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शब्द का अर्थ

परिस्रुत  : वि० [सं० परि√स्रु+क्त] १. जिससे कुछ टपक या चू रहा हो। स्रावयुक्त। २. चुआया या टपकाया हुआ। पुं० फूलों का सुगंधित सार। (वैदिक) स्त्री० मदिरा। शराब।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
परिस्रुत-दधि  : पुं० [सं० कर्म० स०] ऐसा दही जिसे निचोड़कर उसमें का जल निकाल दिया गया हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
परिस्रुता  : स्त्री० [सं० परिस्रुत+टाप्] १. चुआई या टपकाई हुई तरल वस्तु। २. मद्य। शराब। ३. अंगूरी शराब।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
परिस्रुत  : वि० [सं० परि√स्रु+क्त] १. जिससे कुछ टपक या चू रहा हो। स्रावयुक्त। २. चुआया या टपकाया हुआ। पुं० फूलों का सुगंधित सार। (वैदिक) स्त्री० मदिरा। शराब।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
परिस्रुत-दधि  : पुं० [सं० कर्म० स०] ऐसा दही जिसे निचोड़कर उसमें का जल निकाल दिया गया हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
परिस्रुता  : स्त्री० [सं० परिस्रुत+टाप्] १. चुआई या टपकाई हुई तरल वस्तु। २. मद्य। शराब। ३. अंगूरी शराब।
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