| शब्द का अर्थ | 
					
				| पानीय					 : | विं० [सं०√पा (पीना, रक्षा करना)+अनीयर्] १. जो पीया जा सके अथवा जो पिये जाने के योग्य हो। २. जिसकी रक्षा की जा सके या जिसकी रक्षा करना आवश्यक अथवा उचित हो। पुं० कोई ऐसा तरल स्वादिष्ट पदार्थ जो पीने के काम में आता हो। (ड्रिंक, बीवरेज) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पानीय-चूर्णिका					 : | स्त्री० [ष० त०] बालू। रेत। | 
			
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				| पानीय-नकुल					 : | पुं० [स० त०] पानी में रहनेवाला नेवला अर्थात् ऊदबिलाव। | 
			
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				| पानीय-पृष्ठज					 : | पुं० [सं० पानीय-पृष्ठ, ष० त०,√जन्+ड] जलकुम्भी नामक पौधा। | 
			
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				| पानीय-फल					 : | पुं० [ष० त०] मखाना। | 
			
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				| पानीय-मूलक					 : | पुं० [ब० स०, कप्] बकुची। | 
			
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				| पानीय-शाला					 : | स्त्री० [ष० त०] १. वह स्थान जहाँ सार्वजनिक रूप से राह-चलनेवालों को पानी पिलाने की व्यवस्था हो। पौसरा। प्याऊ। | 
			
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				| पानीय शालिका					 : | स्त्री० [ष० त०] पानीय-शाला। | 
			
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				| पानीयामलक					 : | पुं० [सं० पानीय-आमलक, मध्य० स०] पानी आँवला। | 
			
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				| पानीयालु					 : | पुं० [सं० पानीय-आलु, मध्य० स०] पानी आलू नामक कंद। जलालु। | 
			
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				| पानीयाश्ना					 : | स्त्री० [सं० पानीय√अश् (खाना)+न+टाप्] एक प्रकार की घास। बल्वजा। | 
			
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				| पानीय					 : | विं० [सं०√पा (पीना, रक्षा करना)+अनीयर्] १. जो पीया जा सके अथवा जो पिये जाने के योग्य हो। २. जिसकी रक्षा की जा सके या जिसकी रक्षा करना आवश्यक अथवा उचित हो। पुं० कोई ऐसा तरल स्वादिष्ट पदार्थ जो पीने के काम में आता हो। (ड्रिंक, बीवरेज) | 
			
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				| पानीय-चूर्णिका					 : | स्त्री० [ष० त०] बालू। रेत। | 
			
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				| पानीय-पृष्ठज					 : | पुं० [सं० पानीय-पृष्ठ, ष० त०,√जन्+ड] जलकुम्भी नामक पौधा। | 
			
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				| पानीय-मूलक					 : | पुं० [ब० स०, कप्] बकुची। | 
			
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				| पानीयामलक					 : | पुं० [सं० पानीय-आमलक, मध्य० स०] पानी आँवला। | 
			
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				| पानीयालु					 : | पुं० [सं० पानीय-आलु, मध्य० स०] पानी आलू नामक कंद। जलालु। | 
			
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