शब्द का अर्थ
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पुंड :
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पुं० [सं०√पुंड् (मलना)+अच्] १. चंदन आदि का टीका। तिलक। २. दक्षिण भारत में बसने वाली एक जाति जो पहले रेशम के कीड़े पालती थी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुंडरिया :
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पुं० [सं० पुंडरीक] पुंडरी का पौधा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुंडरी (रिन्) :
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पुं० [सं० पुंड√ऋ (गति)+णिनि] एक प्रकार का पौधा जिसकी सुगंधित पत्तियाँ शालपर्णी की पत्तियों की-सी होती है। इसका रस आँख के रोगों में हितकर माना गया है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुंडरीक :
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पुं० [सं०√पुंड+ईक्, नि० सिद्धि] १. श्वेत कमल। २. कमल। ३. रेशम का कीडा। ४. बाघ। शेर। ५. एक सुगंधित पौधा। पुंडरिया। ६. सफेदा छाता। ७. कमंडल। ८. तिलक। ९. एक यज्ञ। १॰. सफेदा आम। ११. एक तरह का धान। १२. सफेद हाथी। १३. एक तरह की ईख। पौंड़ा १४. चीनी। १५. सफेद रंग का साँप। १६. एक प्रकार का बाज पक्षी। १७. श्वेतकुष्ठ। १८. हाथियों का ज्वर। १९. एक नाग। २॰. अग्निकोण का दिग्गज। २१. क्रौंच द्वीप का एक पर्वत। २२. एक तीर्थ। २३. अग्नि। आग। २४. तीर। वाण। २५. आकाश। २६. जैनों के एक गणधर। २७. दमन या दौना नाम का पौधा। २८. सफेद रंग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुंडरीकाक्ष :
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पुं० [पुंडरीक-अक्षि, ब० स०,+षच्] १. विष्णु या नारायण, जिनके नेत्र कमल के समान माने गये हैं। २. रेशम के कीड़े पालनेवाली एक प्राचीन जाति। वि० जिसके नेत्र कमल के समान बड़े और सुन्दर हों। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुंडरीकाख :
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पुं०=पुंडरीकाक्ष।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुंडरीयक :
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पुं० [सं० पुंडरिन्+क्यच्+ण्वुल—अक] १. पुंडरी का पौधा। २. स्थल कमल। ३. एक औषध। ४. एक विश्वदेव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुंडर्य :
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पुं० [सं०√पुण्ड+अच्, पुण्ड-अर्य, ष० त०, पररूप] पुंडरी नामक पौधा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुंड्र :
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पुं० [सं०√पुण्ड+रक्] १. लाल रंग का एक तरह का मोटा गन्ना। पौंड़ा। २. तिनिश का वृक्ष। ३. माधवी लता। ४. पाकर वृक्ष। ५. सफेद कमल। ६. माथे पर लगाया जानेवाला टीका या तिलक। ७. तिलक का पौधा। ८. बलि के पुत्र एक दैत्य का नाम। ९. उक्त दैत्य के नाम पर बसा हुआ भारत का एक प्राचीन देश। १॰. उक्त प्रदेश का प्राचीन नाम जिसमें आज-कल पुरनियाँ, मालदह, दीनाजपुर और राजशाही के कुछ क्षेत्र सम्मिलित थे। ११. उक्त देश का निवासी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुंड्रक :
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पुं० [सं० पुंड्र+कन्] १. माधली लता। २. टीका। तिलक। ३. तिलक का वृक्ष। ४. पुंड्र या पौड़ा नामक ईख। ५. रेशम के कीड़े पालनेवाला व्यक्ति। ६. घोड़े के शरीर का एक चिह्न या लक्षण जो रोएँ के रंग के भेद से होता है और जो शंख, चक्र, गदा, पद्य, खड्ग अंकुश या धनुष के आकार का होता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुंड्र-केलि :
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पुं० [ब० स०] हाथी। |
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समानार्थी शब्द-
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पुंड्र-वर्द्धन :
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पुं० [ष० त०] प्राचीन प्रंड्र देश की राजधानी जो तीर्थ भी थी। |
