| शब्द का अर्थ | 
					
				| पापांकुशा					 : | स्त्री० [पाप-अंकुश, च० त०,+टाप्] आश्विन् शुक्ला एकादशी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पापांत					 : | पं० [पाप-अंत, ब० स०] पुराणानुसार एक तीर्थ का नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पापा					 : | स्त्री० [सं० पाप+टाप्] १. बुद्धग्रह की उस समय की गति जब वह हस्त, अनुराधा अथवा ज्येष्ठा नक्षत्र में रहता है। पुं० [देश०] एक प्रकार का छोटा कीड़ा जो ज्वार, बाजरे आदि की फसल में प्रायः अधिक वर्षा के कारण लगता है। पुं० [अनु०] १. पाश्चात्य देशों में बच्चों की एक बोली में एक शब्द जिससे वे बाप को संबोधित करते हैं। बाबा। बाबू। २. प्राचीन काल में बिशप पादरियों और आज-कल केवल यूनानी पादरियों के एक विशेष वर्ग की सम्मान-सूचक उपाधि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पापाख्या					 : | स्त्री० [सं० पाप+आ√ख्या (कहना)+क+टाप्] दे० ‘पापा’ (बुद्ध की गति)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पापाचार					 : | वि० [पाप-आचार, ब० स०] पाप कर्म करनेवाला। पापी। पुं० [ष० त०] पापपूर्ण आचरण। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पापाचारी (रिन्)					 : | वि० [सं० पापाचार+इनि] पापपूर्ण आचरण या कर्म करनेवाला। पापी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पापात्मा (त्मन्)					 : | वि० [पाप-आत्मन्, ब० स०] जिसकी आत्मा या मन सदा पापकर्मों की ओर रहता हो; अर्थात् बहुत बड़ा पापी। बड़े बड़े पाप करनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पापाधम					 : | पुं० [पाप-अधम, स० त०] पापियों में भी अधम अर्थात् महापापी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पापानुबंध					 : | पुं० [पाप-अनुबन्ध, ष० त०] पाप का कुफल या दुष्परिणाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पापानुवसित					 : | वि० [पाप-अनुवसित, तृ० त०] १. पापी। २. पापपूर्ण। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पापापनुत्ति					 : | स्त्री० [पाप-अपनुत्ति, ष० त०] प्रायश्चित्त। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पापारंभ					 : | वि० [पाप-आरंभ, ब० स०] दुष्कर्म करनेवाला। पापी। | 
			
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				| पापारंभक					 : | वि० [पाप-आरंभिक, ष० त०] जो पापकर्म करना चाहता हो। | 
			
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				| पापार्त्त					 : | वि० [पाप-आर्त्त, तृ० त०] जो आपने पाप-कर्मों के फल से बहुत ही दुःखी हो। | 
			
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				| पापाशय					 : | वि० [पाप-आशय, ब० स०] जिसके मन में पाप हो। | 
			
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				| पापाह					 : | पुं० [पाप-अहन्, कर्म० स०, टच्] १. अशौच या सूतक के दिन का समय। २. अशुभ या बुरा दिन। | 
			
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				| पापांकुशा					 : | स्त्री० [पाप-अंकुश, च० त०,+टाप्] आश्विन् शुक्ला एकादशी। | 
			
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				| पापांत					 : | पं० [पाप-अंत, ब० स०] पुराणानुसार एक तीर्थ का नाम। | 
			
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				| पापा					 : | स्त्री० [सं० पाप+टाप्] १. बुद्धग्रह की उस समय की गति जब वह हस्त, अनुराधा अथवा ज्येष्ठा नक्षत्र में रहता है। पुं० [देश०] एक प्रकार का छोटा कीड़ा जो ज्वार, बाजरे आदि की फसल में प्रायः अधिक वर्षा के कारण लगता है। पुं० [अनु०] १. पाश्चात्य देशों में बच्चों की एक बोली में एक शब्द जिससे वे बाप को संबोधित करते हैं। बाबा। बाबू। २. प्राचीन काल में बिशप पादरियों और आज-कल केवल यूनानी पादरियों के एक विशेष वर्ग की सम्मान-सूचक उपाधि। | 
			
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				| पापाख्या					 : | स्त्री० [सं० पाप+आ√ख्या (कहना)+क+टाप्] दे० ‘पापा’ (बुद्ध की गति)। | 
			
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				| पापाचार					 : | वि० [पाप-आचार, ब० स०] पाप कर्म करनेवाला। पापी। पुं० [ष० त०] पापपूर्ण आचरण। | 
			
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				| पापाचारी (रिन्)					 : | वि० [सं० पापाचार+इनि] पापपूर्ण आचरण या कर्म करनेवाला। पापी। | 
			
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				| पापात्मा (त्मन्)					 : | वि० [पाप-आत्मन्, ब० स०] जिसकी आत्मा या मन सदा पापकर्मों की ओर रहता हो; अर्थात् बहुत बड़ा पापी। बड़े बड़े पाप करनेवाला। | 
			
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				| पापाधम					 : | पुं० [पाप-अधम, स० त०] पापियों में भी अधम अर्थात् महापापी। | 
			
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				| पापानुबंध					 : | पुं० [पाप-अनुबन्ध, ष० त०] पाप का कुफल या दुष्परिणाम। | 
			
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				| पापानुवसित					 : | वि० [पाप-अनुवसित, तृ० त०] १. पापी। २. पापपूर्ण। | 
			
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				| पापापनुत्ति					 : | स्त्री० [पाप-अपनुत्ति, ष० त०] प्रायश्चित्त। | 
			
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				| पापारंभ					 : | वि० [पाप-आरंभ, ब० स०] दुष्कर्म करनेवाला। पापी। | 
			
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				| पापारंभक					 : | वि० [पाप-आरंभिक, ष० त०] जो पापकर्म करना चाहता हो। | 
			
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				| पापार्त्त					 : | वि० [पाप-आर्त्त, तृ० त०] जो आपने पाप-कर्मों के फल से बहुत ही दुःखी हो। | 
			
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				| पापाशय					 : | वि० [पाप-आशय, ब० स०] जिसके मन में पाप हो। | 
			
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				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पापाह					 : | पुं० [पाप-अहन्, कर्म० स०, टच्] १. अशौच या सूतक के दिन का समय। २. अशुभ या बुरा दिन। | 
			
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