| शब्द का अर्थ | 
					
				| परु					 : | पुं० [सं०√पृ+उन्] १. गाँठ। जोड़। २. अवयव। ३. समुद्र। ४. स्वर्ग। ५. पर्वत। पहाड़। अव्य० [हिं० पर] १. बीता हुआ वर्ष। पर साल। २. आनेवाला वर्ष। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| परुआ)					 : | पुं०=पड़वा (भैंस का बच्चा)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) वि० १. (बैल) जो काम करने के समय बैठ जाय या पड़ा रहे। २. काम-चोर। स्त्री० [?] एक तरह की जमीन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| परुई					 : | स्त्री० [देश०] वह नाँद जिसमें भड़भूँजे अनाज के दाने भूँजते हैं। | 
			
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				| परुख					 : | वि० [भाव० परुखता] परुष।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| परुत्					 : | अव्य० [सं० परस्मिन्, नि० सिद्धि] बीता हुआ वर्ष। गत वर्ष। | 
			
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				| परुष					 : | वि० [सं०√पृ+उषन्] [भाव० परुषता] १. (वचन, वस्तु या व्यक्ति) जो गुण, प्रकृति, स्वभाव आदि की दृष्टि से कड़ा, रुक्ष तथा मृदुता-हीन हो। कठोर और कर्कश। २. उग्रतापूर्ण। तीव्र। ३. हृदयहीन। कठोर हृदयवाला। ४. रसहीन। नीरस। ५. खुरदरा। पुं० १. नीली कटसरैया। २. फालसा। ३. तीर। वाण। सरकंडा। सरपत। ५. खर-दूषण का एक सेनापति। ६. अप्रिय और कठोर बात या वचन। | 
			
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				| परुषता					 : | स्त्री० [सं० परुष+तल्+टाप्] १. परुष होने की अवस्था या भाव। २. कठोरता। कड़ापन। सख्ती। ३. (वचन या स्वर की) कर्कशता। ४. निर्दयता। निष्ठुरता। | 
			
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				| परुषत्व					 : | पुं० [सं० परुष+त्वन्]=परुषता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| परुषा					 : | स्त्री० [सं० परुष+टाप्] साहित्य में शब्द-योजना की एक विशिष्ट प्रणाली जिसमें टवर्गीय, द्वित्व, संयुक्त, रेप, श, ष आदि वर्णों तथा लंबे समासों की अधिकता होती है। २. रावी नदी। ३. फालसा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| परुसना					 : | स०=परोसना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| परुष-ग्रह					 : | पुं० [सं० ष० त०] फलित ज्योतिष के अनुसार, मंगल, सूर्य और बृहस्पति, ये तीन ग्रह। | 
			
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				| परु					 : | पुं० [सं०√पृ+उन्] १. गाँठ। जोड़। २. अवयव। ३. समुद्र। ४. स्वर्ग। ५. पर्वत। पहाड़। अव्य० [हिं० पर] १. बीता हुआ वर्ष। पर साल। २. आनेवाला वर्ष। | 
			
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				| परुआ)					 : | पुं०=पड़वा (भैंस का बच्चा)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) वि० १. (बैल) जो काम करने के समय बैठ जाय या पड़ा रहे। २. काम-चोर। स्त्री० [?] एक तरह की जमीन। | 
			
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				| परुई					 : | स्त्री० [देश०] वह नाँद जिसमें भड़भूँजे अनाज के दाने भूँजते हैं। | 
			
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				| परुख					 : | वि० [भाव० परुखता] परुष।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| परुत्					 : | अव्य० [सं० परस्मिन्, नि० सिद्धि] बीता हुआ वर्ष। गत वर्ष। | 
			
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				| परुष					 : | वि० [सं०√पृ+उषन्] [भाव० परुषता] १. (वचन, वस्तु या व्यक्ति) जो गुण, प्रकृति, स्वभाव आदि की दृष्टि से कड़ा, रुक्ष तथा मृदुता-हीन हो। कठोर और कर्कश। २. उग्रतापूर्ण। तीव्र। ३. हृदयहीन। कठोर हृदयवाला। ४. रसहीन। नीरस। ५. खुरदरा। पुं० १. नीली कटसरैया। २. फालसा। ३. तीर। वाण। सरकंडा। सरपत। ५. खर-दूषण का एक सेनापति। ६. अप्रिय और कठोर बात या वचन। | 
			
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				| परुषता					 : | स्त्री० [सं० परुष+तल्+टाप्] १. परुष होने की अवस्था या भाव। २. कठोरता। कड़ापन। सख्ती। ३. (वचन या स्वर की) कर्कशता। ४. निर्दयता। निष्ठुरता। | 
			
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				| परुषत्व					 : | पुं० [सं० परुष+त्वन्]=परुषता। | 
			
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				| परुषा					 : | स्त्री० [सं० परुष+टाप्] साहित्य में शब्द-योजना की एक विशिष्ट प्रणाली जिसमें टवर्गीय, द्वित्व, संयुक्त, रेप, श, ष आदि वर्णों तथा लंबे समासों की अधिकता होती है। २. रावी नदी। ३. फालसा। | 
			
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				| परुसना					 : | स०=परोसना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| परुष-ग्रह					 : | पुं० [सं० ष० त०] फलित ज्योतिष के अनुसार, मंगल, सूर्य और बृहस्पति, ये तीन ग्रह। | 
			
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