| शब्द का अर्थ | 
					
				| पारंगत					 : | वि० [सं० पारगत] १. जो पार जा या पहुँच चुका हो। २. जिसने किसी विद्या या शास्त्र का बहुत अधिक ज्ञान प्राप्त कर लिया हो। | 
			
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				| पारंपरीण					 : | वि० [सं० परंपरा+खञ्—ईन] परंपरागत। | 
			
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				| पारंपर्य्य					 : | पुं० [सं० परंपरा+ष्यङ्] १. परंपरा का भाव। २. परंपरा से चली आई हुई प्रथा या रीति। आम्नाय। ३. परंपरा का क्रम। ४. वंश परंपरा। | 
			
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				| पारंपर्योपदेश					 : | पुं० [पारंपर्य-उपदेश ष० त०] १. परंपरागत उपदेश। २. ऐतिह्य नामक प्रमाण। | 
			
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				| पार					 : | पुं० [सं० पर+अण्,√पृ (पूर्ति करना)+घञ्] १. (क) झील, नदी, समुद्र आदि के पूरे विस्तार का वह दूसरा किनारा या सिरा जो वक्ता के पासवाले किनारे या सिरे की विपरीत दिशा में और उस विस्तार के अंतिम सिरे पर पड़ता हो। उस ओर का और दूर पड़नेवाला किनारा या सिरा। ऊपर का तट या सीमा। (ख) उक्त या इस ओर अर्थात् इधर या पास का किनारा या सिरा। जैसे—(क) वह नाव पर बैठकर नदी के पार चला गया। (ख) गंगा के इस पार से उस पार तक तैर के जाने में एक घंटा लगता है। क्रि० प्र०—करना।—जाना।—होना। पद—आर-पार, वार-पार। (देखें) मुहा०—पार उतारना=नदी आदि के तल पर से होते हुए दूसरे किनारे तक पहुँचाना। पार उतारना=नाव आदि की सहायता से जलाशय के उस पार पहुँचाना या ले जाना। पार लगाना=उस पार तक पहुँचना। पार लगाना=उस पार तक पहुँचाना। २. (क) किसी तल या पृष्ठ के किसी विंदु के विचार से उसके विपरीत या सामनेवाली दिशा के तल या पृष्ठ का कई विंदु या स्थान। (ख) उक्त के आमने-सामने वाले अथवा एक सिरे से दूसरे सिरे तक के दोनों विंदुओं में से प्रत्येक विंदु। जैसे—(क) तख्ते में काँटा ठोंककर उसकी नोक उस पार निकाल दो। (ख) गोली उसके पेट के इस पार से उस पार निकल गई। ३. किसी काम या बात का अंतिम छोर या सिरा। विस्तार या व्याप्ति की चरम सीमा या हद। पद—इस पार=इस लोग में। उदा०—इस पार प्रिये तुम हो...उस पार न जाने क्या होगा।—बच्चन। उस पार=परलोक में। मुहा०—(किसी का) पार पाना=किसी की चरम सीमा, गंभीरता, गहनता आदि का ज्ञान या परिचय प्राप्त करना। जैसे—इस विद्या का पार पाना कठिन है। (किसी से) पार पाना=किसी के विरुद्ध या सामने रहने पर उसकी तुलना या मुकाबले में विजयी या सफल होना, अथवा बढ़ा हुआ सिद्ध होना। जैसे—चालाकी में तुम उससे पार नहीं पा सकते। (किसी काम या बात का) पार लगना=ठीक तरह से अन्त या समाप्ति तक पहुँचना। पूरा होना। जैसे—तुम से यह काम पार नहीं लगेगा। (किसी को) पार लगाना=(क) कष्ट, संकट आदि से उद्धार करना। उबारना। (ख) जीवन-काल तक किसी का निर्वाह करना। विशेष—यह मुहा० वस्तुतः ‘किसी का बेड़ा पार लगाना’ का संक्षिप्त रूप है। ४. किसी काम, चीज या बात का सारा अथवा समूचा विस्तार। अव्य० अलग और दूर। परे और पृथक्। जैसे—तुम तो बात कहकर पार हो गये, सारा काम हमारे सिर पर आ पड़ा। पुं० [?] खेत की पहली जोताई। | 
			
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				| पारई					 : | स्त्री०=परई।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पारक					 : | वि० [सं०√पृ+ण्वुल्—अक] [स्त्री० पारकी] १. पार करने या लगानेवाला। २. उद्धार करने या बचानेवाला। ३. पालन करनेवाला। पालक। ४. प्रीति या प्रेम करनेवाला। प्रेमी। ५. पूर्ति करनेवाला। पुं० १. सोना। स्वर्ण। २. वह पत्र जो परीक्षा आदि में उत्तीर्ण होने का सूचक हो। ३. वह पत्र जिसे दिखलाकर कोई कहीं आ-जा सके या इसी प्रकार का और कोई काम करने का अधिकार प्राप्त करे। पार-पत्र। (पास) | 
			
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				| पार-काम					 : | वि० [सं० पार√कम् (चापना)+अण्] जो पार उतरने अर्थात् उस पार जाने का इच्छुक हो। | 
			
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				| पारकी					 : | वि०=परकीय। | 
			
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				| पारक्य					 : | वि० [सं० पर+ष्यञ्, कुक्] परकीय। पराया। पुं० पवित्र आचरण या पुण्य कार्य जो परलोक में उत्तम गति प्राप्त कराता है। | 
			
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				| पारख					 : | पुं०=पारखी। स्त्री०=परख। | 
			
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				| पारखद					 : | पुं०=पार्षद् (सभासद्)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पारखी					 : | पुं० [हिं० परख+ई (प्रत्य०)] वह व्यक्ति जिसमें किसी चीज की अच्छाई-बुराई, गुण-दोष आदि जानने और परखने की पूर्ण योग्यता हो। जैसे—आप कविता के अच्छे पारखी हैं। | 
			
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				| पारखू					 : | पुं०=पारखी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पारग					 : | वि० [सं० पार√गम्+ड] १. पार जानेवाला। २. काम पूरा करनेवाला। ३. किसी विषय का पूरा जानकार। | 
			
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				| पार-गत					 : | वि० [सं० द्वि० त०] [भाव० पारगति] १. जो पार चला गया हो। २. जो किसी विषय का पूरा ज्ञान प्राप्त कर चुका हो। पारंगत। ३. समर्थ। पुं० जिन देव। | 
			
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				| पारगति					 : | स्त्री० [सं० स० त०] पारंगत होने के लिए अध्ययन करना। | 
			
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				| पार-गमन					 : | पुं० [सं०] एक स्थान या स्थिति से दूसरे स्थान या स्थिति में जाने की क्रिया, भाव या स्थिति। (ट्रान्ज़िट) | 
			
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				| पारगामी (मिन्)					 : | वि० [सं० पार√गम्+णिनि] पार करने या जानेवाला। | 
			
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				| पारचा					 : | पुं० [फा० पार्चः] १. टुकड़ा। खंड। धज्जी। २. कपड़ा। वस्त्र। ३. एक प्रकार का रेशमी कपड़ा। ४. पहनावा। पोशाक। ५. कच्चे कूओं में, दो खड़ी लकड़ियों के ऊपर रखी हुई वह बेड़ी लकड़ी जिस पर से रस्सी कूएँ में लटकायी जाती है। ६. पानी का छोटा हौज। | 
			
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				| पारज्					 : | पुं० [सं०√पार (कर्म समाप्त करना)+अजिन्] सोना। सुवर्ण। | 
			
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				| पारजन्मिक					 : | वि० [सं० पर-जन्मन्, कर्म० स०,+ठक्—इक्] परजन्म अर्थात् दूसरे जन्म से संबंध रखनेवाला। | 
			
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				| पारजात					 : | पुं०=परजाता (पारिजात)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पारजायिक					 : | पुं० [सं० पर जाया, ष० त०,+ठक्—इक] पराई जाया अर्थात् पर-स्त्री सम गमन करनेवाला। व्यभिचारी। | 
			
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				| पारटीट (टीन)					 : | पुं० [सं०] १. पत्थर। २. शिला। चट्टान। | 
			
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				| पारण					 : | पुं० [सं०√पार्+ल्युट्—अन] १. पार करने, जाने या होने की क्रिया या भाव। २. किसी को पार ले जाने की क्रिया या भाव। ३. किसी व्रत या उपवास के दूसरे दिन किया जानेवाला तत्सम्बन्धी कृत्य; और उसके बाद किया जानेवाला भोजन। ४. तृप्त करने की क्रिया या भाव। ५. आज-कल, किसी प्रस्तावित विधान अथवा विधेयक के संबंध में उसे विचारपूर्वक निश्चित और स्वीकृत करने की क्रिया या भाव। ६. परीक्षा या जाँच में पूरा उतरना। उत्तीर्ण होना। (पासिंग) ७. रुकावट या बंधन की जगह पार करके आगे बढ़ना। (पासिंग) ८. पूरा करने की क्रिया या भाव। ९. बादल। मेघ। | 
			
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				| पारणक					 : | वि० [सं०] पारण करनेवाला। | 
			
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				| पारण-पत्र					 : | पुं० [सं०] १. किसी प्रकार के पारण का सूचक पत्र। २. वह पत्र जिसके आधार पर या जिसे दिखलाने पर किसी को कहीं आ-जा सकने या इसी प्रकार का और कोई काम कर सकने का अधिकार प्राप्त होता है। (पास) | 
			
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				| पारणा					 : | स्त्री० [सं०√पार्+णिच्+युच्—अन, टाप्]= पारण। | 
			
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				| पारणीय					 : | वि० [सं०√पार्+अनीयर्] १. जिसे पार किया जा सके। २. जिसे पूरा या समाप्त किया जा सके। | 
			
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				| पारतंत्र्य					 : | पुं० [सं० परतंत्र+ष्यञ्] परतंत्रता। | 
			
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				| पारत					 : | पुं० [सं० पार√तन् (विस्तार)+ड] एक प्राचीन म्लेच्छ जाति। पारद (जाति और देश)। | 
			
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				| पारतल्पिक					 : | पुं० [सं० परतल्प+ठक्—इक] पर-स्त्री गामी। व्यभिचारी। | 
			
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				| पारत्रिक					 : | वि० [सं० परत्र+ठक्—इक] १. परलोक-संबंधी। पारलौकिक। २. (कर्म या काम) जिससे पर-लोक में उत्तम गति प्राप्त हो। | 
			
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				| पारत्र्य					 : | पुं० [सं० परत्र+ष्यञ्] परलोक में मिलनेवाला फल। | 
			
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				| पारथ					 : | पुं०=पार्थ (अर्जुन)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पारथिया					 : | वि० [सं० प्रार्थित] माँगा हुआ। याचित।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पारथिव					 : | वि०, पुं०=पार्थिव। | 
			
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				| पारथी					 : | पुं० [सं० पापर्द्धिक=बहेलिया।] १. बहेलिया। २. शिकारी। ३. हत्यारा। | 
			
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				| पारद					 : | पुं० [सं०√पृ+णिच्+तन्, पृषो० त-द] १. पारा। २. एक प्राचीन जाति जो पारस के उस प्रदेश में निवास करती थी जो कैस्पियन सागर के दक्षिण के पहाड़ों को पार करके पड़ता था। ३. उक्त जाति के रहने का देश। | 
			
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				| पारदर्शक					 : | वि० [सं० ष० त०] [भाव० पारदर्शकता] प्रकाश की किरणें जिसे पार करके दूसरी ओर जा सकती हों और इसीलिए जिसके इस पार से उस पार की वस्तुएँ दिखाई देती हों। (ट्रान्सपेएरेन्ट) जैसे—साधारण शीशे पारदर्शक होते हैं। | 
			
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				| पारदर्शकता					 : | स्त्री० [सं० पारदर्शक+तल्+टाप्] पारदर्शक होने की अवस्था, गुण या भाव। | 
			
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				| पारदर्शी (र्शिन्)					 : | वि० [सं० पार√दृश्+णिनि] [भाव० पारदर्शिता] १. आर-पार अर्थात् बहुत दूर तक की बात देखने और समझनेवाला। दूरदर्शी। २. पारदर्शक। (दे०) | 
			
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				| पारदारिक					 : | वि०, पुं० [सं० पर-दारा, ष० त०,+ठक्—इक] पराई स्त्रियों से अनुचित संबंध रखनेवाला। पर-स्त्रीगामी। | 
			
