| शब्द का अर्थ | 
					
				| पाक					 : | पुं० [सं०√पच् (पकाना)+घञ्] १. भोजन आदि पकाने की क्रिया या भाव। रींधना। २. किसी चीज के ठीक तरह से पके या पचे हुए होने की अवस्था या भाव। ३. पकाया हुआ भोजन। रसोई। ४. वह औषध या फल जो शीरे में पकाया गया हो। जैसे—बदाम पाक, मेवा पाक, सुपारी पाक। ५. खाये हुए पदार्थ के पचने की क्रिया या भाव। पचन। ६. श्राद्ध में पिंडदान के लिए पकाया हुआ चावल या खीर। ७. किसी चीज या बात का अपने पूर्ण रूप में पहुँचना, अथवा उचित और यथेष्ट रूप मे परिपुष्ट तथा परिवृद्ध होना। ८. एक दैत्य जो इंद्र के हाथों मारा गया था। वि० १. छोटा। २. प्रशंसनीय। ३. परिपुष्ट तथा पूर्ण अवस्था में पहुँचा हुआ। ४. ईमानदार। सच्चा । ५. अनजान। वि० [फा०] १. पवित्र। निर्मल। विशुद्ध। जैसे—पाक नजर, पाक मुहब्बत। पद—पाक-साफ=(क) पवित्र और स्वच्छ। (ख) निष्कलंक। २. साफ। स्वच्छ। ३. दोषों आदि से रहित । निर्दोष। ४. धार्मिक दृष्टि से पवित्र, सदाचारी और पूज्य। ५. किसी आवांछित अंश या तत्त्व से रहति। जैसे—यह जायदाद सब तरह के झगड़ों से पाक है। मुहा०—(जानवर) पाक करना=जबह किये हुए पशु या पक्षी के पर, रोएँ आदि काटकर अलग करना। झगड़ा पाक करना=(क) झगड़डा तै करना या निपटाना। (ख) झंझट, बाधा आदि दूर, नष्ट या समाप्त करना। (ग) (विरोधी, वैरी आदि का) अंत या नाश करना। पुं० पाकिस्तान का संक्षिप्त रूप। जैसे—भारत-पाक में समझौता। | 
			
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				| पाक-कर्म					 : | पुं०=पाक-क्रिया। | 
			
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				| पाक-कृष्ण					 : | पुं० [ब० स०] १. जंगली करौंदा। २. पानी आँवला । | 
			
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				| पाक-क्रिया					 : | स्त्री० [ष० त०] १. भोजन आदि पकाने की क्रिया या भाव। २. पाचन क्रिया। | 
			
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				| पाकज					 : | वि० [सं० पाक√जन्+ड] पाक से उत्पन्न। पुं० १. कचिया नमक। २. भोजन के ठीक प्रकार से न पचने पर पेट में होनेवाला शूल। | 
			
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				| पाकजाद					 : | वि० [फा० पाकाजादः] शुद्ध तथा स्वच्छ प्रकृतिवाला। शुद्घात्मा। | 
			
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				| पाकट					 : | पुं०=पाकेट। वि०=पाकठ। वि०=पाकठा। | 
			
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				| पाकठ					 : | वि० [हिं० पकना] १. अच्छी तरह पका हुआ। २. यथेष्ट चुतर या चालाक। दक्ष। होशियार। जैसे—अब यह लड़का दूकानदारी के काम में पाकठ हो गया है। ३. दृढ़। मजबूत। | 
			
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				| पाकड़					 : | पुं० [सं० पर्कटी] बरगद की जाति का एक बड़ा पेड़। पाकढ़। | 
			
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				| पाक-दामन					 : | वि० [फा०] [भाव० पाकदामनी] जिसका चरित्र पवित्र और निष्कलंक हो। (विशेष रूप से स्त्रियों के लिए प्रयुक्त)। | 
			
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				| पाकदामिनी					 : | स्त्री० [फा०] ‘पाकदामन’ होने की अवस्था। (स्त्री का) सदाचार या सच्चरित्रता। | 
			
