| शब्द का अर्थ | 
					
				| पवित्रा					 : | स्त्री० [सं० पवित्र+टाप्] १. तुलसी। २. हलदी। ३. पीपल। ४. श्रावण के शुक्ल पक्ष की एकादशी। ५. एक प्राचीन नदी। ६. रेशमी धागों से बने हुए मनकों की एक तरह की माला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पवित्रात्मा (त्मन्)					 : | वि० [सं० पवित्र-आत्मन्, ब० स०] जिसकी आत्मा पवित्र हो। शुद्ध तथा स्तुत्य मनकों की एक तरह की माला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पवित्रारोपण					 : | पुं० [सं० पवित्र-आरोपण, ष० त०] १. यज्ञोपवीत धारण करना। २. [ब० स०] श्रावण शुक्ला द्वादशी को भगवान श्रीकृष्ण को सोने, चाँदी, ताँबे या सूत आदि का यज्ञोपवीत पहनाने की एक रीति या उत्सव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पवित्रारोहण					 : | पुं०। पवित्रारोपण। (दे०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पवित्राश					 : | पुं० [सं० पवित्र√अश् (व्याप्ति)+अण्] सन का बना हुआ डोरा, जो प्राचीन भारत में बहुत पवित्र माना जाता था। | 
			
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				| पवित्रा					 : | स्त्री० [सं० पवित्र+टाप्] १. तुलसी। २. हलदी। ३. पीपल। ४. श्रावण के शुक्ल पक्ष की एकादशी। ५. एक प्राचीन नदी। ६. रेशमी धागों से बने हुए मनकों की एक तरह की माला। | 
			
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				| पवित्रात्मा (त्मन्)					 : | वि० [सं० पवित्र-आत्मन्, ब० स०] जिसकी आत्मा पवित्र हो। शुद्ध तथा स्तुत्य मनकों की एक तरह की माला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पवित्रारोपण					 : | पुं० [सं० पवित्र-आरोपण, ष० त०] १. यज्ञोपवीत धारण करना। २. [ब० स०] श्रावण शुक्ला द्वादशी को भगवान श्रीकृष्ण को सोने, चाँदी, ताँबे या सूत आदि का यज्ञोपवीत पहनाने की एक रीति या उत्सव। | 
			
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				| पवित्रारोहण					 : | पुं०। पवित्रारोपण। (दे०) | 
			
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				| पवित्राश					 : | पुं० [सं० पवित्र√अश् (व्याप्ति)+अण्] सन का बना हुआ डोरा, जो प्राचीन भारत में बहुत पवित्र माना जाता था। | 
			
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