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पाँस  : स्त्री० [सं० पांशु] १. राख, गोबर, मल, मूत्र आदि, सड़ी-गली चीजें जो खेतों को उपजाऊ बनाने के लिए उसमें डाली जाती हैं। खाद। क्रि० प्र०—डालना।—देना। २. कोई चीज सड़ाकर उठाया जानेवाला खमीर। ३. विशेषतः मधु आदि का वह खमीर जो शराब बनाने के लिए उठाया जाता है। क्रि० प्र०—उठाना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पाँसना  : स० [हिं० पाँस+ना (प्रत्य०)] खेत में पाँस या खाद डालना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पाँसा  : पुं०=पासा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पाँसी  : स्त्री० [सं० पाश] घास, भूसा आदि बाधने के लिए रस्सियों की बनी हुई बड़ी जाली। जाला।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पांसु  : स्त्री० [√पंस्+उ, दीर्घ]=पांशु।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पांसु-क्षार  : पुं० [उपमि० स०] पांगा नमक।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पांसु-खुर  : पुं० [ब० स०] घोड़ों के खुरों का एक रोग।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पांसु गुंठित  : वि० [तृ० तृ०] धूल से ढका हुआ।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पांसु-चदन  : पुं० [ब० स०] शिव। महादेव।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पांसु-चत्वर  : पुं० [तृ० त०] ओला।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पांसु-चामर  : पुं० [ब० स०] १. बड़ा खेमा। तंबू। २. नदी का ऐसा किनारा जिस पर दूब जमी हो। ३. धूल। ४. प्रशंसा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पांसुज  : वि० [सं० पांसु√जन्+ड] पाँगा नमक।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पांसु-पत्र  : पुं० [ब० स०] बथुए का साग।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पांसु-भव  : पुं० [ब० स०] पाँगा नमक।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पांसु-भिक्षा  : स्त्री० [सं० पांसु√भिक्ष् (याचना)+अङ्—टाप्] धौ का पेड़।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पांसु-मर्दन  : पुं० [ब० स०] १. थाला। २. क्यारी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पांसुर  : पुं० [सं० पांसु√रा (देना)+क] १. एक प्रकार का बड़ा मच्छड़। दंश। डाँस। २. लूला-लँगड़ा जीव या प्राणी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पांसुरागिणी  : स्त्री० [सं० दे० ‘पांशुरागिनी’] महामेदा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पाँसुरी  : स्त्री०=पसली।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पांसुल  : वि० [सं० पांसु+लच्] १. धूल से लथ-पथ। २. मलिन। मैला। ३. पापी। ४. पर-स्त्रीगामी। पुं० शिव।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पांसुला  : वि० [सं० पांसुल+टाप्] १. व्यभिचारिणी (स्त्री)। २. रजस्वला (स्त्री)। स्त्री० १. पृथ्वी। २. केतकी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पाँसु  : पुं० [हिं० पाँस+ऊ (प्रत्य०)] कुम्हारों का एक उपकरण जिससे वे गीली मिट्टी चलाते और सानते हैं।
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पाँस  : स्त्री० [सं० पांशु] १. राख, गोबर, मल, मूत्र आदि, सड़ी-गली चीजें जो खेतों को उपजाऊ बनाने के लिए उसमें डाली जाती हैं। खाद। क्रि० प्र०—डालना।—देना। २. कोई चीज सड़ाकर उठाया जानेवाला खमीर। ३. विशेषतः मधु आदि का वह खमीर जो शराब बनाने के लिए उठाया जाता है। क्रि० प्र०—उठाना।
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पाँसना  : स० [हिं० पाँस+ना (प्रत्य०)] खेत में पाँस या खाद डालना।
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पाँसा  : पुं०=पासा।
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पाँसी  : स्त्री० [सं० पाश] घास, भूसा आदि बाधने के लिए रस्सियों की बनी हुई बड़ी जाली। जाला।
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पांसु  : स्त्री० [√पंस्+उ, दीर्घ]=पांशु।
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पांसु-क्षार  : पुं० [उपमि० स०] पांगा नमक।
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पांसु-खुर  : पुं० [ब० स०] घोड़ों के खुरों का एक रोग।
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पांसु गुंठित  : वि० [तृ० तृ०] धूल से ढका हुआ।
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पांसु-चदन  : पुं० [ब० स०] शिव। महादेव।
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पांसु-चत्वर  : पुं० [तृ० त०] ओला।
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पांसु-चामर  : पुं० [ब० स०] १. बड़ा खेमा। तंबू। २. नदी का ऐसा किनारा जिस पर दूब जमी हो। ३. धूल। ४. प्रशंसा।
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पांसुज  : वि० [सं० पांसु√जन्+ड] पाँगा नमक।
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पांसु-पत्र  : पुं० [ब० स०] बथुए का साग।
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पांसु-भव  : पुं० [ब० स०] पाँगा नमक।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पांसु-भिक्षा  : स्त्री० [सं० पांसु√भिक्ष् (याचना)+अङ्—टाप्] धौ का पेड़।
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पांसु-मर्दन  : पुं० [ब० स०] १. थाला। २. क्यारी।
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पांसुर  : पुं० [सं० पांसु√रा (देना)+क] १. एक प्रकार का बड़ा मच्छड़। दंश। डाँस। २. लूला-लँगड़ा जीव या प्राणी।
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पांसुरागिणी  : स्त्री० [सं० दे० ‘पांशुरागिनी’] महामेदा।
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पाँसुरी  : स्त्री०=पसली।
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पांसुल  : वि० [सं० पांसु+लच्] १. धूल से लथ-पथ। २. मलिन। मैला। ३. पापी। ४. पर-स्त्रीगामी। पुं० शिव।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पांसुला  : वि० [सं० पांसुल+टाप्] १. व्यभिचारिणी (स्त्री)। २. रजस्वला (स्त्री)। स्त्री० १. पृथ्वी। २. केतकी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पाँसु  : पुं० [हिं० पाँस+ऊ (प्रत्य०)] कुम्हारों का एक उपकरण जिससे वे गीली मिट्टी चलाते और सानते हैं।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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