| शब्द का अर्थ | 
					
				| पाँचर					 : | पुं० [सं० पंजर] कोल्हू के बीच में जड़े हुए लकड़ी के वे छोटे टुकड़ो जो गन्ने के टुकड़ों को दबाने के लिए लगाये जाते हैं। पुं०=पच्चर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पांचरात्र					 : | पुं० [सं० पंचरात्रि+अण्] आधुनिक वैष्णव मत का एक प्राचीन रूप जिससे परम, तत्त्व, मुक्ति, मुक्ति योग और विषय (संसार) इन पाँच रात्रों (ज्ञानों) का निरूपण होता था। यह भागवत धर्म की दो प्रधान शाखाओं में से एक था। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाँचर					 : | पुं० [सं० पंजर] कोल्हू के बीच में जड़े हुए लकड़ी के वे छोटे टुकड़ो जो गन्ने के टुकड़ों को दबाने के लिए लगाये जाते हैं। पुं०=पच्चर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पांचरात्र					 : | पुं० [सं० पंचरात्रि+अण्] आधुनिक वैष्णव मत का एक प्राचीन रूप जिससे परम, तत्त्व, मुक्ति, मुक्ति योग और विषय (संसार) इन पाँच रात्रों (ज्ञानों) का निरूपण होता था। यह भागवत धर्म की दो प्रधान शाखाओं में से एक था। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |