| शब्द का अर्थ | 
					
				| पशम					 : | स्त्री० [फा० पश्म] १. ऊन, विशेषतः बढ़िया ऊन जिसके दुशाले, पशमीने आदि बनाये जाते हैं। २. पुरुष या स्त्री की मूत्रेंद्रिय पर के बाल। मुहा०—पशम उखाड़ना=(क) झूठ-मूठ का काम करके व्यर्थ समय नष्ट करना। (व्यंग्य और हास्य) पशम तक न उखाड़ना=(क) कुछ भी काम न हो सकना। (ख) बहुत प्रयत्न करने पर भी कोई कष्ट या हानि न पहुँचा सकना। पशम पर मारना या समझना=बिलकुल तुच्छ या हीन समझना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पशमीना					 : | पुं० [फा० पश्मीनः] १. पशम। २. पशम का बना हुआ बहुत बढ़िया या मुलायम कपड़ा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पशम					 : | स्त्री० [फा० पश्म] १. ऊन, विशेषतः बढ़िया ऊन जिसके दुशाले, पशमीने आदि बनाये जाते हैं। २. पुरुष या स्त्री की मूत्रेंद्रिय पर के बाल। मुहा०—पशम उखाड़ना=(क) झूठ-मूठ का काम करके व्यर्थ समय नष्ट करना। (व्यंग्य और हास्य) पशम तक न उखाड़ना=(क) कुछ भी काम न हो सकना। (ख) बहुत प्रयत्न करने पर भी कोई कष्ट या हानि न पहुँचा सकना। पशम पर मारना या समझना=बिलकुल तुच्छ या हीन समझना। | 
			
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				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पशमीना					 : | पुं० [फा० पश्मीनः] १. पशम। २. पशम का बना हुआ बहुत बढ़िया या मुलायम कपड़ा। | 
			
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