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				| पारदार्य					 : | पुं० [सं० परदारा+ष्यञ्] पराई स्त्री के साथ गमन। परस्त्री-गमन। | 
			
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				| पारदिक					 : | वि० [सं० पारद+ठक्—इक] १. पारद या पार से संबंध रखनेवाला। २. जिसमें पारे का भी कुछ अंश हो। (मर्क़्यूरिक) | 
			
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				| पारदेशिक					 : | वि० [सं० परदेश+ठक्—इक] दूसरे देश का। विदेशी। पुं० १. दूसरे देश का निवासी। २. यात्री। | 
			
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				| पारदेश्य					 : | वि०, पुं० [सं० परदेश+ष्यञ्]=पारदेशिक। | 
			
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				| पारद्रष्टा					 : | वि० [सं०] जो उस पार अर्थात् इस लोक के परे की बातें भी देख या जान सकता हो। | 
			
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				| पारधि					 : | पुं०=पारधी। | 
			
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				| पारधी					 : | पुं० [सं० परिधान=आच्छादन] १. बहेलिया। व्याध। २. शिकारी। ३. वधिक। ४. काल। मृत्यु। स्त्री० आड़। ओट। मुहा०—(किसी के) पारधी पड़ना—आड़ में छिपकर कोई व्यापार देखना या किसी की बात सुनना। | 
			
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				| पारन					 : | पुं०=पुराण।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) वि०=पारक (पार करने या लगानेवाला)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पारना					 : | सं० [सं० पारण] १. गिराना। २. डालना। ३. लेटाना। ४. कुश्ती या लड़ाई में पटकना। पछाड़ना। ५. प्रस्थापित या स्थापित करना। रखना। उदा०—प्यारे परदेश तैं कबै धौं पग पारि हैं।—रत्नाकर। मुहा०—पिंडा पारना=मृतक के उद्देश्य से पिंडदान करना। ६. किसी के हाथ में देना। किसी को सौंपना। ७. किसी के अन्तर्गत करना। किसी में सम्मिलित करना। ८. शरीर पर धारण करना। पहनना। ९. किसी विशिष्ट क्रिया से किसी के ऊपर जमाना या लगाना। जैसे—कजलौटे पर काजल पारना। १॰. कोई अनुचित या आवांछित घटना या बात घटित करना। उदा०—तन जारत, पारति बिपति अपति उजारत लाज।—पद्माकर। ११. कोई काम स्वयं करना अथवा दूसरे से करा देना। उदा०...बरनि न पारौं अंत।—जायसी। १२. कोई काम करने की समर्थता होना। कर सकना। उदा०—बूझि लेहु जौ बूझे पारहु।—जायसी। १३. मचाना। जैसे—हल्ला पारना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) १४. नियत या स्थिर करना। उदा०—अबहीं ते हद पारो।—सूर। अ० [सं० पारण=योग्य, का हिं० पार, जैसे—पार लगना=हो सकना] कोई काम करने में समर्थ होना। सकना। सं०=पालना। (पालन करना) उदा०—जन प्रहलाद प्रतिज्ञा पारी।—सूर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार-पत्र					 : | पुं० [सं० ष० त०] वह राजकीय अधिकार-पत्र जो किसी राज्य की प्रजा को विदेश यात्रा के समय प्राप्त करना पड़ता है, औ जिसे दिखाकर लोग उसमें उल्लिखित देशों में भ्रमण कर सकते हैं (पास-पोर्ट) विशेष—ऐसे पार-पत्र से यात्री को अपने मूल देश के शासन का भी संरक्षण प्राप्त होता है, और उन देशों के शासन का भी संरक्षण प्राप्त होता है जिनमें यात्रा करने का उन्हें अधिकार मिला होता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारबती					 : | स्त्री०=पार्वती। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार-ब्रह्म					 : | पुं०=पर-ब्रह्म। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारभूत					 : | पुं०=प्राभृत (भेंट)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारमहंस					 : | पुं०=पारमहंस्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारमहंस्य					 : | वि० [सं० परमहंस+ष्यञ्] जिसका संबंध परमहंस से हो। परमहंस-संबंधी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारमाणविक					 : | वि० [सं०] परमाणु-संबंधी। परमाणु का। (एटमिक) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारमार्थिक					 : | वि० [सं० परमार्थ+ठक्—इक] परमार्थ-संबंधी। परमार्थ का। जैसे—पारमार्थिक ज्ञान। २. परमार्थ सिद्ध करनेवाला। परमार्थ का शुभ फल दिलानेवाला। जैसे—पारमार्थिक कृत्य। ३. सत्यप्रिय। ४. सदा एक-रस और एक रूप बना रहनेवाला। ५. उत्तम। श्रेष्ठ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारमार्थ्य					 : | पुं० [सं० परमार्थ+ष्यञ्] १. ‘परमार्थ’ का गुण या भाव। २. परम सत्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारमिक					 : | वि० [सं० परम+ठक्—इक] १. मुख्य। प्रधान। २. उत्तम। सर्वश्रेष्ठ। ३. परम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारमित					 : | वि० [सं० पारम् इत, व्यस्तपद] [स्त्री० पारमिता] १. जो उस पार पहुँच गया हो। २. पारंगत। ३. अतिश्रेष्ठ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारमिता					 : | स्त्री० [सं० पारम् इता, व्यस्तपद] सीमा। हद। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारमेष्ठ्य					 : | पुं० [सं० परमेष्ठिन्+ष्यञ्] १. प्रधानता। २. सर्वोच्च पद। ३. प्रभुत्व। ४. राजचिह्न। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारयिष्णु					 : | वि० [सं०√पार्+णिच्+इष्णुच्] १. जो पार जाने में समर्थ हो। २. विजयी। ३. सफल। ४. रुचिकर और तृप्तिकारक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारयुगीन					 : | वि० [सं० परयुग+खञ्—ईन] परवर्ती युग से संबंध रखनेवाला अथवा उसमें पाया जाने या होनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारलोक्य					 : | वि० [सं० परलोक+ष्यञ्] पारलौकिक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारलौकिक					 : | वि० [सं० परलोक+ठक्—इक] १. परलोक-संबंधी। परलको का। २. (कर्म) जिससे परलोक में शुभ फल की प्राप्ति हो। परलोक सुधारनेवाला। पुं० अंत्येष्टि क्रिया। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारवत					 : | पुं० [सं०] पारावत। (दे०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारवर्ग्य					 : | वि० [सं० परवर्ग+ष्यञ्] १. अन्य या दूसरे वर्ग से संबंध रखने अथवा उसमें होनेवाला। २. प्रतिकूल। पुं० वैरी। शत्रु। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारवश्य					 : | पुं० [सं० परवश+ष्यञ्]=परवशता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार-वहन					 : | पुं० [सं०] चीजें आदि एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने की क्रिया, भाव या स्थिति। (ट्रान्जिट्) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारविषयिक					 : | वि० [सं० पर विषय+ठक्—इक] दूसरे के विषयों से संबंध रखनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारशव					 : | पुं० [सं० परशु+अण्] १. लोहा। २. [उपमि० स०] ब्राह्मण पिता और शूद्रा माता से उत्पन्न व्यक्ति। ३. पराई स्त्री के गर्भ से उत्पन्न करके प्राप्त किया हुआ पुत्र। ४. एक प्रकार की गाली जिससे यह व्यक्त किया जाता है कि अमुक के पिता का कोई पता नहीं वह तो हरामी का है। ५. एक प्राचीन देश, जिसके संबंध में कहा जाता है कि वहाँ मोती निकलते थे। वि० लौह-संबंधी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारशवी					 : | स्त्री० [सं० पारशव+ङीष्] वह कन्या या स्त्री जिसका जन्म शूद्रा माता और ब्राह्मण पिता से हुआ हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारश्व					 : | पुं०=पारश्वाधिक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारश्वधिक					 : | पुं० [सं० परश्वध+ठञ्—इक] परशु या फरसे से सज्जित योद्धा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारस					 : | पुं० [सं० स्पर्श, हिं० परस] १. एक कल्पित पत्थर जिसके विषय में प्रसिद्ध है कि लोहा इसके स्पर्श से सोना हो जाता है। स्पर्श-मणि। २. पारस पत्थर के समान उत्तम, लाभदायक या स्वच्छ अथवा आदरणीय और बहुमूल्य पदार्थ या वस्तु। जैसे—(क) यदि उनके साथ रहोगे तो कुछ दिनों में पारस हो जाओगे। (ख) यह दवा खाने से शरीर पारस हो जायगा। पुं० [हिं० परसना] १. परोसा हुआ भोजन। २. परोसा। अव्य० [सं० पार्श्व] समीप। नजदीक। पास। उदा०—पारस प्रासाद सेन संपेखे।—प्रिथीराज। पुं० [सं० पलाश] पहाड़ों पर होनेवाला बादाम या खूबानी की जाति का एक मझोले कद का पेड़। गीदड़-ढाक। जापन। पुं० [फा०] आधुनिक फारस देश का एक पुराना नाम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारसनाथ					 : | पुं०=पार्श्वनाथ (जैनों के तीर्थकर)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारसल					 : | पुं० [अं०] डाक, रेल आदि द्वारा किसी के नाम भेजी जानेवाली गठरी या पोटली। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारसव					 : | पुं०=पारशव।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारसा					 : | वि० [फा०] [भाव० पारसाई] पवित्र और शुद्ध चरित्र तथा विचारोंवाला। बहुत बड़ा धर्मात्मा और सदाचारी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारसाई					 : | स्त्री० [फा०] ‘पारसा’ होने की अवस्था या भाव। धार्मिकता और सदाचार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पारसाल					 : | पुं० [फा०] १. गत वर्ष। २. आगामी वर्ष। | 
			
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				| पारसिक					 : | पुं० [सं० पारसीक, पृषो० सिद्धि] पारसीक। (दे०) | 
			
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				| पारसी					 : | पुं० [सं० पारसीक से फा० पार्सी] १. पारस अर्थात् फारस (आधुनिक ईरान) का रहनेवाला आदमी। २. आज-कल मुख्य रूप से पारस के वे प्राचीन निवासी जो मुसलमानी आक्रमण के समय अपना धर्म बचाने के लिए वहाँ से भारत चले आये थे। इनके वंशज अब तक बम्बई और गुजरात में बसे हैं। ये लोग अग्निपूजक हैं; और कमर में एक प्रकार का यज्ञोपवीत पहने रहते हैं। वि० पारस या फारस-संबंधी। पारस का। | 
			
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				| पारसीक					 : | पुं० [सं०] १. आधुनिक ईरान देश का प्राचीन नाम। फारस। २. उक्त देश का निवासी। ३. उक्त देश का घोड़ा। वि०, पुं०=पारसी। | 
			
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				| पारसीकयमानी					 : | स्त्री० [सं०] खुरासानी वच। | 
			
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				| पारस्कर					 : | पुं० [सं० पार√कृ०+ष्ट, सुट्] १. एक प्राचीन देश। २. एक गृह्य-सूत्रकार मुनि। | 
			
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				| पारस्त्रैणेय					 : | पुं० [सं० पर-स्त्री, ष० त०,+ढक्—एय, इनङ्—आदेश] पराई स्त्री से संबंध रखनेवाले व्यक्ति से उत्पन्न पुत्र। जारज पुत्र। | 
			
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				| पारस्परिक					 : | वि० [सं० परस्पर+ठक्—इक] आपस में एक दूसरे के प्रति या साथ होनेवाला। परस्पर होनेवाला। आपस का। आपसी। (म्यूचुअल) | 
			
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				| पारस्परिकता					 : | स्त्री० [सं० पारस्परिक+तल्+टाप्] पारस्परिक होने की अवस्था या भाव। | 
			
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				| पारस्य					 : | पुं० [सं०] पारस देश। | 
			
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				| पारस्स					 : | पुं० १.=पार्श्व। २.=पार्श्वचर। ३.=पारस्य।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पारहंस्य					 : | वि० [सं० परहंस+ष्यञ्]=पारमहंस्य। | 
			
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				| पारा					 : | पुं० [सं० पारद] एक प्रसिद्ध बहुत चमकीली और सफेद धातु जो साधारण गरमी या सरदी में द्रव अवस्था में रहती है और अनुपातिक दृष्टि से बहुत भारी या वजनी होती है। पारद। (मर्करी) मुहा०—(किसी का) पारा चढ़ना=गुस्से से बेहाल होना। पारा पिलाना=(क) किसी वस्तु के अंदर पारा भरना। (ख) किसी वस्तु को इतना अधिक भारी कर देना कि मानो उसके अंदर पारा भर दिया गया हो। पुं० [सं० पारि=प्याला] दीये के आकार का, पर उससे बड़ा मिट्टी का बरतन। परई। पुं० [फा० पारः] खंड या टुकडा। | 
			