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				| पाक द्विष					 : | पुं० [सं० पाक√द्विष् (शत्रुता करना)+ क्विप्] इंद्र। | 
			
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				| पाकना					 : | अ०=पकना। स०=पकाना। | 
			
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				| पाकबाज					 : | वि० [फा० पाक+बाज] [भाव० पाकबाजी] सदाचारी। | 
			
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				| पाक-पात्र					 : | पुं० [मध्य० स०] ऐसा बरतन जिसमें भोजन पकाया या बनाया। जाता हो। | 
			
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				| पाक-पुटी					 : | स्त्री० [च० त०] कच्ची मिट्टी के बरतन पकाने का आँवाँ। | 
			
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				| पाक-फल					 : | पुं० [ब० स०] १. करौंदा। २. पानी अमला। | 
			
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				| पाक-भांड					 : | पुं०=पाक-पात्र। (दे०)। | 
			
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				| पाक-यज्ञ					 : | पुं० [मध्य० स०] १. वृषोत्सर्ग, गृह-प्रतिष्ठा आदि के समय किया जानेवाला होम जिसमें खीर की आहुति दी जाती है। २. पंच महायज्ञ में ब्रह्मयज्ञ के अतिरिक्त अन्य चार यज्ञ—वैश्वदेव होम, बलि-कर्म, नित्य श्राद्ध और अतिथि-भोजन। | 
			
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				| पाक-याज्ञिक					 : | वि० [सं० पाक-यज्ञ+ठञ—इक] १. पाकयज्ञ-संबंधी। पाक-यज्ञ का। २. पाक यज्ञ करनेवाला ३. पाक यज्ञ से उत्पन्न। पुं० वह ग्रंथ जिसमें पाक-यज्ञ के विधान आदि बतलाये गये हों। | 
			
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				| पाक-रंजन					 : | पुं० [सं० पाक√रञ्ज्+णिच्+ल्यु—अन] तेजपत्ता। | 
			
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				| पाकर					 : | पुं० [सं० पर्कटी] बरगद की तरह का एक प्रकार का बड़ा वृक्ष। | 
			
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				| पाकरिपु					 : | पुं० [ष० त०] इंद्र। | 
			
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				| पाकरी					 : | स्त्री० [हिं० पाकर का स्त्री० अल्पा० रूप] छीटा पाकर। | 
			
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				| पाकल					 : | पुं० [सं० पाक√ला (लेना)+क] १. वह दवा जिससे कुष्ठ अच्छा होता हो। कुष्ठ रोग की दवा। २. फोड़ा पकानेवाली दवा। ३. अग्नि। आग । ४. एक प्रकार का सन्निपात ज्वर जिसमें पित्त प्रबल, वात मध्य और कफहीन अवस्था में होता है। वैद्यक के अनुसार इसका रोगी प्रायः तीन दिन में मर जाता है। ५. हाथी को आने-वाला ज्वर या बुखार। | 
			
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				| पाकलि, पाकली					 : | स्त्री० [सं०√पा (पीना)+क्विप्√कल् (गिनती करना)+इन्] [सं० पाकलि+डीष्] काकड़ासींगी। कर्कटी। | 
			
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				| पाक-शाला					 : | पुं० [ष० त०] वह स्थान जहाँ भोजन पकाया या बनाया जाता हो। रसोई-घर। | 
			
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				| पाकशासन					 : | पुं० [सं० पाक√शास् (शासन करना)+ ल्यु—अन] इंद्र। | 
			
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				| पाक-शास्त्र					 : | पुं० [ष० त०] वह शास्त्र जिसमें विभिन्न खाद्य पदार्थों या व्यंजन बनाने की कला, प्रकियायों आदि का विवेचन होता है। | 
			
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				| पाक-शुक्ला					 : | स्त्री० [स० त०] खड़िया मिट्टी। | 
			
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				| पाक-स्थली					 : | स्त्री० [ष० त०] पक्वाशय। | 
			
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				| पाकहंता (तृ)					 : | पुं० [ष० त०] इंद्र। | 
			
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				| पाका					 : | पुं० [हिं० पकाना] १. शरीर के विभिन्न अंगों के पकने की क्रिया या भाव । २. फोड़ा। वि०=पक्का। | 
			
