| शब्द का अर्थ | 
					
				| पर्ण					 : | पुं० [सं०√पृ+न] १. पेड़ का पत्ता। पत्र। जैसे—पर्ण-कुटी=पत्तों से छाकर बनाई हुई कुटी। २. पान का पत्ता। ताम्बूल। ३. पलाश। ढाक। ४. पुस्तक, पंजी आदि का पृष्ठ। (लीफ) ५. कागज का वह टुकड़ा या परत जिसमें से वैसा ही दूसरा टुकड़ा या परत प्रतिलिपि के रूप में काटकर अलग करते हैं। (फायल) | 
			
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				| पर्णक					 : | पुं० [सं० पर्ण+कन्] पार्णकि गोत्र के प्रवर्तक एक ऋषि। | 
			
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				| पर्णकार					 : | पुं० [सं० पर्ण√कृ (करना)+अण्] १. पान बेचनेवाला व्यक्ति। तमोली। २. पान बेचनेवालों की एक पुरानी जाति। | 
			
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				| पर्ण-कुटी					 : | स्त्री० [मध्य० स०] वह झोपड़ी जिसकी छाजन पत्तों की बनी हो। | 
			
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				| पर्ण-कूर्च					 : | पुं० [ब० स०] एक प्रकार का व्रत जिसमें तीन दिन तक ढाक, गूलर, कमल और बेल के पत्तों का काढ़ा पीया जाता है। | 
			
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				| पर्ण-कृच्छ					 : | पुं० [ब० स०] एक प्रकार का पाँच दिनों का व्रत जिसमें पहले दिन ढाक के पत्तों का, दूसरे दिन गूलर के पत्तों का, तीसरे दिन कमल के पत्तों का, चौथे दिन बेल के पत्तों का पीकर पाँचवें दिन कुश का काढ़ा पीया जाता था। | 
			
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				| पर्ण-खंड					 : | पुं० [ब० स०] वह वृक्ष जिसमें फूल, पत्ते आदि न लगते हों। | 
			
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				| पर्ण-ग्रंथि					 : | स्त्री० [ष० त०] वनस्पति विज्ञान में, पेड़-पौधों के तने या स्तंभ का वह स्थान जहाँ से पत्ते निकलते हैं। (नोड) | 
			
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				| पर्ण-चोरक					 : | पुं० [ष० त०] चोरक नाम का गंध द्रव्य। | 
			
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				| पर्ण-नर					 : | पुं० [मध्य० स०] किसी अज्ञात स्थान में मरनेवाले व्यक्ति का घास-फूस आदि का बनाया हुआ वह पुतला जो उसका शव न मिलने की दशा में उसका शव मानकर जलाया जाता है। | 
			
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				| पर्णभेदिनी					 : | स्त्री० [सं० पर्ण√भिद् (फाड़ना)+णिनि+ ङीप्] प्रियगु लता। | 
			
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				| पर्ण-भोजन					 : | पुं० [ब० स०] १. वह जिसका पत्ता ही भोजन हो। वह जो केवल पत्ते खाकर जीता हो। २. बकरी। | 
			
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				| पर्णभोजनी					 : | स्त्री० [सं० पर्णभोजन+ङीप्] बकरी। | 
			
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				| पर्ण-मणि					 : | स्त्री० [मध्य स०] १. पन्ना या मरकत नामक रत्न। २. एक प्रकार का अस्त्र। | 
			
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				| पर्णमाचल					 : | पुं० [सं० पर्ण-आ√चल्+णिच्+अण्, मुम्] कमरख का पेड़। | 
			
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				| पर्णमुक (च्)					 : | पुं० [सं० पर्ण√मुच् (छोड़ना)+क्विप्] पतझड़। | 
			
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				| पर्ण-मृग					 : | पुं० [मध्य० स०] पेड़ों पर रहनेवाले जंगली जीव-जंतु। जैसे—गिलहरी, बंदर आदि। | 
			
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				| पर्णय					 : | पुं० [सं०] एक असुर जिसे इंद्र ने मारा था। | 
			
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				| पर्णरुह					 : | पुं० [सं० पर्ण√रुह् (जनमना)+क] वसंत (ऋतु)। | 
			
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				| पर्णल					 : | वि० [सं० पर्ण+लच्] १. (वृक्ष) जिसमें बहुत अधिक पत्ते लगे हों। २. पत्तों से बनाया हुआ। पत्तों से युक्त | 
			