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				| पाराती					 : | स्त्री० [सं० प्रातः] एक प्रकार के धार्मिक गीत जो देहाती स्त्रियाँ पर्वों आदि पर किसी तीर्थ या पवित्र नदी में स्नान करने के लिए आते-जाते समय रास्ते में गाती चलती हैं। | 
			
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				| पारापत					 : | पुं० [सं० पार-आ√पत् (गिरना)+अच्] कबूतर। | 
			
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				| पारापार					 : | पुं० [सं० पार-अपार, द्व० स०+अच्] १. यह पार और वह पार। २. इधर और उधर का किनारा। ३. समुद्र। | 
			
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				| पारायण					 : | पुं० [सं० पार-अयन, स० त०] [वि० पारयणिक] १. किसी अनुष्ठान या कार्य की होनेवाली समाप्ति। २. नियमित रूप से किसी धार्मिक ग्रंथ का किया जानेवाला पाठ। ३. किसी चीज का बार-बार पढ़ा जाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पारायणी					 : | स्त्री० [सं० पारायण+ङीप्] १. चिंतन या मनन करते हुए पारायण करने की क्रिया। २. सरस्वती। ३. कर्म। ४. प्रकाश। | 
			
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				| पारावत					 : | पुं० [सं० पर√अव (रक्षा)+शतृ+अण्] १. कबूतर। २. पेंड़की। ३. बंदर। ४. पहाड़। पर्वत। | 
			
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				| पारावतघ्नी					 : | स्त्री० [सं० पारावत√हन् (हिंसा)+टक्+ङीष्] सरस्वती नदी। | 
			
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				| पारावत पदी					 : | स्त्री० [ब० स०, ङीष्] १. मालकंगनी। २. काकजंघा। | 
			
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				| पारावताश्व					 : | पुं० [सं० पारावत-अश्व, ब० स०] धृष्टद्युम्न। | 
			
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				| पारावती					 : | स्त्री० [सं० पारावत+अच्+ङीष्] १. अहीरों के एक तरह के गीत। २. कबूतरी। | 
			
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				| पारावारीण					 : | वि० [सं० पार-अवार, द्व० स०,+ख—ईन] १. जो दोनों किनारों पर जाता या पहुँचता हो। २. पारंगत। | 
			
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				| पाराशर					 : | वि० [सं० पराशर+अण्] १. पराशर-संबंधी। २. पराशर द्वारा रचित। पुं० पराशर मुनि के पुत्र, वेदव्यास। | 
			
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				| पाराशरि					 : | पुं० [सं० पराशर+इञ्] १. शुकदेव। २. वेदव्यास। | 
			
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				| पाराशरी (रिन्)					 : | पुं० [सं० पाराशर्य+णिनि, य लोप] १. संन्यासी। २. वह संन्यासी जो व्यास द्वारा रचित शारीरिक सूत्रों का अध्ययन करता हो। | 
			
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				| पाराशर्य					 : | पुं० [सं० पराशर+यञ्]=पराशर। | 
			
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				| पारिद्र					 : | पुं० [सं० पारीन्द्र, पृषो० सिद्धि] सिंह। शेर। | 
			
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				| पारि					 : | स्त्री० [हिं० पार] १. नदी, समुद्र आदि का किनारा। २. ओर। दिशा। ३. बाँध या मेंड़। ४. मर्यादा। सीमा। | 
			
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				| पारिकांक्षी (क्षिन्)					 : | पुं० [सं० पारि=ब्रह्मज्ञान√काङ्क्ष (चाहना)+णिनि] तपस्वी। | 
			
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				| पारिख					 : | पुं०=पारखी। स्त्री०=परख। | 
			
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				| पारिखेय					 : | वि० [सं० परिखा+ढक्—एय] १. परिखा या खाईं से संबंध रखनेवाला। २. परिखा या खाईं से घिरा हुआ। | 
			
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				| पारिगर्भिक					 : | पुं० [सं० परिगर्भ+ठक्—इक] बच्चों को होनेवाला एक रोग। | 
			
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				| पारिग्रामिक					 : | वि० [सं० परिग्राम+ठञ्—इक] किसी गाँव के चारों ओर का। | 
			
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				| पारिजात					 : | पुं० [सं० पं० त०] १. स्वर्ग के पाँच वृक्षों में से एक वृक्ष, जो समुद्र-मंथन के समय निकला था, तथा जिसके संबंध में कहा गया है कि इसे इंद्र नंदनवन में ले गये थे। २. परजाता या हरसिंगार नामक पेड़। ३. कचनार। ४. फरहद। ५. सुगंध। | 
			
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				| पारिणामिक					 : | वि० [सं० परिणाम+ठञ्—इक] १. परिणाम—संबंधी। २. जिसका कोई परिणाम या रूपांतरण हो सके। जो विकसित हो सके। ३. जो पच सके या पचाया जा सके। | 
			
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				| पारिणाय्य					 : | वि० [सं० परिणय+ष्यञ्] परिणय-संबंधी। पुं० १. वह धन जो कन्या को विवाह के अवसर पर दिया जाता है। दहेज। २. परिणय। | 
			
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				| पारिग्राह्य					 : | पुं० [सं० परिणाह+ष्यञ्] घर-गृहस्थी के उपयोग में आनेवाली वस्तुएँ या सामग्री। | 
			
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				| पारित					 : | वि० [सं०√पार्+णिच्+क्त] १. जिसका पारण हुआ हो। २. जो परीक्षा आदि में उत्तीर्ण हो चुका हो। ३. (प्रस्ताव या विधेयक) जो विधिपूर्वक किसी संस्था के द्वारा स्वीकृत किया जा चुका हो। (पास्ड) | 
			
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				| पारितोषिक					 : | पुं० [सं० परितोष+ठक्—इक] १. वह धन जो किसी को देकर परितुष्ट किया जाता है। २. वह धन जो प्रतियोगिता में विजयी या श्रेष्ठ सिद्ध होने पर अथवा कोई असाधारण योग्यता दिखलाने पर उत्साह बढ़ाने के लिए दिया जाता है। (प्राइज) | 
			
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				| पारिदि					 : | पुं०=पारद।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पारिध्वजिक					 : | पुं० [सं० परिध्वज, प्रा० स०,+ठञ्—इक] वह जो हाथ में झंडा लेकर चलता हो। | 
			
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				| पारिपाट्य					 : | पुं० [सं० परिपाटी+ष्यञ्]=परिपाटी। | 
			
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				| पारिपात्रिक					 : | वि० [सं० पारिपात्र+ठक्—इक] १. पारिपात्र—संबंधी। २. पारिपात्र पर बसने, रहने या होनेवाला। | 
			
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				| पारिपार्श्व					 : | पुं० [सं० परिपार्श्व+अण्] वह जो साथ-साथ चलता हो। अनुचर। सेवक। | 
			
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				| पारिपार्श्विक					 : | पुं० [सं० परिपार्श्व+ठक्—इक] [स्त्री० पारिपार्श्विका] १. सेवक। २. नाटक में, स्थापक का सहायक। | 
			
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				| पारिप्लव					 : | वि० [सं० परि√प्लु (गति)+अच्+अण्] १. अस्थिर रहने, हिलने-डुलने या लहरानेवाला। २. तैरनेवाला। ३. विकल। ४. क्षुब्ध। पुं० १. अस्थिरता। २. नाव। ३. विकलता। | 
			
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				| पारिप्लाव्य					 : | पुं० [सं० पारिप्लव+ष्यञ्] १. अस्थिरता। चंचलता। २. कंपन। ३. आकुलता। ४. हंस। | 
			
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				| पारिभाव्य					 : | पुं० [सं० परिभू+ष्यञ्] जमानत करने या जामिन होने का भाव। | 
			
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				| पारिभाव्य-धन					 : | पुं० [सं० ष० त०] वह धन जो किसी की कोई चीज व्यवहृत करने के बदले में उसके यहाँ अग्रिम जमा किया जाता है और जो उसकी चीज लौटाने पर वापस मिल जाता है। | 
			
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				| पारिभाषिक					 : | वि० [सं० परिभाषा+ठञ्—इक] १. परिभाषा-संबंधी। २. (शब्द) जो किसी शास्त्र या विषय में अपना साधारण से भिन्न कोई विशिष्ट अर्थ रखता हो। (टेकनिकल) | 
			
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				| पारिभाषिकी					 : | स्त्री० [सं० पारिभाषिक+ङीष्] पारिभाषिक शब्दों की माला या सूची। (टरमिनॉलॉजी) | 
			
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				| पारिमाण्य					 : | पुं० [सं० परिमाण+ष्यञ्] घेरा। मंडल। | 
			
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				| पारिमिता					 : | स्त्री० [परिमित+अण्+टाप्]=सीमा। | 
			
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				| पारिमित्य					 : | पुं० [सं० परिमित+ष्यञ्] सीमा। | 
			
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				| पारिमुखिक					 : | वि० [सं० परिमुख+ठक्—इक] [भाव० पारिमुख्य] १. जो मुख के समक्ष या सामने हो। २. जो पास में हो या उपस्थित हो। | 
			
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				| पारियात्र					 : | पुं० [सं०] सात पर्वत-श्रेणियों में से एक, जो किसी समय आर्यावर्त की दक्षिणी सीमा के रूप में मानी जाती थी। पारिपात्र। | 
			
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				| पारियात्रिक					 : | वि० [स० परियात्रा प्रा० स०,+अण्+ठक् —इक]=पारिपात्रिक (परिपात्र-संबंधी)। | 
			
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				| पारियानिक					 : | पुं० [सं० परियान प्रा० स०,+ठक्—इक] ऐसा यान जिस पर यात्रा की जाती हो। | 
			