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				| पाकागार					 : | पुं० [सं० पाक-आगार, ष० त०] पाकशाला। | 
			
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				| पाकात्यय					 : | पुं० [सं० पाक-अत्यय, ब० स०] आँख का एक रोग जिसमें उसका काला भाग सफेद हो जाता है। पुलती का सफेद हो जाना। | 
			
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				| पाकाभिमुख					 : | वि० [सं० पाक-अभिमुख, स० त०] जो पक रहा हो अथवा पूर्ण रूप से पकने को हो। | 
			
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				| पाकारि					 : | पुं० [पाक-अरि, ष० त०] १. इंद्र। २. सफेद कचनार। | 
			
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				| पाकिट					 : | पुं० १.=पाकेट। २.=पैकेट। वि०=पाकठ। | 
			
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				| पाकिस्तान					 : | पुं० [फा०] भारत का विभाजन करके बनाया हुआ वह मुसलमानी राज्य जिसका कुछ अंश भारत के पश्चिम में और कुछ पूर्व में है। पश्चिमी पाकिस्तानी में सिंध, पश्चिमी पंजाब, पश्चिमोत्तर सीमाप्रांत तथा पूर्वी पाकिस्तान में पूर्वी बंगाल नामक प्रदेश है। | 
			
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				| पाकिस्तानी					 : | वि० [फा०] १. पाकिस्तान देश संबंधी। पाकिस्तानी का। २. पाकिस्तान में होनेवाला। पुं० पाकिस्तान में रहनेवाला व्यक्ति। | 
			
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				| पाकी					 : | स्त्री० [फा०] १. पाक होने की अवस्था या भाव। २. निर्मलता। शुद्धता। ३. पवित्रता। पावनता। मुहा०—पाकी लेना=उपस्थ पर के बाल साफ करना। | 
			
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				| पाकीजा					 : | वि० [फा० पाकीज | 
			
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				| पाकु					 : | वि० [स० √पच्+उण्] १. पकानेवाला। २. [√पच्+उकञ] पचानेवाला। पाचकी। पुं० बावरची। रसोइया। | 
			
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				| पाकेट					 : | पुं० [अं० पाकेट] जेब। खीसा। मुहा०—पाकेट गरम होना=(क) पास में धन होना। (ख) अनुचित या अवैध रूप से किसी प्रकार की प्राप्ति या लाभ होना। पुं०=पैकेट।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं० [?] ऊँट। (डिं०) | 
			
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				| पाक्य					 : | वि० [सं०√पच्+ण्यत्] १. जो पकाया जाने को हो। २. पचने योग्य। पुं० १. काला नमक। २. साँभर नमक। ३. जवाखार। ४. शोरा। | 
			
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				| पाक्य-क्षार					 : | [कर्म० स०] १. जवाखार नमक। २. शोरा। | 
			
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				| पाक्यज					 : | पुं० [सं० पाक्य√जन्+ड] कचिया नमक। | 
			
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				| पाक्या					 : | स्त्री० [सं० पाक्य+टाप्] १. सज्जी। २. शोरा। | 
			
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				| पाक्ष					 : | वि०=पाक्षिक। पुं०=पक्ष।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पाक्षपातिक					 : | वि० [सं० पक्षपात+ठक—इक] १. पक्षपात करनेवाला। फूट डालनेवाला । २. पक्षपात के रूप में होनेवाला। | 
			
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				| पाक्षायण					 : | वि० [सं० पक्ष+फक्—आयन] १. जो पक्ष (१५ दिन) में एक बार हो या किया जाय। पाक्षिक। २. पक्ष (१५ दिन) का। | 
			