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				| पर्ण-लता					 : | स्त्री० [मध्य० स०] पान की बेल या लता। | 
			
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				| पर्णवल्क					 : | पुं० [सं०] एक प्राचीन ऋषि। | 
			
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				| पर्ण-वल्ली					 : | स्त्री० [मध्य० स०] पालाशी नामक लता। | 
			
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				| पर्ण-वाद्य					 : | पुं० [मध्य० स०] १. पत्ते का बना हुआ बाजा। २. उक्त बाजे को बजाने से होनेवाला शब्द। | 
			
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				| पर्ण-वीटिका					 : | स्त्री० [ष० त०] पान का बीड़ा। | 
			
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				| पर्ण-शब्द					 : | स्त्री० [ष० त०] पत्तों के खड़खड़ाने का शब्द। | 
			
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				| पर्ण-शय्या					 : | स्त्री० [मध्य० स०] पत्तों का बिछावन या बिस्तर। | 
			
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				| पर्ण-शवर					 : | पुं० [ब० स०] १. पुराणानुसार एक देश का नाम। २. उक्त देश में रहनेवाली आदिम अनार्य जाति जो संभवतः अब नष्ट हो गई है। | 
			
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				| पर्ण-शाला					 : | स्त्री० [मध्य० स०] पर्णकुटी। | 
			
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				| पर्णशालाग्र					 : | पुं० [पर्णशाला-अग्र, ब० स०] पुराणानुसार भद्राश्व वर्ष का एक पर्वत। | 
			
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				| पर्ण-संपुट					 : | पुं० [ष० त०] पत्ते या पत्तों का बना हुआ दोना। | 
			
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				| पर्ण-संस्तर					 : | वि० [ब० स०] पर्णशय्या पर सोनेवाला। | 
			
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				| पर्णसि					 : | पुं० [सं०√पृ+असि, नुक्] १. कमल। २. साग। ३. पानी में बनाया हुआ घर या मकान। | 
			
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				| पर्णांग					 : | पुं० [पर्ण-अंग, ब० स०] एक विशिष्ट प्रकार के पौधों का वर्ग जिसमें केवल बड़े-बड़े सुंदर पत्ते होते हैं, फूल नहीं लगते। (फर्न) | 
			
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				| पर्णाटक					 : | पुं० [सं०] एक प्राचीन ऋषि। | 
			
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				| पर्णाद					 : | पुं० [सं० पर्ण√अद् (खाना)+अण्] १. वह जो पत्तों का भक्षण करता हो। २. एक प्राचीन ऋषि। | 
			
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				| पर्णाशन					 : | पुं० [सं० पर्ण+अश् (खाना)+ल्यु—अन] १. वह जो केवल पत्ते खाकर रहता हो। २. बादल। मेघ। | 
			
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				| पर्णास					 : | पुं० [सं० पर्ण√अस् (फेंकना)+अच्] तुलसी। | 
			
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				| पर्णाहार					 : | पुं०=पर्णाशन। (दे०) | 
			
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				| पर्णिक					 : | पुं० [सं० पर्ण+ठन—इक] पत्तों का व्यवसाय करनेवाला। पत्ते बेचनेवाला। | 
			
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				| पर्णिका					 : | स्त्री० [सं० पर्णिक+टाप्] १. मानकंद। शालपंजी। सरिवन। २. पिठवन्। पृष्णिपर्णी। ३. अग्निमंथ। अरणी। ४. कागज का वह छोटा कटा या काटा हुआ टुकड़ा जो कहीं दिखलाने पर कुछ निश्चित धन या पदार्थ मिलता है, कोई काम होता है अथवा कोई सहायता या सेवा प्राप्त होती है। (कूपन) | 
			
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				| पर्णिनी					 : | स्त्री० [सं० पर्ण+इनि—ङीप्] १. माषपर्णी। २. एक अप्सरा। | 
			
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				| पर्णिल					 : | वि० [सं० पर्ण+इलच] पत्तों से युक्त। | 
			
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				| पर्णी (णिनि)					 : | पुं० [सं० पर्ण+इनि] १. वृक्ष। पेड़। २. शालपर्णी। सरिवन। ३. पिठवन। ४. तेजपत्ता। ५. एक प्रकार की अप्सराएँ, कदाचित् परियाँ। | 
			