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				| पारिरक्षक					 : | पुं० [सं० परि√रक्ष्+ण्वुल्—अक+अण्] संन्यासी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पारिव्राज्य					 : | पुं० [सं० परिव्राज्+ण्य्ञ्] संन्यास। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पारिश्रमिक					 : | पुं० [सं० परिश्रम+ठक्—इक] किये हुए परिश्रम के बदले में मिलनेवाला धन। कोई कार्य करने की मजदूरी। (रिम्यूनरेशन) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारिष					 : | स्त्री०=परख।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारिषद					 : | पुं० [सं० परिषद्+अण्] परिषद् में बैठनेवाला व्यक्ति। परिषद् का सदस्य। (काउंसिलर) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारिषद्य					 : | पुं० [सं० परिषद्+ण्य] अभिनय आदि का दर्शक। सामाजिक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारिस्थितिक					 : | वि० [सं परिस्थिति+ठक्—इक] १. परिस्थिति संबंधी। २. जो परिस्थितियों का ध्यान रखकर या उनके विचार से किया गया हो। (सर्कस्टैन्शल) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पारिहारिकी					 : | स्त्री० [सं० परिहार+ठक्—इक+ङीष्] एक तरह की पहेली। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारिहास्य					 : | पुं० [सं० परिहास+ष्यञ्]=परिहास। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारी					 : | स्त्री० [सं०] १. वह रस्सी जिससे हाथी के पैर बाँधे जाते हैं। २. जल-पात्र। ३. केसर। स्त्री० [हिं० बार, बारी] १. कोई कार्य करने का क्रमानुसार आने या मिलनेवाला अवसर। बारी। २. गेंद-बल्ले के खेल में, प्रत्येक दल को बल्लेबाजी करने का मिलनेवाला अवसर। पाली। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पारीक्षणिक					 : | पुं० [सं० परीक्षण+ठक्—इक] वह कर्मचारी जो इस बात की परीक्षा या जाँच के लिए रखा गया हो कि यह अपने काम या पद के लिए उपयुक्त है या नहीं। (प्रोबेशनर) वि० परीक्षण संबंधी। परीक्षण का। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारीक्षित					 : | पुं० [सं० परीक्षित्+अण्] परीक्षित् के पुत्र, जनमेजय। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारीछत					 : | भू० कृ०=परीक्षित। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारीण					 : | वि० [सं० पार+ख—ईन] १. उस पार पहुँचा हुआ। २. पारंगत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पारीय					 : | वि० [सं० पार+छ—ईय] समस्त पदों के अंत में, किसी विषय में दक्ष। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारुष्ण					 : | पुं० [सं० परुष्ण+अण्] एक तरह का पक्षी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारुष्य					 : | पुं० [सं० परुष+ष्यञ्] परुष होने की अवस्था, गुण या भाव। परुषता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारेरक					 : | पुं० [सं० पार√ईर् (गति)+ण्वुल्—अक] तलवार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारेवा					 : | पुं० [सं० पारावत] कबूतर। परेवा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारेषक					 : | वि० [सं० पार√इष् (गति)+णिच्+ण्वुल—अक] प्रेषण करने या भेजनेवाला। पुं० विद्युत् से समाचार भेजने या बात करने के यंत्रों का वह अंग जिससे समाचार या संदेश भेजे जाते हैं। ‘प्रतिग्राहक’ का विपर्याय। (ट्रांसमीटर) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारोकना					 : | अ० [सं० परोक्ष] १. परोक्ष या आड़ में होना। २. अंतर्धान या अदृश्य होना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारोक्ष					 : | वि० [सं० परोक्ष+अण्] [भाव० पारोक्ष्य] १. रहस्यमय। २. गुप्त। ३. अस्पष्ट। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्क					 : | पुं० [अं०] शहरों में, ऐसा उद्यान जिसमें घास उगी हुई हो तथा जहाँ छोटे-मोटे फूल-पौधे भी हों। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्जन्य					 : | वि० [सं० पर्जन्य+अण्] मेघ या वर्षा-संबंधी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पार्ट					 : | पुं० [अं०] १. अंश। भाग। हिस्सा। २. किसी अभिनय, विषय आदि में प्रत्येक व्यक्ति द्वारा किया जानेवाला अपने कर्तव्य का निर्वाह। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्टी					 : | स्त्री० [अं०] १. दल। २. वह समारोह जिसमें आमंत्रित लोगों को भोजन, जलपान आदि कराया जाता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्ण					 : | वि० [सं० पर्ण+अण्] १. पर्ण-संबंधी। पत्तों का। २. पत्तों के द्वारा प्राप्त होनेवाला। जैसे—पार्णकर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्थ					 : | पुं० [सं० पृथा+अण्] १. पृथा के पुत्र युधिष्ठिर, अर्जुन या भीम (विशेषतः अर्जुन)। २. अर्जुन नाम का पेड़। ३. राजा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्थक्य					 : | पं० [सं० पृथक्+ण्यञ्] १. पृथक् होने की अवस्था या भाव। २. वह गुण जिससे चीजों का पृथक्-पृथक् होना सूचित होता हो। ३. अंतर। ४. जुदाई। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्थ-सारथि					 : | पुं० [ष० त०] १. कृष्ण। २. मीमांसा के एक प्राचीन आचार्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्थिव					 : | वि० [सं० पृथिवी+अञ्] १. पृथ्वी-संबंधी। २. पृथ्वी से उत्पन्न। ३. पृथ्वी से उत्पन्न वस्तुओं का बना हुआ। ४. पृथ्वी पर शासन करनेवाला। ५. राजकीय। पुं० १. मिट्टी का बरतन। २. काया। देह। शरीर। ३. राजा। ४. पृथ्वी पर या पृथ्वी से उत्पन्न होनेवाला पदार्थ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्थिव-आय					 : | स्त्री० [ष० त०] मालगुजारी। लगान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्थिव-नन्दन					 : | पुं० [ष० त०] [स्त्री० पार्थिव-नंदिनी] राजकुमारी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्थिव-पूजन					 : | पुं० [ष० त०] कच्ची मिट्टी का शिव-लिंग बनाकर उसका किया जानेवाला पूजन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्थिव-लिंग					 : | पुं० [ष० त०] १. राजचिह्न। [कर्म० स०] २. कच्ची मिट्टी का बनाया हुआ शिव-लिंग जिसके पूजन का कुछ विशिष्ट विधान है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पार्थिवी					 : | स्त्री० [सं० पार्थिव+ङीष्] १. सीता। २. लक्ष्मी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पार्थी					 : | पुं० [सं० पार्थिव=पृथ्वी-संबंधी] मिट्टी का बनाया हुआ शिवलिंग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्पर					 : | पुं० [सं० पर्परी+अण्] १. मिट्ठी भर चावल। २. क्षय। (रोग)। ३. भस्म। राख। ४. यम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्यंतिक					 : | वि० [सं० पर्यंत+ठक्—इक] पर्यंत का; अर्थात् अंतिम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्य					 : | वि० [सं० पार+ष्यञ्] जो पार अर्थात् दूसरे किनारे पर स्थित हो। पुं० अंत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पार्लमेंट					 : | स्त्री० [अं०] संसद्। (दे०) | 
			
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				| पार्वण					 : | वि० [सं० पर्वन्+अण्] पर्व या अमावस्या के दिन किया जाने या होनेवाला। पुं० उक्त अवसर पर किया जानेवाला श्राद्ध। | 
			
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				| पार्वतिक					 : | पुं० [सं० पर्वत+ठक्—इक] पर्वतमाला। पर्वत-श्रेणी। | 
			
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				| पार्वती					 : | स्त्री० [सं० पर्वत+अण्+ङीष्] पुराणानुसार हिमालय पर्वत की पुत्री, जिसका विवाह शिवजी से हुआ था। गिरिजा। भवानी। | 
			
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				| पार्वती-कुमार					 : | पुं० [ष० त०] १. कार्तिकेय। २. गणेश। | 
			
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				| पार्वती-नन्दन					 : | पुं० [ष० त०]=पार्वती-कुमार। | 
			
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				| पार्वती-नेत्र					 : | पुं० [ष० त०]=पार्वती-लोचन। | 
			
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				| पार्वती-लोचन					 : | पुं० [ष० त०] संगीत में एक प्रकार का ताल। | 
			
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				| पार्श्व					 : | पुं० [सं०√स्पृश् (छूना)+श्वण्, पृ—आदेश] १. कंधों और काँखों के नीचे के उन दोनों भागों में से प्रत्येक जिनमें पसलियाँ होती हैं। छाती के दाहिने और बाएँ भागों में से प्रत्येक भाग। बगल। २. पसली की हड्डियों का समुदाय। पंजर। ३. किसी पदार्थ, प्राणी की लंबाई वाले विस्तार में इधर अथवा उधर पड़नेवाला अंग या अंश। बगलवाला छोर या सिरा। ४. किसी क्षेत्र या विस्तार का वह अंग या अंश जो किसी एक ओर या दिशा की सीमा पर पड़ता हो और कुछ दूर तक सीधा चला गया हो। जैसे—इस चौकोर क्षेत्र के चारों पार्श्व बराबर हैं। ५. किसी चीज के अगल-बगल या दाहिने-बाएँ अंशों के पास पड़नेवाला विस्तार। जैसे—गढ़ के दाहिने पार्श्व में बन था। ६. लिखते समय कागज की दाहिनी (अथवा बाईं) ओर छोड़ा जानेवाला स्थान। हाशिया। ८. कपट या छल से भरा हुआ उपाय या साधन। ७. दे० ‘पार्शनाथ’। | 
			
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				| पार्श्वक					 : | पुं० [सं०] वह चित्र जिसमें किसी आकृति का एक ही पार्श्व दिखलाया गया हो। | 
			
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				| पार्श्वग					 : | वि० [सं० पार्श्व√गम् (जाना)+ड] साथ में चलने या रहनेवाला। पुं० नौकर। सेवक। | 
			
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				| पार्श्व-गत					 : | वि० [सं० द्वि० त०] १. पार्श्व या बगल में आया या ठहरा हुआ। २. (चित्र) जिसमें किसी आकृति का एक ही पार्श्व दिखाया गया हो, दूसरा पार्श्व सामने न हो। (प्रोफाइल) जैसे—दाहिनी ओर जाते हुए व्यक्ति के चित्र में उसकी पार्श्व-गत आकृति ही दिखाई देती है। पुं० वह जिसे अपने यहाँ रखकर आश्रय दिया गया हो या जिसकी रक्षा की गई हो। | 
			
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				| पार्श्वगायन					 : | पुं० [सं०] आज-कल वह गायन जो नेपथ्य से किसी पात्र या पात्री के गाने के बदले में होता है। विशेष—जो अभिनेता या अभिनेत्री गान-विद्या में पटु नहीं होती, उसके बदले में नेपथ्य से कोई दूसरा अच्छा गायक या गायिका गाती है। यही गाना पार्श्वगायन कहलाता है। | 
			
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				| पार्श्वचर					 : | वि० [सं० पार्श्व√चर् (गति)+ट] पास में रहकर साथ चलनेवाला। | 
			
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				| पार्श्वचित्र					 : | पुं० [सं०] पार्श्वक। (दे०) | 
			
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				| पार्श्व-टिप्पणी					 : | स्त्री० [मध्य० स०] पार्श्व अर्थात् हाशिये में लिखी गई टिप्पणी। (मार्जिनल नोट) | 
			
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				| पार्श्वद					 : | पुं० [सं० पार्श्व√दा (देना)+क] नौकर। सेवक। | 
			
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				| पार्श्वनाथ					 : | पुं० [सं०] जैनों के तेइसवें तीर्थंकर। | 
			
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				| पार्श्व-परिवर्त्तन					 : | पुं० [ष० त०] लेटे या सोये रहने की दशा में करवट बदलना। | 
			
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				| पार्श्ववर्ती					 : | वि० [सं० पार्श्व√वृत (रहना)+णिनि] [स्त्री० पार्श्ववर्त्तिनी] १. किसी के पास या साथ रहनेवाला। जैसे—राजा के पार्श्ववर्ती। २. किसी के पार्श्व में, आस-पास या इधर-उधर रहने या होनेवाला। जैसे—नगर का पार्श्ववर्ती वन। पुं० १. सहचर। साथी। २. नौकर। सेवक। | 
			
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				| पार्श्व-शीर्षक					 : | पुं० [मध्य० स०] पार्श्व अर्थात् हाशियेवाले भाग में लगाया या लिखा हुआ शीर्षक। (मार्जिनल हेडिंग) | 
			
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				| पार्श्व-शूल					 : | पुं० [मध्य० स०] बगल या पसलियों में होनेवाला शूल या जोर का दर्द। | 
			
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				| पार्श्व-संगीत					 : | पुं० [मध्य० स०] १. आधुनिक अभिनयों, चल-चित्रों आदि में वह संगीत जो अभिनय होने के समय परोक्ष में होता रहता है। २. आधुनिक चल-चित्रों में किसी पात्र का ऐसा गाना जो वास्तव में वह स्वयं नहीं गाता, बल्कि उसका गानेवाला परोक्ष या परदे की आड़ में रहकर उसके बदले में गाता है। (प्लेबैक) | 
			
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				| पार्श्वस्थ					 : | वि० [सं० पार्श्व√स्था (ठहरना)+क] जो पास या बगल में स्थित हो। | 
			
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				| पार्श्वानुचर					 : | पुं० [पार्श्व-अनुचर, मध्य० स०] सेवक। | 
			
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				| पार्श्वायात					 : | वि० [पार्श्व-आयात, स० त०] जो पास आया हो। | 
			
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				| पार्श्वासन्न, पार्श्वासीन					 : | वि० [सं० स० त०] पार्श्व अर्थात् बगल में बैठा हुआ। | 
			
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				| पार्श्विक					 : | वि० [सं० पार्श्व+ठक्—इक] १. पार्श्व-संबंधी। २. किसी एक पार्श्व या अंग में होनेवाला। ३. किसी एक पार्श्व या अंग की ओर से आने या चलनेवाला। (लेटरल) | 
			
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				| पार्षद्					 : | स्त्री० [सं०=परिषद्, पृषो० सिद्धि] परिषद्। सभा। | 
			
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				| पार्ष्णि					 : | स्त्री० [सं० √पृष् (सींचना)+नि, नि० वृद्धि] १. पैर की एड़ी। २. सेना का पिछला भाग। ३. किसी चीज का पिछला भाग। ४. पैर से किया जानेवाला आघात। ठोकर। ५. जीतने या विजय प्राप्त करने की इच्छा। जिगीषा। ६. जाँच-पड़ताल। छान-बीन। | 
			
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				| पार्ष्णि-क्षेम					 : | पुं० [सं०] एक विश्वेदेव। | 
			
