| शब्द का अर्थ | 
					
				| परिभू					 : | वि० [सं० परि√भू+क्विप्] १. जो चारों ओर से घेरे या आच्छादित किये हुए हो। २. नियम, बंधन आदि में रहनेवाला। ३. नियामक। परिचालक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| परिभूत					 : | भू० कृ० [सं० परि√भू+क्त] [भाव० परिभूति] १. जिसका परिभव हुआ हो। २. अनादृत। तिरस्कृत। ३. हारा हुआ। परास्त। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| परिभूति					 : | स्त्री० [सं० परि+भू+क्तिन्] अपमानित होने या हारने की अवस्था या भाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| परिभूषण					 : | पुं० [सं० परि√भूष् (सजाना)+ल्युट्—अन] [भू० कृ० परिभूषित] १. अच्छी तरह से भूषित करना। अलंकृत करना। २. प्राचीन भारत में, वह संधि जो आक्रमक को अपने देश का राजस्व देकर की जाती थी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| परिभूषित					 : | भू० कृ० [सं० परि√भूष्+क्त] जिसका परिभूषण किया गया हो या हुआ हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| परिभू					 : | वि० [सं० परि√भू+क्विप्] १. जो चारों ओर से घेरे या आच्छादित किये हुए हो। २. नियम, बंधन आदि में रहनेवाला। ३. नियामक। परिचालक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| परिभूत					 : | भू० कृ० [सं० परि√भू+क्त] [भाव० परिभूति] १. जिसका परिभव हुआ हो। २. अनादृत। तिरस्कृत। ३. हारा हुआ। परास्त। | 
			
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				| परिभूति					 : | स्त्री० [सं० परि+भू+क्तिन्] अपमानित होने या हारने की अवस्था या भाव। | 
			
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				| परिभूषण					 : | पुं० [सं० परि√भूष् (सजाना)+ल्युट्—अन] [भू० कृ० परिभूषित] १. अच्छी तरह से भूषित करना। अलंकृत करना। २. प्राचीन भारत में, वह संधि जो आक्रमक को अपने देश का राजस्व देकर की जाती थी। | 
			
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				| परिभूषित					 : | भू० कृ० [सं० परि√भूष्+क्त] जिसका परिभूषण किया गया हो या हुआ हो। | 
			
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