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				| पाक्षिक					 : | वि० [सं० पक्ष+ठञ्—इक] १. चांद्र मास के पक्ष से संबंध रखनेवाला। २. जो एक पक्ष (१५ दिन) में एक बार होता हो। जैसे—पाक्षिक अधिवेशन, पाक्षिक पत्र या पत्रिका। (फोर्टनाइटली)। ३. किसी प्रकार का पक्षपात करनेवाला। पक्षपाती । तरफदार। ४. (पिंगल में छंद) जिसमें (पक्ष के रूप में) दो मात्राएँ हों। ५. वैकल्पित। पुं० १. पक्षियों को फँसा या मारकर जीविका चलानेवाला व्यक्ति बहेलिया। २. ब्याध। शिकारी। ३. विकल्प। | 
			
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				| पाक					 : | पुं० [सं०√पच् (पकाना)+घञ्] १. भोजन आदि पकाने की क्रिया या भाव। रींधना। २. किसी चीज के ठीक तरह से पके या पचे हुए होने की अवस्था या भाव। ३. पकाया हुआ भोजन। रसोई। ४. वह औषध या फल जो शीरे में पकाया गया हो। जैसे—बदाम पाक, मेवा पाक, सुपारी पाक। ५. खाये हुए पदार्थ के पचने की क्रिया या भाव। पचन। ६. श्राद्ध में पिंडदान के लिए पकाया हुआ चावल या खीर। ७. किसी चीज या बात का अपने पूर्ण रूप में पहुँचना, अथवा उचित और यथेष्ट रूप मे परिपुष्ट तथा परिवृद्ध होना। ८. एक दैत्य जो इंद्र के हाथों मारा गया था। वि० १. छोटा। २. प्रशंसनीय। ३. परिपुष्ट तथा पूर्ण अवस्था में पहुँचा हुआ। ४. ईमानदार। सच्चा । ५. अनजान। वि० [फा०] १. पवित्र। निर्मल। विशुद्ध। जैसे—पाक नजर, पाक मुहब्बत। पद—पाक-साफ=(क) पवित्र और स्वच्छ। (ख) निष्कलंक। २. साफ। स्वच्छ। ३. दोषों आदि से रहित । निर्दोष। ४. धार्मिक दृष्टि से पवित्र, सदाचारी और पूज्य। ५. किसी आवांछित अंश या तत्त्व से रहति। जैसे—यह जायदाद सब तरह के झगड़ों से पाक है। मुहा०—(जानवर) पाक करना=जबह किये हुए पशु या पक्षी के पर, रोएँ आदि काटकर अलग करना। झगड़ा पाक करना=(क) झगड़डा तै करना या निपटाना। (ख) झंझट, बाधा आदि दूर, नष्ट या समाप्त करना। (ग) (विरोधी, वैरी आदि का) अंत या नाश करना। पुं० पाकिस्तान का संक्षिप्त रूप। जैसे—भारत-पाक में समझौता। | 
			
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				| पाक-कर्म					 : | पुं०=पाक-क्रिया। | 
			
