| शब्द का अर्थ | 
					
				| पुंग					 : | पुं० [सं०=पूग, पृषो० सिद्धि] बहुत बड़ा ढेर। राशि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पुंगफल					 : | पुं०=पूंगीफल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पुंगल					 : | पुं० [सं० पुंग√ला (लेना)+क] आत्मा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पुंगव					 : | पुं० [सं० कर्म० स०,+षच्] १. बैल। वृष। सांड़। २. ओषधि के काम में आनेवाली एक वनस्पति। वि० उत्तम। श्रेष्ठ। जैसे—नर-पुंगव=मनुष्यों में श्रेष्ठ। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पुंगव-केतु					 : | पुं० [ब० स०] वृषभध्वज। शिव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पुंगी					 : | स्त्री० [हिं० खोंगी] पत्ते का वह पतला चोंगा जिसमें तम्बाकू भरकर पीते हैं। उदा०—पुंगी के सिरे पर आग चिलचिला उठी।—वृन्दावनवलाल वर्मा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पुंगीफल					 : | पुं०=‘पूंगीफल’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पुंग					 : | पुं० [सं०=पूग, पृषो० सिद्धि] बहुत बड़ा ढेर। राशि। | 
			
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				| पुंगफल					 : | पुं०=पूंगीफल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पुंगल					 : | पुं० [सं० पुंग√ला (लेना)+क] आत्मा। | 
			
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				| पुंगव					 : | पुं० [सं० कर्म० स०,+षच्] १. बैल। वृष। सांड़। २. ओषधि के काम में आनेवाली एक वनस्पति। वि० उत्तम। श्रेष्ठ। जैसे—नर-पुंगव=मनुष्यों में श्रेष्ठ। | 
			
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				| पुंगव-केतु					 : | पुं० [ब० स०] वृषभध्वज। शिव। | 
			
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				| पुंगी					 : | स्त्री० [हिं० खोंगी] पत्ते का वह पतला चोंगा जिसमें तम्बाकू भरकर पीते हैं। उदा०—पुंगी के सिरे पर आग चिलचिला उठी।—वृन्दावनवलाल वर्मा। | 
			
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				| पुंगीफल					 : | पुं०=‘पूंगीफल’। | 
			
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