| शब्द का अर्थ | 
					
				| पहि					 : | अव्य० [सं० परं] पर। परंतु। उदा०—पहि किम पूजै पांगुलौ।—प्रिथीराज। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पहिआ					 : | पुं० [हिं० पाह=पथ] १. रास्ता चलनेवाला। पथिक। बटोही। २. अतिथि। अभ्यागत। मेहमान। उदा०—आवत। पहिआ सूधै जाहि।—कबीर। ३. जामाता। दामाद। पुं०=पहिया। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पहिचान					 : | स्त्री०=पहचान। | 
			
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				| पहिचानना					 : | स०=पहचानना। | 
			
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				| पहिती					 : | स्त्री० [सं० प्रहति=सालन] पकाई हुई दाल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पहिनना					 : | स०=पहनना। | 
			
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				| पहिना					 : | स्त्री० [सं० पाठीन] एक प्रकार की मछली। | 
			
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				| पहिनाना					 : | स०=पहनाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पहिनावा					 : | पुं०=पहनावा। | 
			
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				| पहिप					 : | पुं०=पथिक।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पहियाँ					 : | अव्य०=‘पहँ’ (पास)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पहिया					 : | पुं० [सं० पथ्थ, प्रा० पह्य से पहिया] १. गाड़ी, यान आदि का वह नीचेवाला मुख्य आधार जो गोलाकार होता और धुरी पर घूमता है तथा जिसके धुरी पर घूमने पर गाड़ी या यान आगे बढ़ता है। २. यंत्रों आदि में लगा हुआ उक्त प्रकार का गोलाकार चक्कर जिसके घूमने से उस यंत्र का कोई क्रिया सम्पन्न होती है। चक्कर। (ह्वोल) पुं० पहिआ (पथिक)। | 
			
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				| पहिरना					 : | स०=पहनना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पहिराना					 : | स०=पहनाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पहिरावना					 : | स०=पहनाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पहिरावनी					 : | स्त्री०=पहरावनी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पहिल					 : | वि०=पहला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) क्रि० वि०=पहले। स्त्री०=पहल। | 
			
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				| पहिला					 : | वि०=पहला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पहिले					 : | अव्य०=पहले। | 
			
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				| पहिलौठा					 : | वि० [स्त्री० पहिलौठी]=पहलौठा। | 
			
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				| पहि					 : | अव्य० [सं० परं] पर। परंतु। उदा०—पहि किम पूजै पांगुलौ।—प्रिथीराज। | 
			
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				| पहिआ					 : | पुं० [हिं० पाह=पथ] १. रास्ता चलनेवाला। पथिक। बटोही। २. अतिथि। अभ्यागत। मेहमान। उदा०—आवत। पहिआ सूधै जाहि।—कबीर। ३. जामाता। दामाद। पुं०=पहिया। | 
			
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				| पहिचान					 : | स्त्री०=पहचान। | 
			
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				| पहिचानना					 : | स०=पहचानना। | 
			
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				| पहिती					 : | स्त्री० [सं० प्रहति=सालन] पकाई हुई दाल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पहिनना					 : | स०=पहनना। | 
			
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				| पहिना					 : | स्त्री० [सं० पाठीन] एक प्रकार की मछली। | 
			
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				| पहिनाना					 : | स०=पहनाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पहिनावा					 : | पुं०=पहनावा। | 
			
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				| पहिप					 : | पुं०=पथिक।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पहियाँ					 : | अव्य०=‘पहँ’ (पास)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पहिया					 : | पुं० [सं० पथ्थ, प्रा० पह्य से पहिया] १. गाड़ी, यान आदि का वह नीचेवाला मुख्य आधार जो गोलाकार होता और धुरी पर घूमता है तथा जिसके धुरी पर घूमने पर गाड़ी या यान आगे बढ़ता है। २. यंत्रों आदि में लगा हुआ उक्त प्रकार का गोलाकार चक्कर जिसके घूमने से उस यंत्र का कोई क्रिया सम्पन्न होती है। चक्कर। (ह्वोल) पुं० पहिआ (पथिक)। | 
			
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				| पहिरना					 : | स०=पहनना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पहिराना					 : | स०=पहनाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पहिरावना					 : | स०=पहनाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पहिरावनी					 : | स्त्री०=पहरावनी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पहिल					 : | वि०=पहला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) क्रि० वि०=पहले। स्त्री०=पहल। | 
			
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				| पहिला					 : | वि०=पहला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पहिले					 : | अव्य०=पहले। | 
			
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				| पहिलौठा					 : | वि० [स्त्री० पहिलौठी]=पहलौठा। | 
			
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