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				| पाक-कृष्ण					 : | पुं० [ब० स०] १. जंगली करौंदा। २. पानी आँवला । | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाक-क्रिया					 : | स्त्री० [ष० त०] १. भोजन आदि पकाने की क्रिया या भाव। २. पाचन क्रिया। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाकज					 : | वि० [सं० पाक√जन्+ड] पाक से उत्पन्न। पुं० १. कचिया नमक। २. भोजन के ठीक प्रकार से न पचने पर पेट में होनेवाला शूल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाकजाद					 : | वि० [फा० पाकाजादः] शुद्ध तथा स्वच्छ प्रकृतिवाला। शुद्घात्मा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाकट					 : | पुं०=पाकेट। वि०=पाकठ। वि०=पाकठा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाकठ					 : | वि० [हिं० पकना] १. अच्छी तरह पका हुआ। २. यथेष्ट चुतर या चालाक। दक्ष। होशियार। जैसे—अब यह लड़का दूकानदारी के काम में पाकठ हो गया है। ३. दृढ़। मजबूत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पाकड़					 : | पुं० [सं० पर्कटी] बरगद की जाति का एक बड़ा पेड़। पाकढ़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पाक-दामन					 : | वि० [फा०] [भाव० पाकदामनी] जिसका चरित्र पवित्र और निष्कलंक हो। (विशेष रूप से स्त्रियों के लिए प्रयुक्त)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाकदामिनी					 : | स्त्री० [फा०] ‘पाकदामन’ होने की अवस्था। (स्त्री का) सदाचार या सच्चरित्रता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पाक द्विष					 : | पुं० [सं० पाक√द्विष् (शत्रुता करना)+ क्विप्] इंद्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाकना					 : | अ०=पकना। स०=पकाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाकबाज					 : | वि० [फा० पाक+बाज] [भाव० पाकबाजी] सदाचारी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाक-पात्र					 : | पुं० [मध्य० स०] ऐसा बरतन जिसमें भोजन पकाया या बनाया। जाता हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाक-पुटी					 : | स्त्री० [च० त०] कच्ची मिट्टी के बरतन पकाने का आँवाँ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाक-फल					 : | पुं० [ब० स०] १. करौंदा। २. पानी अमला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाक-भांड					 : | पुं०=पाक-पात्र। (दे०)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाक-यज्ञ					 : | पुं० [मध्य० स०] १. वृषोत्सर्ग, गृह-प्रतिष्ठा आदि के समय किया जानेवाला होम जिसमें खीर की आहुति दी जाती है। २. पंच महायज्ञ में ब्रह्मयज्ञ के अतिरिक्त अन्य चार यज्ञ—वैश्वदेव होम, बलि-कर्म, नित्य श्राद्ध और अतिथि-भोजन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाक-याज्ञिक					 : | वि० [सं० पाक-यज्ञ+ठञ—इक] १. पाकयज्ञ-संबंधी। पाक-यज्ञ का। २. पाक यज्ञ करनेवाला ३. पाक यज्ञ से उत्पन्न। पुं० वह ग्रंथ जिसमें पाक-यज्ञ के विधान आदि बतलाये गये हों। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाक-रंजन					 : | पुं० [सं० पाक√रञ्ज्+णिच्+ल्यु—अन] तेजपत्ता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाकर					 : | पुं० [सं० पर्कटी] बरगद की तरह का एक प्रकार का बड़ा वृक्ष। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाकरिपु					 : | पुं० [ष० त०] इंद्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाकरी					 : | स्त्री० [हिं० पाकर का स्त्री० अल्पा० रूप] छीटा पाकर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाकल					 : | पुं० [सं० पाक√ला (लेना)+क] १. वह दवा जिससे कुष्ठ अच्छा होता हो। कुष्ठ रोग की दवा। २. फोड़ा पकानेवाली दवा। ३. अग्नि। आग । ४. एक प्रकार का सन्निपात ज्वर जिसमें पित्त प्रबल, वात मध्य और कफहीन अवस्था में होता है। वैद्यक के अनुसार इसका रोगी प्रायः तीन दिन में मर जाता है। ५. हाथी को आने-वाला ज्वर या बुखार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाकलि, पाकली					 : | स्त्री० [सं०√पा (पीना)+क्विप्√कल् (गिनती करना)+इन्] [सं० पाकलि+डीष्] काकड़ासींगी। कर्कटी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाक-शाला					 : | पुं० [ष० त०] वह स्थान जहाँ भोजन पकाया या बनाया जाता हो। रसोई-घर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाकशासन					 : | पुं० [सं० पाक√शास् (शासन करना)+ ल्यु—अन] इंद्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाक-शास्त्र					 : | पुं० [ष० त०] वह शास्त्र जिसमें विभिन्न खाद्य पदार्थों या व्यंजन बनाने की कला, प्रकियायों आदि का विवेचन होता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाक-शुक्ला					 : | स्त्री० [स० त०] खड़िया मिट्टी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाक-स्थली					 : | स्त्री० [ष० त०] पक्वाशय। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाकहंता (तृ)					 : | पुं० [ष० त०] इंद्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाका					 : | पुं० [हिं० पकाना] १. शरीर के विभिन्न अंगों के पकने की क्रिया या भाव । २. फोड़ा। वि०=पक्का। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाकागार					 : | पुं० [सं० पाक-आगार, ष० त०] पाकशाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाकात्यय					 : | पुं० [सं० पाक-अत्यय, ब० स०] आँख का एक रोग जिसमें उसका काला भाग सफेद हो जाता है। पुलती का सफेद हो जाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाकाभिमुख					 : | वि० [सं० पाक-अभिमुख, स० त०] जो पक रहा हो अथवा पूर्ण रूप से पकने को हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाकारि					 : | पुं० [पाक-अरि, ष० त०] १. इंद्र। २. सफेद कचनार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाकिट					 : | पुं० १.=पाकेट। २.=पैकेट। वि०=पाकठ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाकिस्तान					 : | पुं० [फा०] भारत का विभाजन करके बनाया हुआ वह मुसलमानी राज्य जिसका कुछ अंश भारत के पश्चिम में और कुछ पूर्व में है। पश्चिमी पाकिस्तानी में सिंध, पश्चिमी पंजाब, पश्चिमोत्तर सीमाप्रांत तथा पूर्वी पाकिस्तान में पूर्वी बंगाल नामक प्रदेश है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पाकिस्तानी					 : | वि० [फा०] १. पाकिस्तान देश संबंधी। पाकिस्तानी का। २. पाकिस्तान में होनेवाला। पुं० पाकिस्तान में रहनेवाला व्यक्ति। | 
			
