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परिहँस  : पुं० [सं० परिहास] १. हँसी-दिल्लगी। परिहास। २. लोक में होनेवाली हँसी। उपहास। उदा०—परहँसि मरसि कि कौनेहु लाजा—जायसी। ३. खेद। दुःख। रंज। (मुख्यतः लोक-निंदा, उपहास आदि के भय से होनेवाला) उदा०—कंठ बचन न बोलि आवै हृदय परिहँस करि, नैन जल भरि रोई दीन्हों, ग्रसति आपद दीन।—सूर।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
परिहँस  : पुं० [सं० परिहास] १. हँसी-दिल्लगी। परिहास। २. लोक में होनेवाली हँसी। उपहास। उदा०—परहँसि मरसि कि कौनेहु लाजा—जायसी। ३. खेद। दुःख। रंज। (मुख्यतः लोक-निंदा, उपहास आदि के भय से होनेवाला) उदा०—कंठ बचन न बोलि आवै हृदय परिहँस करि, नैन जल भरि रोई दीन्हों, ग्रसति आपद दीन।—सूर।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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