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				| पार्ष्णि-ग्रहण					 : | पुं० [ष० त०] किसी पर, विशेषतः शत्रु की सेना पर पीछे से किया जानेवाला आक्रमण या आघात। | 
			
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				| पार्ष्णि-ग्राह					 : | पुं० [सं० पर्ष्णि√ग्रह् (ग्रहण)+अण्] १. वह जो किसी के पीठ पर या पीछे रहकर उसकी सहायता करता हो। २. सेना के पिछले भाग का प्रधान अधिकारी या नायक। | 
			
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				| पार्ष्णि-घात					 : | पुं० [तृ० त०] पैर से किया जानेवाला आघात। ठोकर। | 
			
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				| पार्सल					 : | पुं०=पारसल। | 
			
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				| पारंगत					 : | वि० [सं० पारगत] १. जो पार जा या पहुँच चुका हो। २. जिसने किसी विद्या या शास्त्र का बहुत अधिक ज्ञान प्राप्त कर लिया हो। | 
			
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				| पारंपरीण					 : | वि० [सं० परंपरा+खञ्—ईन] परंपरागत। | 
			
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				| पारंपर्य्य					 : | पुं० [सं० परंपरा+ष्यङ्] १. परंपरा का भाव। २. परंपरा से चली आई हुई प्रथा या रीति। आम्नाय। ३. परंपरा का क्रम। ४. वंश परंपरा। | 
			
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				| पारंपर्योपदेश					 : | पुं० [पारंपर्य-उपदेश ष० त०] १. परंपरागत उपदेश। २. ऐतिह्य नामक प्रमाण। | 
			
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				| पार					 : | पुं० [सं० पर+अण्,√पृ (पूर्ति करना)+घञ्] १. (क) झील, नदी, समुद्र आदि के पूरे विस्तार का वह दूसरा किनारा या सिरा जो वक्ता के पासवाले किनारे या सिरे की विपरीत दिशा में और उस विस्तार के अंतिम सिरे पर पड़ता हो। उस ओर का और दूर पड़नेवाला किनारा या सिरा। ऊपर का तट या सीमा। (ख) उक्त या इस ओर अर्थात् इधर या पास का किनारा या सिरा। जैसे—(क) वह नाव पर बैठकर नदी के पार चला गया। (ख) गंगा के इस पार से उस पार तक तैर के जाने में एक घंटा लगता है। क्रि० प्र०—करना।—जाना।—होना। पद—आर-पार, वार-पार। (देखें) मुहा०—पार उतारना=नदी आदि के तल पर से होते हुए दूसरे किनारे तक पहुँचाना। पार उतारना=नाव आदि की सहायता से जलाशय के उस पार पहुँचाना या ले जाना। पार लगाना=उस पार तक पहुँचना। पार लगाना=उस पार तक पहुँचाना। २. (क) किसी तल या पृष्ठ के किसी विंदु के विचार से उसके विपरीत या सामनेवाली दिशा के तल या पृष्ठ का कई विंदु या स्थान। (ख) उक्त के आमने-सामने वाले अथवा एक सिरे से दूसरे सिरे तक के दोनों विंदुओं में से प्रत्येक विंदु। जैसे—(क) तख्ते में काँटा ठोंककर उसकी नोक उस पार निकाल दो। (ख) गोली उसके पेट के इस पार से उस पार निकल गई। ३. किसी काम या बात का अंतिम छोर या सिरा। विस्तार या व्याप्ति की चरम सीमा या हद। पद—इस पार=इस लोग में। उदा०—इस पार प्रिये तुम हो...उस पार न जाने क्या होगा।—बच्चन। उस पार=परलोक में। मुहा०—(किसी का) पार पाना=किसी की चरम सीमा, गंभीरता, गहनता आदि का ज्ञान या परिचय प्राप्त करना। जैसे—इस विद्या का पार पाना कठिन है। (किसी से) पार पाना=किसी के विरुद्ध या सामने रहने पर उसकी तुलना या मुकाबले में विजयी या सफल होना, अथवा बढ़ा हुआ सिद्ध होना। जैसे—चालाकी में तुम उससे पार नहीं पा सकते। (किसी काम या बात का) पार लगना=ठीक तरह से अन्त या समाप्ति तक पहुँचना। पूरा होना। जैसे—तुम से यह काम पार नहीं लगेगा। (किसी को) पार लगाना=(क) कष्ट, संकट आदि से उद्धार करना। उबारना। (ख) जीवन-काल तक किसी का निर्वाह करना। विशेष—यह मुहा० वस्तुतः ‘किसी का बेड़ा पार लगाना’ का संक्षिप्त रूप है। ४. किसी काम, चीज या बात का सारा अथवा समूचा विस्तार। अव्य० अलग और दूर। परे और पृथक्। जैसे—तुम तो बात कहकर पार हो गये, सारा काम हमारे सिर पर आ पड़ा। पुं० [?] खेत की पहली जोताई। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारई					 : | स्त्री०=परई।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारक					 : | वि० [सं०√पृ+ण्वुल्—अक] [स्त्री० पारकी] १. पार करने या लगानेवाला। २. उद्धार करने या बचानेवाला। ३. पालन करनेवाला। पालक। ४. प्रीति या प्रेम करनेवाला। प्रेमी। ५. पूर्ति करनेवाला। पुं० १. सोना। स्वर्ण। २. वह पत्र जो परीक्षा आदि में उत्तीर्ण होने का सूचक हो। ३. वह पत्र जिसे दिखलाकर कोई कहीं आ-जा सके या इसी प्रकार का और कोई काम करने का अधिकार प्राप्त करे। पार-पत्र। (पास) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार-काम					 : | वि० [सं० पार√कम् (चापना)+अण्] जो पार उतरने अर्थात् उस पार जाने का इच्छुक हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारकी					 : | वि०=परकीय। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारक्य					 : | वि० [सं० पर+ष्यञ्, कुक्] परकीय। पराया। पुं० पवित्र आचरण या पुण्य कार्य जो परलोक में उत्तम गति प्राप्त कराता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारख					 : | पुं०=पारखी। स्त्री०=परख। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारखद					 : | पुं०=पार्षद् (सभासद्)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारखी					 : | पुं० [हिं० परख+ई (प्रत्य०)] वह व्यक्ति जिसमें किसी चीज की अच्छाई-बुराई, गुण-दोष आदि जानने और परखने की पूर्ण योग्यता हो। जैसे—आप कविता के अच्छे पारखी हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारखू					 : | पुं०=पारखी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारग					 : | वि० [सं० पार√गम्+ड] १. पार जानेवाला। २. काम पूरा करनेवाला। ३. किसी विषय का पूरा जानकार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार-गत					 : | वि० [सं० द्वि० त०] [भाव० पारगति] १. जो पार चला गया हो। २. जो किसी विषय का पूरा ज्ञान प्राप्त कर चुका हो। पारंगत। ३. समर्थ। पुं० जिन देव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारगति					 : | स्त्री० [सं० स० त०] पारंगत होने के लिए अध्ययन करना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार-गमन					 : | पुं० [सं०] एक स्थान या स्थिति से दूसरे स्थान या स्थिति में जाने की क्रिया, भाव या स्थिति। (ट्रान्ज़िट) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारगामी (मिन्)					 : | वि० [सं० पार√गम्+णिनि] पार करने या जानेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारचा					 : | पुं० [फा० पार्चः] १. टुकड़ा। खंड। धज्जी। २. कपड़ा। वस्त्र। ३. एक प्रकार का रेशमी कपड़ा। ४. पहनावा। पोशाक। ५. कच्चे कूओं में, दो खड़ी लकड़ियों के ऊपर रखी हुई वह बेड़ी लकड़ी जिस पर से रस्सी कूएँ में लटकायी जाती है। ६. पानी का छोटा हौज। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारज्					 : | पुं० [सं०√पार (कर्म समाप्त करना)+अजिन्] सोना। सुवर्ण। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारजन्मिक					 : | वि० [सं० पर-जन्मन्, कर्म० स०,+ठक्—इक्] परजन्म अर्थात् दूसरे जन्म से संबंध रखनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारजात					 : | पुं०=परजाता (पारिजात)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारजायिक					 : | पुं० [सं० पर जाया, ष० त०,+ठक्—इक] पराई जाया अर्थात् पर-स्त्री सम गमन करनेवाला। व्यभिचारी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारटीट (टीन)					 : | पुं० [सं०] १. पत्थर। २. शिला। चट्टान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पारण					 : | पुं० [सं०√पार्+ल्युट्—अन] १. पार करने, जाने या होने की क्रिया या भाव। २. किसी को पार ले जाने की क्रिया या भाव। ३. किसी व्रत या उपवास के दूसरे दिन किया जानेवाला तत्सम्बन्धी कृत्य; और उसके बाद किया जानेवाला भोजन। ४. तृप्त करने की क्रिया या भाव। ५. आज-कल, किसी प्रस्तावित विधान अथवा विधेयक के संबंध में उसे विचारपूर्वक निश्चित और स्वीकृत करने की क्रिया या भाव। ६. परीक्षा या जाँच में पूरा उतरना। उत्तीर्ण होना। (पासिंग) ७. रुकावट या बंधन की जगह पार करके आगे बढ़ना। (पासिंग) ८. पूरा करने की क्रिया या भाव। ९. बादल। मेघ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारणक					 : | वि० [सं०] पारण करनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारण-पत्र					 : | पुं० [सं०] १. किसी प्रकार के पारण का सूचक पत्र। २. वह पत्र जिसके आधार पर या जिसे दिखलाने पर किसी को कहीं आ-जा सकने या इसी प्रकार का और कोई काम कर सकने का अधिकार प्राप्त होता है। (पास) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारणा					 : | स्त्री० [सं०√पार्+णिच्+युच्—अन, टाप्]= पारण। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारणीय					 : | वि० [सं०√पार्+अनीयर्] १. जिसे पार किया जा सके। २. जिसे पूरा या समाप्त किया जा सके। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारतंत्र्य					 : | पुं० [सं० परतंत्र+ष्यञ्] परतंत्रता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारत					 : | पुं० [सं० पार√तन् (विस्तार)+ड] एक प्राचीन म्लेच्छ जाति। पारद (जाति और देश)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारतल्पिक					 : | पुं० [सं० परतल्प+ठक्—इक] पर-स्त्री गामी। व्यभिचारी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारत्रिक					 : | वि० [सं० परत्र+ठक्—इक] १. परलोक-संबंधी। पारलौकिक। २. (कर्म या काम) जिससे पर-लोक में उत्तम गति प्राप्त हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारत्र्य					 : | पुं० [सं० परत्र+ष्यञ्] परलोक में मिलनेवाला फल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारथ					 : | पुं०=पार्थ (अर्जुन)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारथिया					 : | वि० [सं० प्रार्थित] माँगा हुआ। याचित।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारथिव					 : | वि०, पुं०=पार्थिव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारथी					 : | पुं० [सं० पापर्द्धिक=बहेलिया।] १. बहेलिया। २. शिकारी। ३. हत्यारा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारद					 : | पुं० [सं०√पृ+णिच्+तन्, पृषो० त-द] १. पारा। २. एक प्राचीन जाति जो पारस के उस प्रदेश में निवास करती थी जो कैस्पियन सागर के दक्षिण के पहाड़ों को पार करके पड़ता था। ३. उक्त जाति के रहने का देश। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारदर्शक					 : | वि० [सं० ष० त०] [भाव० पारदर्शकता] प्रकाश की किरणें जिसे पार करके दूसरी ओर जा सकती हों और इसीलिए जिसके इस पार से उस पार की वस्तुएँ दिखाई देती हों। (ट्रान्सपेएरेन्ट) जैसे—साधारण शीशे पारदर्शक होते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारदर्शकता					 : | स्त्री० [सं० पारदर्शक+तल्+टाप्] पारदर्शक होने की अवस्था, गुण या भाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारदर्शी (र्शिन्)					 : | वि० [सं० पार√दृश्+णिनि] [भाव० पारदर्शिता] १. आर-पार अर्थात् बहुत दूर तक की बात देखने और समझनेवाला। दूरदर्शी। २. पारदर्शक। (दे०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारदारिक					 : | वि०, पुं० [सं० पर-दारा, ष० त०,+ठक्—इक] पराई स्त्रियों से अनुचित संबंध रखनेवाला। पर-स्त्रीगामी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारदार्य					 : | पुं० [सं० परदारा+ष्यञ्] पराई स्त्री के साथ गमन। परस्त्री-गमन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारदिक					 : | वि० [सं० पारद+ठक्—इक] १. पारद या पार से संबंध रखनेवाला। २. जिसमें पारे का भी कुछ अंश हो। (मर्क़्यूरिक) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारदेशिक					 : | वि० [सं० परदेश+ठक्—इक] दूसरे देश का। विदेशी। पुं० १. दूसरे देश का निवासी। २. यात्री। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारदेश्य					 : | वि०, पुं० [सं० परदेश+ष्यञ्]=पारदेशिक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारद्रष्टा					 : | वि० [सं०] जो उस पार अर्थात् इस लोक के परे की बातें भी देख या जान सकता हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारधि					 : | पुं०=पारधी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारधी					 : | पुं० [सं० परिधान=आच्छादन] १. बहेलिया। व्याध। २. शिकारी। ३. वधिक। ४. काल। मृत्यु। स्त्री० आड़। ओट। मुहा०—(किसी के) पारधी पड़ना—आड़ में छिपकर कोई व्यापार देखना या किसी की बात सुनना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारन					 : | पुं०=पुराण।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) वि०=पारक (पार करने या लगानेवाला)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारना					 : | सं० [सं० पारण] १. गिराना। २. डालना। ३. लेटाना। ४. कुश्ती या लड़ाई में पटकना। पछाड़ना। ५. प्रस्थापित या स्थापित करना। रखना। उदा०—प्यारे परदेश तैं कबै धौं पग पारि हैं।—रत्नाकर। मुहा०—पिंडा पारना=मृतक के उद्देश्य से पिंडदान करना। ६. किसी के हाथ में देना। किसी को सौंपना। ७. किसी के अन्तर्गत करना। किसी में सम्मिलित करना। ८. शरीर पर धारण करना। पहनना। ९. किसी विशिष्ट क्रिया से किसी के ऊपर जमाना या लगाना। जैसे—कजलौटे पर काजल पारना। १॰. कोई अनुचित या आवांछित घटना या बात घटित करना। उदा०—तन जारत, पारति बिपति अपति उजारत लाज।—पद्माकर। ११. कोई काम स्वयं करना अथवा दूसरे से करा देना। उदा०...बरनि न पारौं अंत।—जायसी। १२. कोई काम करने की समर्थता होना। कर सकना। उदा०—बूझि लेहु जौ बूझे पारहु।—जायसी। १३. मचाना। जैसे—हल्ला पारना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) १४. नियत या स्थिर करना। उदा०—अबहीं ते हद पारो।—सूर। अ० [सं० पारण=योग्य, का हिं० पार, जैसे—पार लगना=हो सकना] कोई काम करने में समर्थ होना। सकना। सं०=पालना। (पालन करना) उदा०—जन प्रहलाद प्रतिज्ञा पारी।—सूर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पार-पत्र					 : | पुं० [सं० ष० त०] वह राजकीय अधिकार-पत्र जो किसी राज्य की प्रजा को विदेश यात्रा के समय प्राप्त करना पड़ता है, औ जिसे दिखाकर लोग उसमें उल्लिखित देशों में भ्रमण कर सकते हैं (पास-पोर्ट) विशेष—ऐसे पार-पत्र से यात्री को अपने मूल देश के शासन का भी संरक्षण प्राप्त होता है, और उन देशों के शासन का भी संरक्षण प्राप्त होता है जिनमें यात्रा करने का उन्हें अधिकार मिला होता है। | 
			
