शब्द का अर्थ
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पावँ :
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पुं० =पाँव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाव :
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पुं० [सं० पाद=चतुर्थांश] १. किसी पदार्थ का चौथाई अंश या भाग। २. वह जो तौल या मान में एक सेर का चैथाई भाग अर्थात् चार छटाँक हो। ३. उक्त तौल का बटखरा। ४. नौ गिरह का माप जो एक गज का चतुर्थांश होता है। पद—पाव भर=(क) तौल में चार छटाँक। (ख) माप में नौगिरह। स्त्री० दे० ‘पो’ (पासे का दाँव)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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पावक :
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वि० [सं०√पू (पवित्र करना)+ण्वुल्—अक] पवित्र करनेवाला। पुं० १. अग्नि। आग। २. अग्निमंथ या अगियारी नामक वृक्ष। ३. चित्रक या चीता नामक वृक्ष। ४. भिलावाँ। ५. बाय-बिडंग। ६. कुसुम। बर्रे। ७. वरुण वृक्ष। ८. सूर्य। ९. सदाचार। |
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समानार्थी शब्द-
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पावक-प्रणि :
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पुं० [सं० कर्म० स०] सूर्य्यकान्त मणि। आतशी शीशा। |
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पावका :
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स्त्री० [सं० पाव√कै+क+टाप्] सरस्वती। (वेद) |
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पावकात्मज :
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पुं० [सं० पावक-आत्मज, ष० त०] पावकि। |
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पावकि :
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पुं० [सं० पावक+इञ्] १. पावक का पुत्र। कार्तिकेय। २. इक्ष्वाकुवंशीय दुर्योधन की कन्या सुदर्शना का पुत्र सुदर्शन। |
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पावकी :
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स्त्री० [सं० पावक+ङीष्] १. अग्नि की स्त्री। २. सरस्वती। (वेद) |
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पाव-कुलक :
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पुं०=पादाकुलक। |
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पावचार :
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वि० [सं० पावन-आचार] पवित्र और श्रेष्ठ आचरण करनेवाला। उदा०—तब देखि दुहूँ तिह पावचार।—गुरुगोविंदसिंह। पुं० पवित्र और श्रेष्ठ आचरण। |
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पावड़ा :
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पुं०=पाँवड़ा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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पावड़ी :
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स्त्री०=पाँवरी (खड़ाऊँ या जूता)। |
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पावती :
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स्त्री० [हिं० पावना] १. किसी चीज के पहुँचने की लिखित सूचना या प्राप्ति की स्वीकृति। जैसे—पत्र की पावती भेजना। २. किसी से रुपए लेने पर उसकी दी जानेवाली पक्की रसीद। |
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पावतीपत्र :
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पुं०=पावती। |
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पावदान :
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पुं० [फा० पाएदान या हिं० पाँव+फा० दान (प्रत्य०)] १. ऊँचे यानों या सवारियों में वह अंग या स्थान जिस पर पाँव रखकर उन पर सवार हुआ जाता है। जैसे—घोड़ागाड़ी या रेलगाड़ी का पावदान। २. मेज के नीचे रखी जानेवाली वह चौकी या लकड़ी की कोई रचना जिस पर कुरसी पर बैठनेवाले पैर रखते हैं। ३. जटा, मूँज, सन आदि अथवा धातु के तारों का बना हुआ वह चौकोर टुकड़ा जो कमरों के दरवाजे के पास पैर पोंछने के लिए रखा जाता है। |
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पावन :
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वि० [सं√पू+णिच्+ल्यु—अन] [स्त्री० पावनी, भाव० पावनता] १. धार्मिक दृष्टि से, (वह चीज) जो पवित्र समझी जाती हो और दूसरों को भी पवित्र करती या बनाती हो। जैसे—पावन-जल। २. समस्त पदों के अंत में, पवित्र करने या बनानेवाला। जैसे—पतित-पावन। उदा०—सुनु खगपति यह कथा-पावनी।—तुलसी। पुं० १. पावकाग्नि। २. सिद्ध पुरुष। ३. प्रायश्चित्त। ४. जल। पानी। ५. गोबर। ६. रुद्राक्ष। ७. चंदन। ८. शिलारस। ९. गोबर। १॰. कुट नामक ओषधि। ११. पीली भंगरैया। १२. चित्रक। चीता। १३. विष्णु। १४. व्यासदेव का एक नाम। |
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पावनता :
