| शब्द का अर्थ | 
					
				| पार्थ					 : | पुं० [सं० पृथा+अण्] १. पृथा के पुत्र युधिष्ठिर, अर्जुन या भीम (विशेषतः अर्जुन)। २. अर्जुन नाम का पेड़। ३. राजा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पार्थक्य					 : | पं० [सं० पृथक्+ण्यञ्] १. पृथक् होने की अवस्था या भाव। २. वह गुण जिससे चीजों का पृथक्-पृथक् होना सूचित होता हो। ३. अंतर। ४. जुदाई। | 
			
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				| पार्थ-सारथि					 : | पुं० [ष० त०] १. कृष्ण। २. मीमांसा के एक प्राचीन आचार्य। | 
			
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				| पार्थिव					 : | वि० [सं० पृथिवी+अञ्] १. पृथ्वी-संबंधी। २. पृथ्वी से उत्पन्न। ३. पृथ्वी से उत्पन्न वस्तुओं का बना हुआ। ४. पृथ्वी पर शासन करनेवाला। ५. राजकीय। पुं० १. मिट्टी का बरतन। २. काया। देह। शरीर। ३. राजा। ४. पृथ्वी पर या पृथ्वी से उत्पन्न होनेवाला पदार्थ। | 
			
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				| पार्थिव-आय					 : | स्त्री० [ष० त०] मालगुजारी। लगान। | 
			
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				| पार्थिव-नन्दन					 : | पुं० [ष० त०] [स्त्री० पार्थिव-नंदिनी] राजकुमारी। | 
			
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				| पार्थिव-पूजन					 : | पुं० [ष० त०] कच्ची मिट्टी का शिव-लिंग बनाकर उसका किया जानेवाला पूजन। | 
			
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				| पार्थिव-लिंग					 : | पुं० [ष० त०] १. राजचिह्न। [कर्म० स०] २. कच्ची मिट्टी का बनाया हुआ शिव-लिंग जिसके पूजन का कुछ विशिष्ट विधान है। | 
			
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				| पार्थिवी					 : | स्त्री० [सं० पार्थिव+ङीष्] १. सीता। २. लक्ष्मी। | 
			
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				| पार्थी					 : | पुं० [सं० पार्थिव=पृथ्वी-संबंधी] मिट्टी का बनाया हुआ शिवलिंग। | 
			
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				| पार्थ					 : | पुं० [सं० पृथा+अण्] १. पृथा के पुत्र युधिष्ठिर, अर्जुन या भीम (विशेषतः अर्जुन)। २. अर्जुन नाम का पेड़। ३. राजा। | 
			
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				| पार्थक्य					 : | पं० [सं० पृथक्+ण्यञ्] १. पृथक् होने की अवस्था या भाव। २. वह गुण जिससे चीजों का पृथक्-पृथक् होना सूचित होता हो। ३. अंतर। ४. जुदाई। | 
			
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				| पार्थिवी					 : | स्त्री० [सं० पार्थिव+ङीष्] १. सीता। २. लक्ष्मी। | 
			
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				| पार्थी					 : | पुं० [सं० पार्थिव=पृथ्वी-संबंधी] मिट्टी का बनाया हुआ शिवलिंग। | 
			
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