| शब्द का अर्थ | 
					
				| पिण					 : | अव्य० [?] भी। (डि०) उदा०—परदल पिण जीणि पदमणी परणे।—प्रिथीराज। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पिण्या					 : | स्त्री० [सं० पण् (स्तुति करना)+यत्, पृषो० इत्व] मालकंगनी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पिण्याक					 : | पुं० [सं०√पण्+अकन्, नि० सिद्ध] १. तिल या सरसों की खली। २. हींग। ३. शिलाजीत। ४. शिलारस। ५. केसर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पिण					 : | अव्य० [?] भी। (डि०) उदा०—परदल पिण जीणि पदमणी परणे।—प्रिथीराज। | 
			
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				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पिण्या					 : | स्त्री० [सं० पण् (स्तुति करना)+यत्, पृषो० इत्व] मालकंगनी। | 
			
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				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पिण्याक					 : | पुं० [सं०√पण्+अकन्, नि० सिद्ध] १. तिल या सरसों की खली। २. हींग। ३. शिलाजीत। ४. शिलारस। ५. केसर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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