| शब्द का अर्थ | 
					
				| परिष्कृति					 : | स्त्री० [सं० परि√कृ+क्तिन्, सुट्] १. परिष्कृत होने की अवस्था, गुण या भाव। २. परिष्कार। ३. आचार-व्यवहार की वह उन्नत स्थिति जिसमें अशिष्ट, उद्धत, ग्राम्य, पुरुष, रुक्ष आदि बातों का अभाव और कोमल, नागर, विनम्र, शिष्ट तथा स्निग्ध तत्त्वों की अधिकता और प्रबलता होती है। (रिफाइनमेंट) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| परिष्कृत					 : | भू० कृ० [सं० परि√कृ+क्त, सुट्] [भाव० परिष्कृति] १. जिसका परिष्कार किया गया हो। अच्छी तरह ठीक और साफ किया हुआ। २. सवाँरा या सजाया हुआ। अलंकृत। ४. सुधारा हुआ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| परिष्कृति					 : | स्त्री० [सं० परि√कृ+क्तिन्, सुट्] परिष्कृत होने की अवस्था या भाव। परिष्कार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| परिष्कृति					 : | स्त्री० [सं० परि√कृ+क्तिन्, सुट्] १. परिष्कृत होने की अवस्था, गुण या भाव। २. परिष्कार। ३. आचार-व्यवहार की वह उन्नत स्थिति जिसमें अशिष्ट, उद्धत, ग्राम्य, पुरुष, रुक्ष आदि बातों का अभाव और कोमल, नागर, विनम्र, शिष्ट तथा स्निग्ध तत्त्वों की अधिकता और प्रबलता होती है। (रिफाइनमेंट) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| परिष्कृत					 : | भू० कृ० [सं० परि√कृ+क्त, सुट्] [भाव० परिष्कृति] १. जिसका परिष्कार किया गया हो। अच्छी तरह ठीक और साफ किया हुआ। २. सवाँरा या सजाया हुआ। अलंकृत। ४. सुधारा हुआ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| परिष्कृति					 : | स्त्री० [सं० परि√कृ+क्तिन्, सुट्] परिष्कृत होने की अवस्था या भाव। परिष्कार। | 
			
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