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			| शब्द का अर्थ |  
				| पांचरात्र					 : | पुं० [सं० पंचरात्रि+अण्] आधुनिक वैष्णव मत का एक प्राचीन रूप जिससे परम, तत्त्व, मुक्ति, मुक्ति योग और विषय (संसार) इन पाँच रात्रों (ज्ञानों) का निरूपण होता था। यह भागवत धर्म की दो प्रधान शाखाओं में से एक था। |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |  
				| पांचरात्र					 : | पुं० [सं० पंचरात्रि+अण्] आधुनिक वैष्णव मत का एक प्राचीन रूप जिससे परम, तत्त्व, मुक्ति, मुक्ति योग और विषय (संसार) इन पाँच रात्रों (ज्ञानों) का निरूपण होता था। यह भागवत धर्म की दो प्रधान शाखाओं में से एक था। |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |  |