू+णिच्+क्त] १. मिला या मिलाया हुआ। मिश्रित। २. व्याप्त। ३. जिस पर विचार किया जा चुका हो। विचारित। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| परिभावी (विन्)					 : | वि० [सं० परि√भू+णिच्+णिनि] अनादर, अपमान या तिरस्कार करनेवाला। | 
			
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				| परिभावुक					 : | वि०=परिभावी। | 
			
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				| परिभाव					 : | पुं० [सं० परि√भू+घञ्] १. अनादर। अपमान। परिभव। २. मात करना। हराना। पराभव। | 
			
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				| परिभावन					 : | पुं० [सं० परि√भू+णिच्+ल्युट्—अन] [भू० कृ० परिभावित] १. मिलाप। संयोग। मिलन। २. चिंता। फिक्र। | 
			
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				| परिभावना					 : | स्त्री० [सं० परि√भू+णिच्+युच्—अन+टाप्] १. चिन्तन। विचार। २. चिंता। फिक्र। ३. साहित्य में ऐसा वाक्य या पद जिससे अतिशय उत्सुकता उत्पन्न हो। | 
			
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				| परिभावित					 : | भू० कृ० [सं० परि√भू+णिच्+क्त] १. मिला या मिलाया हुआ। मिश्रित। २. व्याप्त। ३. जिस पर विचार किया जा चुका हो। विचारित। | 
			
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				| परिभावी (विन्)					 : | वि० [सं० परि√भू+णिच्+णिनि] अनादर, अपमान या तिरस्कार करनेवाला। | 
			
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				| परिभावुक					 : | वि०=परिभावी। | 
			
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