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				| पर्णीर					 : | पुं० [सं० पर्ण+ईरच्] सुगंधवाला। | 
			
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				| पर्णोटज					 : | पुं० [सं० पर्ण-उटज, मध्य० स०] पर्ण-कुटी। | 
			
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				| पर्ण					 : | पुं० [सं०√पृ+न] १. पेड़ का पत्ता। पत्र। जैसे—पर्ण-कुटी=पत्तों से छाकर बनाई हुई कुटी। २. पान का पत्ता। ताम्बूल। ३. पलाश। ढाक। ४. पुस्तक, पंजी आदि का पृष्ठ। (लीफ) ५. कागज का वह टुकड़ा या परत जिसमें से वैसा ही दूसरा टुकड़ा या परत प्रतिलिपि के रूप में काटकर अलग करते हैं। (फायल) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पर्णक					 : | पुं० [सं० पर्ण+कन्] पार्णकि गोत्र के प्रवर्तक एक ऋषि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पर्णकार					 : | पुं० [सं० पर्ण√कृ (करना)+अण्] १. पान बेचनेवाला व्यक्ति। तमोली। २. पान बेचनेवालों की एक पुरानी जाति। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पर्ण-कुटी					 : | स्त्री० [मध्य० स०] वह झोपड़ी जिसकी छाजन पत्तों की बनी हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पर्ण-कूर्च					 : | पुं० [ब० स०] एक प्रकार का व्रत जिसमें तीन दिन तक ढाक, गूलर, कमल और बेल के पत्तों का काढ़ा पीया जाता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पर्ण-कृच्छ					 : | पुं० [ब० स०] एक प्रकार का पाँच दिनों का व्रत जिसमें पहले दिन ढाक के पत्तों का, दूसरे दिन गूलर के पत्तों का, तीसरे दिन कमल के पत्तों का, चौथे दिन बेल के पत्तों का पीकर पाँचवें दिन कुश का काढ़ा पीया जाता था। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पर्ण-खंड					 : | पुं० [ब० स०] वह वृक्ष जिसमें फूल, पत्ते आदि न लगते हों। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पर्ण-ग्रंथि					 : | स्त्री० [ष० त०] वनस्पति विज्ञान में, पेड़-पौधों के तने या स्तंभ का वह स्थान जहाँ से पत्ते निकलते हैं। (नोड) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पर्ण-चोरक					 : | पुं० [ष० त०] चोरक नाम का गंध द्रव्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पर्ण-नर					 : | पुं० [मध्य० स०] किसी अज्ञात स्थान में मरनेवाले व्यक्ति का घास-फूस आदि का बनाया हुआ वह पुतला जो उसका शव न मिलने की दशा में उसका शव मानकर जलाया जाता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पर्णभेदिनी					 : | स्त्री० [सं० पर्ण√भिद् (फाड़ना)+णिनि+ ङीप्] प्रियगु लता। | 
			
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				| पर्ण-भोजन					 : | पुं० [ब० स०] १. वह जिसका पत्ता ही भोजन हो। वह जो केवल पत्ते खाकर जीता हो। २. बकरी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पर्णभोजनी					 : | स्त्री० [सं० पर्णभोजन+ङीप्] बकरी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पर्ण-मणि					 : | स्त्री० [मध्य स०] १. पन्ना या मरकत नामक रत्न। २. एक प्रकार का अस्त्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पर्णमाचल					 : | पुं० [सं० पर्ण-आ√चल्+णिच्+अण्, मुम्] कमरख का पेड़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पर्णमुक (च्)					 : | पुं० [सं० पर्ण√मुच् (छोड़ना)+क्विप्] पतझड़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पर्ण-मृग					 : | पुं० [मध्य० स०] पेड़ों पर रहनेवाले जंगली जीव-जंतु। जैसे—गिलहरी, बंदर आदि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पर्णय					 : | पुं० [सं०] एक असुर जिसे इंद्र ने मारा था। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पर्णरुह					 : | पुं० [सं० पर्ण√रुह् (जनमना)+क] वसंत (ऋतु)। | 
			
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				| पर्णल					 : | वि० [सं० पर्ण+लच्] १. (वृक्ष) जिसमें बहुत अधिक पत्ते लगे हों। २. पत्तों से बनाया हुआ। पत्तों से युक्त | 
			
