| शब्द का अर्थ | 
					
				| पिपर					 : | पुं०=पीपल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पिपरमिंट					 : | पुं० [अं० पेपरमिंट] १. पुदीने की जाति का परन्तु उससे भिन्न एक प्रकार का पौधा जो यूरोप और अमेरिका में होता है। इसकी पत्तियों में एक विशेष प्रकार की गंध और ठंढक होती है। २. उक्त पत्तियों का निकाला हुआ सत्त या सार भाग जो छोटे सफेद रवे के रूप में होता और पाचक माना जाता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पिपरामूल					 : | पुं० [हिं० पीपल+सं० मूल] पीपल की जड़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पिपराही					 : | पुं० [हिं० पिपर+आही (प्रत्य०)] पीपल का जंगल या वन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पिपरिहा					 : | पुं० [पिपरहा (स्थान)] राजपूतों की एक शाखा या अल्ल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पिपरी					 : | स्त्री० [हिं० पियरा] १. पीलापन। २. पीली रंगी हुई वह धोती जो प्रायः देवियों, नदियों आदि को चढ़ाई जाती है। उदा०—कोउ थाननि के थान तानि पियरी पहिरावत।—रत्ना०। ३. उक्त प्रकार की वह धोती जो वर और वधू को विवाह के समय पहनाई जाती है। ४. एक प्रकार की चिड़िया। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पिपर					 : | पुं०=पीपल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पिपरमिंट					 : | पुं० [अं० पेपरमिंट] १. पुदीने की जाति का परन्तु उससे भिन्न एक प्रकार का पौधा जो यूरोप और अमेरिका में होता है। इसकी पत्तियों में एक विशेष प्रकार की गंध और ठंढक होती है। २. उक्त पत्तियों का निकाला हुआ सत्त या सार भाग जो छोटे सफेद रवे के रूप में होता और पाचक माना जाता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पिपरामूल					 : | पुं० [हिं० पीपल+सं० मूल] पीपल की जड़। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पिपराही					 : | पुं० [हिं० पिपर+आही (प्रत्य०)] पीपल का जंगल या वन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पिपरिहा					 : | पुं० [पिपरहा (स्थान)] राजपूतों की एक शाखा या अल्ल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पिपरी					 : | स्त्री० [हिं० पियरा] १. पीलापन। २. पीली रंगी हुई वह धोती जो प्रायः देवियों, नदियों आदि को चढ़ाई जाती है। उदा०—कोउ थाननि के थान तानि पियरी पहिरावत।—रत्ना०। ३. उक्त प्रकार की वह धोती जो वर और वधू को विवाह के समय पहनाई जाती है। ४. एक प्रकार की चिड़िया। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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