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				| पारबती					 : | स्त्री०=पार्वती। | 
			
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				| पार-ब्रह्म					 : | पुं०=पर-ब्रह्म। | 
			
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				| पारभूत					 : | पुं०=प्राभृत (भेंट)। | 
			
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				| पारमहंस					 : | पुं०=पारमहंस्य। | 
			
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				| पारमहंस्य					 : | वि० [सं० परमहंस+ष्यञ्] जिसका संबंध परमहंस से हो। परमहंस-संबंधी। | 
			
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				| पारमाणविक					 : | वि० [सं०] परमाणु-संबंधी। परमाणु का। (एटमिक) | 
			
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				| पारमार्थिक					 : | वि० [सं० परमार्थ+ठक्—इक] परमार्थ-संबंधी। परमार्थ का। जैसे—पारमार्थिक ज्ञान। २. परमार्थ सिद्ध करनेवाला। परमार्थ का शुभ फल दिलानेवाला। जैसे—पारमार्थिक कृत्य। ३. सत्यप्रिय। ४. सदा एक-रस और एक रूप बना रहनेवाला। ५. उत्तम। श्रेष्ठ। | 
			
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				| पारमार्थ्य					 : | पुं० [सं० परमार्थ+ष्यञ्] १. ‘परमार्थ’ का गुण या भाव। २. परम सत्य। | 
			
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				| पारमिक					 : | वि० [सं० परम+ठक्—इक] १. मुख्य। प्रधान। २. उत्तम। सर्वश्रेष्ठ। ३. परम। | 
			
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				| पारमित					 : | वि० [सं० पारम् इत, व्यस्तपद] [स्त्री० पारमिता] १. जो उस पार पहुँच गया हो। २. पारंगत। ३. अतिश्रेष्ठ। | 
			
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				| पारमिता					 : | स्त्री० [सं० पारम् इता, व्यस्तपद] सीमा। हद। | 
			
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				| पारमेष्ठ्य					 : | पुं० [सं० परमेष्ठिन्+ष्यञ्] १. प्रधानता। २. सर्वोच्च पद। ३. प्रभुत्व। ४. राजचिह्न। | 
			
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				| पारयिष्णु					 : | वि० [सं०√पार्+णिच्+इष्णुच्] १. जो पार जाने में समर्थ हो। २. विजयी। ३. सफल। ४. रुचिकर और तृप्तिकारक। | 
			
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				| पारयुगीन					 : | वि० [सं० परयुग+खञ्—ईन] परवर्ती युग से संबंध रखनेवाला अथवा उसमें पाया जाने या होनेवाला। | 
			
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				| पारलोक्य					 : | वि० [सं० परलोक+ष्यञ्] पारलौकिक। | 
			
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				| पारलौकिक					 : | वि० [सं० परलोक+ठक्—इक] १. परलोक-संबंधी। परलको का। २. (कर्म) जिससे परलोक में शुभ फल की प्राप्ति हो। परलोक सुधारनेवाला। पुं० अंत्येष्टि क्रिया। | 
			
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				| पारवत					 : | पुं० [सं०] पारावत। (दे०) | 
			
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				| पारवर्ग्य					 : | वि० [सं० परवर्ग+ष्यञ्] १. अन्य या दूसरे वर्ग से संबंध रखने अथवा उसमें होनेवाला। २. प्रतिकूल। पुं० वैरी। शत्रु। | 
			
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				| पारवश्य					 : | पुं० [सं० परवश+ष्यञ्]=परवशता। | 
			
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				| पार-वहन					 : | पुं० [सं०] चीजें आदि एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने की क्रिया, भाव या स्थिति। (ट्रान्जिट्) | 
			
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				| पारविषयिक					 : | वि० [सं० पर विषय+ठक्—इक] दूसरे के विषयों से संबंध रखनेवाला। | 
			
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				| पारशव					 : | पुं० [सं० परशु+अण्] १. लोहा। २. [उपमि० स०] ब्राह्मण पिता और शूद्रा माता से उत्पन्न व्यक्ति। ३. पराई स्त्री के गर्भ से उत्पन्न करके प्राप्त किया हुआ पुत्र। ४. एक प्रकार की गाली जिससे यह व्यक्त किया जाता है कि अमुक के पिता का कोई पता नहीं वह तो हरामी का है। ५. एक प्राचीन देश, जिसके संबंध में कहा जाता है कि वहाँ मोती निकलते थे। वि० लौह-संबंधी। | 
			
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				| पारशवी					 : | स्त्री० [सं० पारशव+ङीष्] वह कन्या या स्त्री जिसका जन्म शूद्रा माता और ब्राह्मण पिता से हुआ हो। | 
			
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				| पारश्व					 : | पुं०=पारश्वाधिक। | 
			
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				| पारश्वधिक					 : | पुं० [सं० परश्वध+ठञ्—इक] परशु या फरसे से सज्जित योद्धा। | 
			
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				| पारस					 : | पुं० [सं० स्पर्श, हिं० परस] १. एक कल्पित पत्थर जिसके विषय में प्रसिद्ध है कि लोहा इसके स्पर्श से सोना हो जाता है। स्पर्श-मणि। २. पारस पत्थर के समान उत्तम, लाभदायक या स्वच्छ अथवा आदरणीय और बहुमूल्य पदार्थ या वस्तु। जैसे—(क) यदि उनके साथ रहोगे तो कुछ दिनों में पारस हो जाओगे। (ख) यह दवा खाने से शरीर पारस हो जायगा। पुं० [हिं० परसना] १. परोसा हुआ भोजन। २. परोसा। अव्य० [सं० पार्श्व] समीप। नजदीक। पास। उदा०—पारस प्रासाद सेन संपेखे।—प्रिथीराज। पुं० [सं० पलाश] पहाड़ों पर होनेवाला बादाम या खूबानी की जाति का एक मझोले कद का पेड़। गीदड़-ढाक। जापन। पुं० [फा०] आधुनिक फारस देश का एक पुराना नाम। | 
			
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				| पारसनाथ					 : | पुं०=पार्श्वनाथ (जैनों के तीर्थकर)। | 
			
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				| पारसल					 : | पुं० [अं०] डाक, रेल आदि द्वारा किसी के नाम भेजी जानेवाली गठरी या पोटली। | 
			
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				| पारसव					 : | पुं०=पारशव।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पारसा					 : | वि० [फा०] [भाव० पारसाई] पवित्र और शुद्ध चरित्र तथा विचारोंवाला। बहुत बड़ा धर्मात्मा और सदाचारी। | 
			
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				| पारसाई					 : | स्त्री० [फा०] ‘पारसा’ होने की अवस्था या भाव। धार्मिकता और सदाचार। | 
			
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				| पारसाल					 : | पुं० [फा०] १. गत वर्ष। २. आगामी वर्ष। | 
			
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				| पारसिक					 : | पुं० [सं० पारसीक, पृषो० सिद्धि] पारसीक। (दे०) | 
			
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				| पारसी					 : | पुं० [सं० पारसीक से फा० पार्सी] १. पारस अर्थात् फारस (आधुनिक ईरान) का रहनेवाला आदमी। २. आज-कल मुख्य रूप से पारस के वे प्राचीन निवासी जो मुसलमानी आक्रमण के समय अपना धर्म बचाने के लिए वहाँ से भारत चले आये थे। इनके वंशज अब तक बम्बई और गुजरात में बसे हैं। ये लोग अग्निपूजक हैं; और कमर में एक प्रकार का यज्ञोपवीत पहने रहते हैं। वि० पारस या फारस-संबंधी। पारस का। | 
			
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				| पारसीक					 : | पुं० [सं०] १. आधुनिक ईरान देश का प्राचीन नाम। फारस। २. उक्त देश का निवासी। ३. उक्त देश का घोड़ा। वि०, पुं०=पारसी। | 
			
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				| पारसीकयमानी					 : | स्त्री० [सं०] खुरासानी वच। | 
			
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				| पारस्कर					 : | पुं० [सं० पार√कृ०+ष्ट, सुट्] १. एक प्राचीन देश। २. एक गृह्य-सूत्रकार मुनि। | 
			
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				| पारस्त्रैणेय					 : | पुं० [सं० पर-स्त्री, ष० त०,+ढक्—एय, इनङ्—आदेश] पराई स्त्री से संबंध रखनेवाले व्यक्ति से उत्पन्न पुत्र। जारज पुत्र। | 
			
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				| पारस्परिक					 : | वि० [सं० परस्पर+ठक्—इक] आपस में एक दूसरे के प्रति या साथ होनेवाला। परस्पर होनेवाला। आपस का। आपसी। (म्यूचुअल) | 
			
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				| पारस्परिकता					 : | स्त्री० [सं० पारस्परिक+तल्+टाप्] पारस्परिक होने की अवस्था या भाव। | 
			
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				| पारस्य					 : | पुं० [सं०] पारस देश। | 
			
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				| पारस्स					 : | पुं० १.=पार्श्व। २.=पार्श्वचर। ३.=पारस्य।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पारहंस्य					 : | वि० [सं० परहंस+ष्यञ्]=पारमहंस्य। | 
			