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				| पाकी					 : | स्त्री० [फा०] १. पाक होने की अवस्था या भाव। २. निर्मलता। शुद्धता। ३. पवित्रता। पावनता। मुहा०—पाकी लेना=उपस्थ पर के बाल साफ करना। | 
			
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				| पाकीजा					 : | वि० [फा० पाकीज | 
			
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				| पाकु					 : | वि० [स० √पच्+उण्] १. पकानेवाला। २. [√पच्+उकञ] पचानेवाला। पाचकी। पुं० बावरची। रसोइया। | 
			
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				| पाकेट					 : | पुं० [अं० पाकेट] जेब। खीसा। मुहा०—पाकेट गरम होना=(क) पास में धन होना। (ख) अनुचित या अवैध रूप से किसी प्रकार की प्राप्ति या लाभ होना। पुं०=पैकेट।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं० [?] ऊँट। (डिं०) | 
			
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				| पाक्य					 : | वि० [सं०√पच्+ण्यत्] १. जो पकाया जाने को हो। २. पचने योग्य। पुं० १. काला नमक। २. साँभर नमक। ३. जवाखार। ४. शोरा। | 
			
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				| पाक्य-क्षार					 : | [कर्म० स०] १. जवाखार नमक। २. शोरा। | 
			
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				| पाक्यज					 : | पुं० [सं० पाक्य√जन्+ड] कचिया नमक। | 
			
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				| पाक्या					 : | स्त्री० [सं० पाक्य+टाप्] १. सज्जी। २. शोरा। | 
			
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				| पाक्ष					 : | वि०=पाक्षिक। पुं०=पक्ष।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पाक्षपातिक					 : | वि० [सं० पक्षपात+ठक—इक] १. पक्षपात करनेवाला। फूट डालनेवाला । २. पक्षपात के रूप में होनेवाला। | 
			
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				| पाक्षायण					 : | वि० [सं० पक्ष+फक्—आयन] १. जो पक्ष (१५ दिन) में एक बार हो या किया जाय। पाक्षिक। २. पक्ष (१५ दिन) का। | 
			
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				| पाक्षिक					 : | वि० [सं० पक्ष+ठञ्—इक] १. चांद्र मास के पक्ष से संबंध रखनेवाला। २. जो एक पक्ष (१५ दिन) में एक बार होता हो। जैसे—पाक्षिक अधिवेशन, पाक्षिक पत्र या पत्रिका। (फोर्टनाइटली)। ३. किसी प्रकार का पक्षपात करनेवाला। पक्षपाती । तरफदार। ४. (पिंगल में छंद) जिसमें (पक्ष के रूप में) दो मात्राएँ हों। ५. वैकल्पित। पुं० १. पक्षियों को फँसा या मारकर जीविका चलानेवाला व्यक्ति बहेलिया। २. ब्याध। शिकारी। ३. विकल्प। | 
			
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