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				| पर्ण-लता					 : | स्त्री० [मध्य० स०] पान की बेल या लता। | 
			
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				| पर्णवल्क					 : | पुं० [सं०] एक प्राचीन ऋषि। | 
			
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				| पर्ण-वल्ली					 : | स्त्री० [मध्य० स०] पालाशी नामक लता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पर्ण-वाद्य					 : | पुं० [मध्य० स०] १. पत्ते का बना हुआ बाजा। २. उक्त बाजे को बजाने से होनेवाला शब्द। | 
			
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				| पर्ण-वीटिका					 : | स्त्री० [ष० त०] पान का बीड़ा। | 
			
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				| पर्ण-शब्द					 : | स्त्री० [ष० त०] पत्तों के खड़खड़ाने का शब्द। | 
			
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				| पर्ण-शय्या					 : | स्त्री० [मध्य० स०] पत्तों का बिछावन या बिस्तर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पर्ण-शवर					 : | पुं० [ब० स०] १. पुराणानुसार एक देश का नाम। २. उक्त देश में रहनेवाली आदिम अनार्य जाति जो संभवतः अब नष्ट हो गई है। | 
			
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				| पर्ण-शाला					 : | स्त्री० [मध्य० स०] पर्णकुटी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पर्णशालाग्र					 : | पुं० [पर्णशाला-अग्र, ब० स०] पुराणानुसार भद्राश्व वर्ष का एक पर्वत। | 
			
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				| पर्ण-संपुट					 : | पुं० [ष० त०] पत्ते या पत्तों का बना हुआ दोना। | 
			
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				| पर्ण-संस्तर					 : | वि० [ब० स०] पर्णशय्या पर सोनेवाला। | 
			
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				| पर्णसि					 : | पुं० [सं०√पृ+असि, नुक्] १. कमल। २. साग। ३. पानी में बनाया हुआ घर या मकान। | 
			
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				| पर्णांग					 : | पुं० [पर्ण-अंग, ब० स०] एक विशिष्ट प्रकार के पौधों का वर्ग जिसमें केवल बड़े-बड़े सुंदर पत्ते होते हैं, फूल नहीं लगते। (फर्न) | 
			
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				| पर्णाटक					 : | पुं० [सं०] एक प्राचीन ऋषि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पर्णाद					 : | पुं० [सं० पर्ण√अद् (खाना)+अण्] १. वह जो पत्तों का भक्षण करता हो। २. एक प्राचीन ऋषि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पर्णाशन					 : | पुं० [सं० पर्ण+अश् (खाना)+ल्यु—अन] १. वह जो केवल पत्ते खाकर रहता हो। २. बादल। मेघ। | 
			
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				| पर्णास					 : | पुं० [सं० पर्ण√अस् (फेंकना)+अच्] तुलसी। | 
			
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				| पर्णाहार					 : | पुं०=पर्णाशन। (दे०) | 
			
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				| पर्णिक					 : | पुं० [सं० पर्ण+ठन—इक] पत्तों का व्यवसाय करनेवाला। पत्ते बेचनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पर्णिका					 : | स्त्री० [सं० पर्णिक+टाप्] १. मानकंद। शालपंजी। सरिवन। २. पिठवन्। पृष्णिपर्णी। ३. अग्निमंथ। अरणी। ४. कागज का वह छोटा कटा या काटा हुआ टुकड़ा जो कहीं दिखलाने पर कुछ निश्चित धन या पदार्थ मिलता है, कोई काम होता है अथवा कोई सहायता या सेवा प्राप्त होती है। (कूपन) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पर्णिनी					 : | स्त्री० [सं० पर्ण+इनि—ङीप्] १. माषपर्णी। २. एक अप्सरा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पर्णिल					 : | वि० [सं० पर्ण+इलच] पत्तों से युक्त। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पर्णी (णिनि)					 : | पुं० [सं० पर्ण+इनि] १. वृक्ष। पेड़। २. शालपर्णी। सरिवन। ३. पिठवन। ४. तेजपत्ता। ५. एक प्रकार की अप्सराएँ, कदाचित् परियाँ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पर्णीर					 : | पुं० [सं० पर्ण+ईरच्] सुगंधवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पर्णोटज					 : | पुं० [सं० पर्ण-उटज, मध्य० स०] पर्ण-कुटी। | 
			
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