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				| पारा					 : | पुं० [सं० पारद] एक प्रसिद्ध बहुत चमकीली और सफेद धातु जो साधारण गरमी या सरदी में द्रव अवस्था में रहती है और अनुपातिक दृष्टि से बहुत भारी या वजनी होती है। पारद। (मर्करी) मुहा०—(किसी का) पारा चढ़ना=गुस्से से बेहाल होना। पारा पिलाना=(क) किसी वस्तु के अंदर पारा भरना। (ख) किसी वस्तु को इतना अधिक भारी कर देना कि मानो उसके अंदर पारा भर दिया गया हो। पुं० [सं० पारि=प्याला] दीये के आकार का, पर उससे बड़ा मिट्टी का बरतन। परई। पुं० [फा० पारः] खंड या टुकडा। | 
			
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				| पाराती					 : | स्त्री० [सं० प्रातः] एक प्रकार के धार्मिक गीत जो देहाती स्त्रियाँ पर्वों आदि पर किसी तीर्थ या पवित्र नदी में स्नान करने के लिए आते-जाते समय रास्ते में गाती चलती हैं। | 
			
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				| पारापत					 : | पुं० [सं० पार-आ√पत् (गिरना)+अच्] कबूतर। | 
			
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				| पारापार					 : | पुं० [सं० पार-अपार, द्व० स०+अच्] १. यह पार और वह पार। २. इधर और उधर का किनारा। ३. समुद्र। | 
			
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				| पारायण					 : | पुं० [सं० पार-अयन, स० त०] [वि० पारयणिक] १. किसी अनुष्ठान या कार्य की होनेवाली समाप्ति। २. नियमित रूप से किसी धार्मिक ग्रंथ का किया जानेवाला पाठ। ३. किसी चीज का बार-बार पढ़ा जाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पारायणी					 : | स्त्री० [सं० पारायण+ङीप्] १. चिंतन या मनन करते हुए पारायण करने की क्रिया। २. सरस्वती। ३. कर्म। ४. प्रकाश। | 
			
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				| पारावत					 : | पुं० [सं० पर√अव (रक्षा)+शतृ+अण्] १. कबूतर। २. पेंड़की। ३. बंदर। ४. पहाड़। पर्वत। | 
			
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				| पारावतघ्नी					 : | स्त्री० [सं० पारावत√हन् (हिंसा)+टक्+ङीष्] सरस्वती नदी। | 
			
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				| पारावत पदी					 : | स्त्री० [ब० स०, ङीष्] १. मालकंगनी। २. काकजंघा। | 
			
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				| पारावताश्व					 : | पुं० [सं० पारावत-अश्व, ब० स०] धृष्टद्युम्न। | 
			
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				| पारावती					 : | स्त्री० [सं० पारावत+अच्+ङीष्] १. अहीरों के एक तरह के गीत। २. कबूतरी। | 
			
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				| पारावारीण					 : | वि० [सं० पार-अवार, द्व० स०,+ख—ईन] १. जो दोनों किनारों पर जाता या पहुँचता हो। २. पारंगत। | 
			
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				| पाराशर					 : | वि० [सं० पराशर+अण्] १. पराशर-संबंधी। २. पराशर द्वारा रचित। पुं० पराशर मुनि के पुत्र, वेदव्यास। | 
			
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				| पाराशरि					 : | पुं० [सं० पराशर+इञ्] १. शुकदेव। २. वेदव्यास। | 
			
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				| पाराशरी (रिन्)					 : | पुं० [सं० पाराशर्य+णिनि, य लोप] १. संन्यासी। २. वह संन्यासी जो व्यास द्वारा रचित शारीरिक सूत्रों का अध्ययन करता हो। | 
			
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				| पाराशर्य					 : | पुं० [सं० पराशर+यञ्]=पराशर। | 
			
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				| पारिद्र					 : | पुं० [सं० पारीन्द्र, पृषो० सिद्धि] सिंह। शेर। | 
			
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				| पारि					 : | स्त्री० [हिं० पार] १. नदी, समुद्र आदि का किनारा। २. ओर। दिशा। ३. बाँध या मेंड़। ४. मर्यादा। सीमा। | 
			
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				| पारिकांक्षी (क्षिन्)					 : | पुं० [सं० पारि=ब्रह्मज्ञान√काङ्क्ष (चाहना)+णिनि] तपस्वी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पारिख					 : | पुं०=पारखी। स्त्री०=परख। | 
			
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				| पारिखेय					 : | वि० [सं० परिखा+ढक्—एय] १. परिखा या खाईं से संबंध रखनेवाला। २. परिखा या खाईं से घिरा हुआ। | 
			
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				| पारिगर्भिक					 : | पुं० [सं० परिगर्भ+ठक्—इक] बच्चों को होनेवाला एक रोग। | 
			
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				| पारिग्रामिक					 : | वि० [सं० परिग्राम+ठञ्—इक] किसी गाँव के चारों ओर का। | 
			
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				| पारिजात					 : | पुं० [सं० पं० त०] १. स्वर्ग के पाँच वृक्षों में से एक वृक्ष, जो समुद्र-मंथन के समय निकला था, तथा जिसके संबंध में कहा गया है कि इसे इंद्र नंदनवन में ले गये थे। २. परजाता या हरसिंगार नामक पेड़। ३. कचनार। ४. फरहद। ५. सुगंध। | 
			
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				| पारिणामिक					 : | वि० [सं० परिणाम+ठञ्—इक] १. परिणाम—संबंधी। २. जिसका कोई परिणाम या रूपांतरण हो सके। जो विकसित हो सके। ३. जो पच सके या पचाया जा सके। | 
			
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				| पारिणाय्य					 : | वि० [सं० परिणय+ष्यञ्] परिणय-संबंधी। पुं० १. वह धन जो कन्या को विवाह के अवसर पर दिया जाता है। दहेज। २. परिणय। | 
			
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				| पारिग्राह्य					 : | पुं० [सं० परिणाह+ष्यञ्] घर-गृहस्थी के उपयोग में आनेवाली वस्तुएँ या सामग्री। | 
			
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				| पारित					 : | वि० [सं०√पार्+णिच्+क्त] १. जिसका पारण हुआ हो। २. जो परीक्षा आदि में उत्तीर्ण हो चुका हो। ३. (प्रस्ताव या विधेयक) जो विधिपूर्वक किसी संस्था के द्वारा स्वीकृत किया जा चुका हो। (पास्ड) | 
			
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				| पारितोषिक					 : | पुं० [सं० परितोष+ठक्—इक] १. वह धन जो किसी को देकर परितुष्ट किया जाता है। २. वह धन जो प्रतियोगिता में विजयी या श्रेष्ठ सिद्ध होने पर अथवा कोई असाधारण योग्यता दिखलाने पर उत्साह बढ़ाने के लिए दिया जाता है। (प्राइज) | 
			
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				| पारिदि					 : | पुं०=पारद।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पारिध्वजिक					 : | पुं० [सं० परिध्वज, प्रा० स०,+ठञ्—इक] वह जो हाथ में झंडा लेकर चलता हो। | 
			
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				| पारिपाट्य					 : | पुं० [सं० परिपाटी+ष्यञ्]=परिपाटी। | 
			
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				| पारिपात्रिक					 : | वि० [सं० पारिपात्र+ठक्—इक] १. पारिपात्र—संबंधी। २. पारिपात्र पर बसने, रहने या होनेवाला। | 
			
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				| पारिपार्श्व					 : | पुं० [सं० परिपार्श्व+अण्] वह जो साथ-साथ चलता हो। अनुचर। सेवक। | 
			
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				| पारिपार्श्विक					 : | पुं० [सं० परिपार्श्व+ठक्—इक] [स्त्री० पारिपार्श्विका] १. सेवक। २. नाटक में, स्थापक का सहायक। | 
			
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				| पारिप्लव					 : | वि० [सं० परि√प्लु (गति)+अच्+अण्] १. अस्थिर रहने, हिलने-डुलने या लहरानेवाला। २. तैरनेवाला। ३. विकल। ४. क्षुब्ध। पुं० १. अस्थिरता। २. नाव। ३. विकलता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारिप्लाव्य					 : | पुं० [सं० पारिप्लव+ष्यञ्] १. अस्थिरता। चंचलता। २. कंपन। ३. आकुलता। ४. हंस। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारिभाव्य					 : | पुं० [सं० परिभू+ष्यञ्] जमानत करने या जामिन होने का भाव। | 
			