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पुंड :
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पुं० [सं०√पुंड् (मलना)+अच्] १. चंदन आदि का टीका। तिलक। २. दक्षिण भारत में बसने वाली एक जाति जो पहले रेशम के कीड़े पालती थी। |
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पुंडरिया :
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पुं० [सं० पुंडरीक] पुंडरी का पौधा। |
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पुंडरी (रिन्) :
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पुं० [सं० पुंड√ऋ (गति)+णिनि] एक प्रकार का पौधा जिसकी सुगंधित पत्तियाँ शालपर्णी की पत्तियों की-सी होती है। इसका रस आँख के रोगों में हितकर माना गया है। |
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पुं० [सं०√पुंड+ईक्, नि० सिद्धि] १. श्वेत कमल। २. कमल। ३. रेशम का कीडा। ४. बाघ। शेर। ५. एक सुगंधित पौधा। पुंडरिया। ६. सफेदा छाता। ७. कमंडल। ८. तिलक। ९. एक यज्ञ। १॰. सफेदा आम। ११. एक तरह का धान। १२. सफेद हाथी। १३. एक तरह की ईख। पौंड़ा १४. चीनी। १५. सफेद रंग का साँप। १६. एक प्रकार का बाज पक्षी। १७. श्वेतकुष्ठ। १८. हाथियों का ज्वर। १९. एक नाग। २॰. अग्निकोण का दिग्गज। २१. क्रौंच द्वीप का एक पर्वत। २२. एक तीर्थ। २३. अग्नि। आग। २४. तीर। वाण। २५. आकाश। २६. जैनों के एक गणधर। २७. दमन या दौना नाम का पौधा। २८. सफेद रंग। |
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पुंडरीकाक्ष :
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पुं० [पुंडरीक-अक्षि, ब० स०,+षच्] १. विष्णु या नारायण, जिनके नेत्र कमल के समान माने गये हैं। २. रेशम के कीड़े पालनेवाली एक प्राचीन जाति। वि० जिसके नेत्र कमल के समान बड़े और सुन्दर हों। |
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पुंडरीकाख :
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पुं०=पुंडरीकाक्ष।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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पुंडरीयक :
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पुं० [सं० पुंडरिन्+क्यच्+ण्वुल—अक] १. पुंडरी का पौधा। २. स्थल कमल। ३. एक औषध। ४. एक विश्वदेव। |
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पुंडर्य :
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पुं० [सं०√पुण्ड+अच्, पुण्ड-अर्य, ष० त०, पररूप] पुंडरी नामक पौधा। |
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पुंड्र :
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पुं० [सं०√पुण्ड+रक्] १. लाल रंग का एक तरह का मोटा गन्ना। पौंड़ा। २. तिनिश का वृक्ष। ३. माधवी लता। ४. पाकर वृक्ष। ५. सफेद कमल। ६. माथे पर लगाया जानेवाला टीका या तिलक। ७. तिलक का पौधा। ८. बलि के पुत्र एक दैत्य का नाम। ९. उक्त दैत्य के नाम पर बसा हुआ भारत का एक प्राचीन देश। १॰. उक्त प्रदेश का प्राचीन नाम जिसमें आज-कल पुरनियाँ, मालदह, दीनाजपुर और राजशाही के कुछ क्षेत्र सम्मिलित थे। ११. उक्त देश का निवासी। |
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पुंड्रक :
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पुं० [सं० पुंड्र+कन्] १. माधली लता। २. टीका। तिलक। ३. तिलक का वृक्ष। ४. पुंड्र या पौड़ा नामक ईख। ५. रेशम के कीड़े पालनेवाला व्यक्ति। ६. घोड़े के शरीर का एक चिह्न या लक्षण जो रोएँ के रंग के भेद से होता है और जो शंख, चक्र, गदा, पद्य, खड्ग अंकुश या धनुष के आकार का होता है। |
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पुंड्र-केलि :
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पुं० [ब० स०] हाथी। |
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पुंड्र-वर्द्धन :
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पुं० [ष० त०] प्राचीन प्रंड्र देश की राजधानी जो तीर्थ भी थी। |
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