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स्त्री० [सं० पावन+तल्—सप्] पावन होने की अवस्था या भाव। पवित्रता। |
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पावनताई :
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स्त्री०=पावनता।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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पावनत्व :
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पुं० [सं० पावन+त्व]=पावनता। |
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पावन-ध्वनि :
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पुं० [सं० ब० स०] १. शंख-नाद। २. शंख। |
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पावना :
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पुं० [सं० प्रापण, प्रा० पावण] वह जो अधिकार, न्याय आदि की दृष्टि से किसी से प्राप्त किया जाने को हो या किया जा सकता हो। प्राप्य धन या वस्तु। जैसे—बाजार में उनका हजारों रुपयों का पावना पड़ा (या बाकी) है। लहना। (ड्यूज) स० १. प्राप्त करना। पाना। २. प्रसाद, भोजन आदि के रूप में मिली हुई वस्तु खाना या पीना। जैसे—हम यहीं प्रसाद पावेंगे। ३. किसी चीज या बात का ज्ञान, परिचय आदि प्राप्त करना। ४. दे० ‘पाना’। |
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पावनि :
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पुं० [सं० पवन+इञ्] पवन के पुत्र हनुमान आदि। |
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पावनी :
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वि० स्त्री० [सं० पावन+ङीप्] पावन का स्त्रीलिंग रूप। स्त्री० १. हड़। हर्रे। २. तुलसी। ३. गाय। गौ। ४. गंगा नदी। ५. पुराणानुसार शाक द्वीप की एक नदी। |
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पावनेदार :
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पुं० [हिं० पावना+फा० दार] वह जिसका किसी की ओर पावना निकलता हो। दूसरे से प्राप्य धन लेने का अधिकारी। लहनदार। |
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पावन्न :
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वि०=पावन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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पावमान :
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वि० [सं० पवमान+अण्] (सूक्त) जिसमें पवमान अग्नि की स्तुति की गयी हो। (वेद) |
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पावमानी :
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स्त्री० [सं० पावमान+ङीष्] वेद की एक ऋचा। |
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पाव-मुहर :
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स्त्री० [हिं० पाव=चौथाई+मुहर] शाहजहाँ के समय का सोने का एक सिक्का जिसका मूल्य एक अशरफी या एक मुहर का चौथाई होता था। |
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पावर :
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पुं० [सं०] १. वह पासा जिस पर दो बिंदियाँ बनी हों। २. पासा फेंकने का एक प्रकार का ढंग या हाथ। पुं० [अं०] १. वह शक्ति जिससे मशीनें चलाई जाती हैं। यंत्र चलानेवाली शक्ति (जैसे—विद्युत्)। २. अधिकार। शक्ति। ३. सैन्यबल। ४. शासनिक शक्ति। पुं०=पामर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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पाव-रोटी :
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स्त्री० [पुर्त० पाव=रोटी+हिं० रोटी] मैदे, सूजी आदि का खमीर उठाकर बनाई जानेवाली एक तरह की मोटी और फूली हुई रोटी। डबलरोटी। |
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पावल :
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स्त्री०=पायल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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पावली :
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स्त्री० [हिं० पाव=चौथाई+ला (प्रत्य०)] एक रुपये के चौथाई भाग का सिक्का। चवन्नी। |
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पावस :
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स्त्री० [सं० प्रावृष; प्रा० पाउस] १. वर्षाकाल। बरसात। २. वर्षा। वृष्टि। ३. वर्षाऋतु में समुद्र की ओर से आनेवाली वे हवाएँ जो घटनाओं के रूप में होती हैं और जल बरसाती हैं। (मानसून) |
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पावा :
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पुं०=पाया।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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पावी :
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स्त्री० [देश०] एक प्रकार की मैना (पक्षी)। |
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पावँ :
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पुं० =पाँव। |
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पाव :
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पुं० [सं० पाद=चतुर्थांश] १. किसी पदार्थ का चौथाई अंश या भाग। २. वह जो तौल या मान में एक सेर का चैथाई भाग अर्थात् चार छटाँक हो। ३. उक्त तौल का बटखरा। ४. नौ गिरह का माप जो एक गज का चतुर्थांश होता है। पद—पाव भर=(क) तौल में चार छटाँक। (ख) माप में नौगिरह। स्त्री० दे० ‘पो’ (पासे का दाँव)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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पावक :
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वि० [सं०√पू (पवित्र करना)+ण्वुल्—अक] पवित्र करनेवाला। पुं० १. अग्नि। आग। २. अग्निमंथ या अगियारी नामक वृक्ष। ३. चित्रक या चीता नामक वृक्ष। ४. भिलावाँ। ५. बाय-बिडंग। ६. कुसुम। बर्रे। ७. वरुण वृक्ष। ८. सूर्य। ९. सदाचार। |
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पावक-प्रणि :
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पुं० [सं० कर्म० स०] सूर्य्यकान्त मणि। आतशी शीशा। |
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पावका :
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स्त्री० [सं० पाव√कै+क+टाप्] सरस्वती। (वेद) |
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पावकात्मज :
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पुं० [सं० पावक-आत्मज, ष० त०] पावकि। |
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पावकि :
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पुं० [सं० पावक+इञ्] १. पावक का पुत्र। कार्तिकेय। २. इक्ष्वाकुवंशीय दुर्योधन की कन्या सुदर्शना का पुत्र सुदर्शन। |
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पावकी :
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स्त्री० [सं० पावक+ङीष्] १. अग्नि की स्त्री। २. सरस्वती। (वेद) |
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पाव-कुलक :
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पुं०=पादाकुलक। |
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पावचार :
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वि० [सं० पावन-आचार] पवित्र और श्रेष्ठ आचरण करनेवाला। उदा०—तब देखि दुहूँ तिह पावचार।—गुरुगोविंदसिंह। पुं० पवित्र और श्रेष्ठ आचरण। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पावड़ा :
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पुं०=पाँवड़ा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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उपलब्ध नहीं |
पावड़ी :
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स्त्री०=पाँवरी (खड़ाऊँ या जूता)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पावती :
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स्त्री० [हिं० पावना] १. किसी चीज के पहुँचने की लिखित सूचना या प्राप्ति की स्वीकृति। जैसे—पत्र की पावती भेजना। २. किसी से रुपए लेने पर उसकी दी जानेवाली पक्की रसीद। |
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पावतीपत्र :
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पुं०=पावती। |
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पावदान :
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पुं० [फा० पाएदान या हिं० पाँव+फा० दान (प्रत्य०)] १. ऊँचे यानों या सवारियों में वह अंग या स्थान जिस पर पाँव रखकर उन पर सवार हुआ जाता है। जैसे—घोड़ागाड़ी या रेलगाड़ी का पावदान। २. मेज के नीचे रखी जानेवाली वह चौकी या लकड़ी की कोई रचना जिस पर कुरसी पर बैठनेवाले पैर रखते हैं। ३. जटा, मूँज, सन आदि अथवा धातु के तारों का बना हुआ वह चौकोर टुकड़ा जो कमरों के दरवाजे के पास पैर पोंछने के लिए रखा जाता है। |
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पावन :
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वि० [सं√पू+णिच्+ल्यु—अन] [स्त्री० पावनी, भाव० पावनता] १. धार्मिक दृष्टि से, (वह चीज) जो पवित्र समझी जाती हो और दूसरों को भी पवित्र करती या बनाती हो। जैसे—पावन-जल। २. समस्त पदों के अंत में, पवित्र करने या बनानेवाला। जैसे—पतित-पावन। उदा०—सुनु खगपति यह कथा-पावनी।—तुलसी। पुं० १. पावकाग्नि। २. सिद्ध पुरुष। ३. प्रायश्चित्त। ४. जल। पानी। ५. गोबर। ६. रुद्राक्ष। ७. चंदन। ८. शिलारस। ९. गोबर। १॰. कुट नामक ओषधि। ११. पीली भंगरैया। १२. चित्रक। चीता। १३. विष्णु। १४. व्यासदेव का एक नाम। |
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पावनता :
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स्त्री० [सं० पावन+तल्—सप्] पावन होने की अवस्था या भाव। पवित्रता। |
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पावनताई :
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स्त्री०=पावनता।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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पावनत्व :
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पुं० [सं० पावन+त्व]=पावनता। |
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पावन-ध्वनि :
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पुं० [सं० ब० स०] १. शंख-नाद। २. शंख। |
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पावना :
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पुं० [सं० प्रापण, प्रा० पावण] वह जो अधिकार, न्याय आदि की दृष्टि से किसी से प्राप्त किया जाने को हो या किया जा सकता हो। प्राप्य धन या वस्तु। जैसे—बाजार में उनका हजारों रुपयों का पावना पड़ा (या बाकी) है। लहना। (ड्यूज) स० १. प्राप्त करना। पाना। २. प्रसाद, भोजन आदि के रूप में मिली हुई वस्तु खाना या पीना। जैसे—हम यहीं प्रसाद पावेंगे। ३. किसी चीज या बात का ज्ञान, परिचय आदि प्राप्त करना। ४. दे० ‘पाना’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पावनि :
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पुं० [सं० पवन+इञ्] पवन के पुत्र हनुमान आदि। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पावनी :
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वि० स्त्री० [सं० पावन+ङीप्] पावन का स्त्रीलिंग रूप। स्त्री० १. हड़। हर्रे। २. तुलसी। ३. गाय। गौ। ४. गंगा नदी। ५. पुराणानुसार शाक द्वीप की एक नदी। |
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उपलब्ध नहीं |
पावनेदार :
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पुं० [हिं० पावना+फा० दार] वह जिसका किसी की ओर पावना निकलता हो। दूसरे से प्राप्य धन लेने का अधिकारी। लहनदार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पावन्न :
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वि०=पावन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पावमान :
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वि० [सं० पवमान+अण्] (सूक्त) जिसमें पवमान अग्नि की स्तुति की गयी हो। (वेद) |
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उपलब्ध नहीं |
पावमानी :
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स्त्री० [सं० पावमान+ङीष्] वेद की एक ऋचा। |
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समानार्थी शब्द-
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पाव-मुहर :
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स्त्री० [हिं० पाव=चौथाई+मुहर] शाहजहाँ के समय का सोने का एक सिक्का जिसका मूल्य एक अशरफी या एक मुहर का चौथाई होता था। |
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उपलब्ध नहीं |
पावर :
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पुं० [सं०] १. वह पासा जिस पर दो बिंदियाँ बनी हों। २. पासा फेंकने का एक प्रकार का ढंग या हाथ। पुं० [अं०] १. वह शक्ति जिससे मशीनें चलाई जाती हैं। यंत्र चलानेवाली शक्ति (जैसे—विद्युत्)। २. अधिकार। शक्ति। ३. सैन्यबल। ४. शासनिक शक्ति। पुं०=पामर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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पाव-रोटी :
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स्त्री० [पुर्त० पाव=रोटी+हिं० रोटी] मैदे, सूजी आदि का खमीर उठाकर बनाई जानेवाली एक तरह की मोटी और फूली हुई रोटी। डबलरोटी। |
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समानार्थी शब्द-
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पावल :
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स्त्री०=पायल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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पावली :
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स्त्री० [हिं० पाव=चौथाई+ला (प्रत्य०)] एक रुपये के चौथाई भाग का सिक्का। चवन्नी। |
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पावस :
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स्त्री० [सं० प्रावृष; प्रा० पाउस] १. वर्षाकाल। बरसात। २. वर्षा। वृष्टि। ३. वर्षाऋतु में समुद्र की ओर से आनेवाली वे हवाएँ जो घटनाओं के रूप में होती हैं और जल बरसाती हैं। (मानसून) |
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समानार्थी शब्द-
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पावा :
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पुं०=पाया।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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पावी :
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स्त्री० [देश०] एक प्रकार की मैना (पक्षी)। |
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