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				| पारिभाव्य-धन					 : | पुं० [सं० ष० त०] वह धन जो किसी की कोई चीज व्यवहृत करने के बदले में उसके यहाँ अग्रिम जमा किया जाता है और जो उसकी चीज लौटाने पर वापस मिल जाता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पारिभाषिक					 : | वि० [सं० परिभाषा+ठञ्—इक] १. परिभाषा-संबंधी। २. (शब्द) जो किसी शास्त्र या विषय में अपना साधारण से भिन्न कोई विशिष्ट अर्थ रखता हो। (टेकनिकल) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पारिभाषिकी					 : | स्त्री० [सं० पारिभाषिक+ङीष्] पारिभाषिक शब्दों की माला या सूची। (टरमिनॉलॉजी) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारिमाण्य					 : | पुं० [सं० परिमाण+ष्यञ्] घेरा। मंडल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारिमिता					 : | स्त्री० [परिमित+अण्+टाप्]=सीमा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारिमित्य					 : | पुं० [सं० परिमित+ष्यञ्] सीमा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारिमुखिक					 : | वि० [सं० परिमुख+ठक्—इक] [भाव० पारिमुख्य] १. जो मुख के समक्ष या सामने हो। २. जो पास में हो या उपस्थित हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारियात्र					 : | पुं० [सं०] सात पर्वत-श्रेणियों में से एक, जो किसी समय आर्यावर्त की दक्षिणी सीमा के रूप में मानी जाती थी। पारिपात्र। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारियात्रिक					 : | वि० [स० परियात्रा प्रा० स०,+अण्+ठक् —इक]=पारिपात्रिक (परिपात्र-संबंधी)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारियानिक					 : | पुं० [सं० परियान प्रा० स०,+ठक्—इक] ऐसा यान जिस पर यात्रा की जाती हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारिरक्षक					 : | पुं० [सं० परि√रक्ष्+ण्वुल्—अक+अण्] संन्यासी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारिव्राज्य					 : | पुं० [सं० परिव्राज्+ण्य्ञ्] संन्यास। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारिश्रमिक					 : | पुं० [सं० परिश्रम+ठक्—इक] किये हुए परिश्रम के बदले में मिलनेवाला धन। कोई कार्य करने की मजदूरी। (रिम्यूनरेशन) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारिष					 : | स्त्री०=परख।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारिषद					 : | पुं० [सं० परिषद्+अण्] परिषद् में बैठनेवाला व्यक्ति। परिषद् का सदस्य। (काउंसिलर) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारिषद्य					 : | पुं० [सं० परिषद्+ण्य] अभिनय आदि का दर्शक। सामाजिक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारिस्थितिक					 : | वि० [सं परिस्थिति+ठक्—इक] १. परिस्थिति संबंधी। २. जो परिस्थितियों का ध्यान रखकर या उनके विचार से किया गया हो। (सर्कस्टैन्शल) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारिहारिकी					 : | स्त्री० [सं० परिहार+ठक्—इक+ङीष्] एक तरह की पहेली। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारिहास्य					 : | पुं० [सं० परिहास+ष्यञ्]=परिहास। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारी					 : | स्त्री० [सं०] १. वह रस्सी जिससे हाथी के पैर बाँधे जाते हैं। २. जल-पात्र। ३. केसर। स्त्री० [हिं० बार, बारी] १. कोई कार्य करने का क्रमानुसार आने या मिलनेवाला अवसर। बारी। २. गेंद-बल्ले के खेल में, प्रत्येक दल को बल्लेबाजी करने का मिलनेवाला अवसर। पाली। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारीक्षणिक					 : | पुं० [सं० परीक्षण+ठक्—इक] वह कर्मचारी जो इस बात की परीक्षा या जाँच के लिए रखा गया हो कि यह अपने काम या पद के लिए उपयुक्त है या नहीं। (प्रोबेशनर) वि० परीक्षण संबंधी। परीक्षण का। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारीक्षित					 : | पुं० [सं० परीक्षित्+अण्] परीक्षित् के पुत्र, जनमेजय। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारीछत					 : | भू० कृ०=परीक्षित। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारीण					 : | वि० [सं० पार+ख—ईन] १. उस पार पहुँचा हुआ। २. पारंगत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारीय					 : | वि० [सं० पार+छ—ईय] समस्त पदों के अंत में, किसी विषय में दक्ष। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारुष्ण					 : | पुं० [सं० परुष्ण+अण्] एक तरह का पक्षी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारुष्य					 : | पुं० [सं० परुष+ष्यञ्] परुष होने की अवस्था, गुण या भाव। परुषता। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारेरक					 : | पुं० [सं० पार√ईर् (गति)+ण्वुल्—अक] तलवार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारेवा					 : | पुं० [सं० पारावत] कबूतर। परेवा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारेषक					 : | वि० [सं० पार√इष् (गति)+णिच्+ण्वुल—अक] प्रेषण करने या भेजनेवाला। पुं० विद्युत् से समाचार भेजने या बात करने के यंत्रों का वह अंग जिससे समाचार या संदेश भेजे जाते हैं। ‘प्रतिग्राहक’ का विपर्याय। (ट्रांसमीटर) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारोकना					 : | अ० [सं० परोक्ष] १. परोक्ष या आड़ में होना। २. अंतर्धान या अदृश्य होना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पारोक्ष					 : | वि० [सं० परोक्ष+अण्] [भाव० पारोक्ष्य] १. रहस्यमय। २. गुप्त। ३. अस्पष्ट। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्क					 : | पुं० [अं०] शहरों में, ऐसा उद्यान जिसमें घास उगी हुई हो तथा जहाँ छोटे-मोटे फूल-पौधे भी हों। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्जन्य					 : | वि० [सं० पर्जन्य+अण्] मेघ या वर्षा-संबंधी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्ट					 : | पुं० [अं०] १. अंश। भाग। हिस्सा। २. किसी अभिनय, विषय आदि में प्रत्येक व्यक्ति द्वारा किया जानेवाला अपने कर्तव्य का निर्वाह। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्टी					 : | स्त्री० [अं०] १. दल। २. वह समारोह जिसमें आमंत्रित लोगों को भोजन, जलपान आदि कराया जाता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्ण					 : | वि० [सं० पर्ण+अण्] १. पर्ण-संबंधी। पत्तों का। २. पत्तों के द्वारा प्राप्त होनेवाला। जैसे—पार्णकर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्थ					 : | पुं० [सं० पृथा+अण्] १. पृथा के पुत्र युधिष्ठिर, अर्जुन या भीम (विशेषतः अर्जुन)। २. अर्जुन नाम का पेड़। ३. राजा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्थक्य					 : | पं० [सं० पृथक्+ण्यञ्] १. पृथक् होने की अवस्था या भाव। २. वह गुण जिससे चीजों का पृथक्-पृथक् होना सूचित होता हो। ३. अंतर। ४. जुदाई। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्थ-सारथि					 : | पुं० [ष० त०] १. कृष्ण। २. मीमांसा के एक प्राचीन आचार्य। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्थिव					 : | वि० [सं० पृथिवी+अञ्] १. पृथ्वी-संबंधी। २. पृथ्वी से उत्पन्न। ३. पृथ्वी से उत्पन्न वस्तुओं का बना हुआ। ४. पृथ्वी पर शासन करनेवाला। ५. राजकीय। पुं० १. मिट्टी का बरतन। २. काया। देह। शरीर। ३. राजा। ४. पृथ्वी पर या पृथ्वी से उत्पन्न होनेवाला पदार्थ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्थिव-आय					 : | स्त्री० [ष० त०] मालगुजारी। लगान। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्थिव-नन्दन					 : | पुं० [ष० त०] [स्त्री० पार्थिव-नंदिनी] राजकुमारी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्थिव-पूजन					 : | पुं० [ष० त०] कच्ची मिट्टी का शिव-लिंग बनाकर उसका किया जानेवाला पूजन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्थिव-लिंग					 : | पुं० [ष० त०] १. राजचिह्न। [कर्म० स०] २. कच्ची मिट्टी का बनाया हुआ शिव-लिंग जिसके पूजन का कुछ विशिष्ट विधान है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्थिवी					 : | स्त्री० [सं० पार्थिव+ङीष्] १. सीता। २. लक्ष्मी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्थी					 : | पुं० [सं० पार्थिव=पृथ्वी-संबंधी] मिट्टी का बनाया हुआ शिवलिंग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्पर					 : | पुं० [सं० पर्परी+अण्] १. मिट्ठी भर चावल। २. क्षय। (रोग)। ३. भस्म। राख। ४. यम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्यंतिक					 : | वि० [सं० पर्यंत+ठक्—इक] पर्यंत का; अर्थात् अंतिम। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्य					 : | वि० [सं० पार+ष्यञ्] जो पार अर्थात् दूसरे किनारे पर स्थित हो। पुं० अंत। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्लमेंट					 : | स्त्री० [अं०] संसद्। (दे०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्वण					 : | वि० [सं० पर्वन्+अण्] पर्व या अमावस्या के दिन किया जाने या होनेवाला। पुं० उक्त अवसर पर किया जानेवाला श्राद्ध। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्वतिक					 : | पुं० [सं० पर्वत+ठक्—इक] पर्वतमाला। पर्वत-श्रेणी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्वती					 : | स्त्री० [सं० पर्वत+अण्+ङीष्] पुराणानुसार हिमालय पर्वत की पुत्री, जिसका विवाह शिवजी से हुआ था। गिरिजा। भवानी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्वती-कुमार					 : | पुं० [ष० त०] १. कार्तिकेय। २. गणेश। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्वती-नन्दन					 : | पुं० [ष० त०]=पार्वती-कुमार। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्वती-नेत्र					 : | पुं० [ष० त०]=पार्वती-लोचन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्वती-लोचन					 : | पुं० [ष० त०] संगीत में एक प्रकार का ताल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्श्व					 : | पुं० [सं०√स्पृश् (छूना)+श्वण्, पृ—आदेश] १. कंधों और काँखों के नीचे के उन दोनों भागों में से प्रत्येक जिनमें पसलियाँ होती हैं। छाती के दाहिने और बाएँ भागों में से प्रत्येक भाग। बगल। २. पसली की हड्डियों का समुदाय। पंजर। ३. किसी पदार्थ, प्राणी की लंबाई वाले विस्तार में इधर अथवा उधर पड़नेवाला अंग या अंश। बगलवाला छोर या सिरा। ४. किसी क्षेत्र या विस्तार का वह अंग या अंश जो किसी एक ओर या दिशा की सीमा पर पड़ता हो और कुछ दूर तक सीधा चला गया हो। जैसे—इस चौकोर क्षेत्र के चारों पार्श्व बराबर हैं। ५. किसी चीज के अगल-बगल या दाहिने-बाएँ अंशों के पास पड़नेवाला विस्तार। जैसे—गढ़ के दाहिने पार्श्व में बन था। ६. लिखते समय कागज की दाहिनी (अथवा बाईं) ओर छोड़ा जानेवाला स्थान। हाशिया। ८. कपट या छल से भरा हुआ उपाय या साधन। ७. दे० ‘पार्शनाथ’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्श्वक					 : | पुं० [सं०] वह चित्र जिसमें किसी आकृति का एक ही पार्श्व दिखलाया गया हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्श्वग					 : | वि० [सं० पार्श्व√गम् (जाना)+ड] साथ में चलने या रहनेवाला। पुं० नौकर। सेवक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्श्व-गत					 : | वि० [सं० द्वि० त०] १. पार्श्व या बगल में आया या ठहरा हुआ। २. (चित्र) जिसमें किसी आकृति का एक ही पार्श्व दिखाया गया हो, दूसरा पार्श्व सामने न हो। (प्रोफाइल) जैसे—दाहिनी ओर जाते हुए व्यक्ति के चित्र में उसकी पार्श्व-गत आकृति ही दिखाई देती है। पुं० वह जिसे अपने यहाँ रखकर आश्रय दिया गया हो या जिसकी रक्षा की गई हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्श्वगायन					 : | पुं० [सं०] आज-कल वह गायन जो नेपथ्य से किसी पात्र या पात्री के गाने के बदले में होता है। विशेष—जो अभिनेता या अभिनेत्री गान-विद्या में पटु नहीं होती, उसके बदले में नेपथ्य से कोई दूसरा अच्छा गायक या गायिका गाती है। यही गाना पार्श्वगायन कहलाता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्श्वचर					 : | वि० [सं० पार्श्व√चर् (गति)+ट] पास में रहकर साथ चलनेवाला। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्श्वचित्र					 : | पुं० [सं०] पार्श्वक। (दे०) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्श्व-टिप्पणी					 : | स्त्री० [मध्य० स०] पार्श्व अर्थात् हाशिये में लिखी गई टिप्पणी। (मार्जिनल नोट) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्श्वद					 : | पुं० [सं० पार्श्व√दा (देना)+क] नौकर। सेवक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्श्वनाथ					 : | पुं० [सं०] जैनों के तेइसवें तीर्थंकर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्श्व-परिवर्त्तन					 : | पुं० [ष० त०] लेटे या सोये रहने की दशा में करवट बदलना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्श्ववर्ती					 : | वि० [सं० पार्श्व√वृत (रहना)+णिनि] [स्त्री० पार्श्ववर्त्तिनी] १. किसी के पास या साथ रहनेवाला। जैसे—राजा के पार्श्ववर्ती। २. किसी के पार्श्व में, आस-पास या इधर-उधर रहने या होनेवाला। जैसे—नगर का पार्श्ववर्ती वन। पुं० १. सहचर। साथी। २. नौकर। सेवक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्श्व-शीर्षक					 : | पुं० [मध्य० स०] पार्श्व अर्थात् हाशियेवाले भाग में लगाया या लिखा हुआ शीर्षक। (मार्जिनल हेडिंग) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्श्व-शूल					 : | पुं० [मध्य० स०] बगल या पसलियों में होनेवाला शूल या जोर का दर्द। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्श्व-संगीत					 : | पुं० [मध्य० स०] १. आधुनिक अभिनयों, चल-चित्रों आदि में वह संगीत जो अभिनय होने के समय परोक्ष में होता रहता है। २. आधुनिक चल-चित्रों में किसी पात्र का ऐसा गाना जो वास्तव में वह स्वयं नहीं गाता, बल्कि उसका गानेवाला परोक्ष या परदे की आड़ में रहकर उसके बदले में गाता है। (प्लेबैक) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्श्वस्थ					 : | वि० [सं० पार्श्व√स्था (ठहरना)+क] जो पास या बगल में स्थित हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्श्वानुचर					 : | पुं० [पार्श्व-अनुचर, मध्य० स०] सेवक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्श्वायात					 : | वि० [पार्श्व-आयात, स० त०] जो पास आया हो। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्श्वासन्न, पार्श्वासीन					 : | वि० [सं० स० त०] पार्श्व अर्थात् बगल में बैठा हुआ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्श्विक					 : | वि० [सं० पार्श्व+ठक्—इक] १. पार्श्व-संबंधी। २. किसी एक पार्श्व या अंग में होनेवाला। ३. किसी एक पार्श्व या अंग की ओर से आने या चलनेवाला। (लेटरल) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्षद्					 : | स्त्री० [सं०=परिषद्, पृषो० सिद्धि] परिषद्। सभा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्ष्णि					 : | स्त्री० [सं० √पृष् (सींचना)+नि, नि० वृद्धि] १. पैर की एड़ी। २. सेना का पिछला भाग। ३. किसी चीज का पिछला भाग। ४. पैर से किया जानेवाला आघात। ठोकर। ५. जीतने या विजय प्राप्त करने की इच्छा। जिगीषा। ६. जाँच-पड़ताल। छान-बीन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्ष्णि-क्षेम					 : | पुं० [सं०] एक विश्वेदेव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्ष्णि-ग्रहण					 : | पुं० [ष० त०] किसी पर, विशेषतः शत्रु की सेना पर पीछे से किया जानेवाला आक्रमण या आघात। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्ष्णि-ग्राह					 : | पुं० [सं० पर्ष्णि√ग्रह् (ग्रहण)+अण्] १. वह जो किसी के पीठ पर या पीछे रहकर उसकी सहायता करता हो। २. सेना के पिछले भाग का प्रधान अधिकारी या नायक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्ष्णि-घात					 : | पुं० [तृ० त०] पैर से किया जानेवाला आघात। ठोकर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्सल					 : | पुं०=पारसल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |