शब्द का अर्थ
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पुंड्र :
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पुं० [सं०√पुण्ड+रक्] १. लाल रंग का एक तरह का मोटा गन्ना। पौंड़ा। २. तिनिश का वृक्ष। ३. माधवी लता। ४. पाकर वृक्ष। ५. सफेद कमल। ६. माथे पर लगाया जानेवाला टीका या तिलक। ७. तिलक का पौधा। ८. बलि के पुत्र एक दैत्य का नाम। ९. उक्त दैत्य के नाम पर बसा हुआ भारत का एक प्राचीन देश। १॰. उक्त प्रदेश का प्राचीन नाम जिसमें आज-कल पुरनियाँ, मालदह, दीनाजपुर और राजशाही के कुछ क्षेत्र सम्मिलित थे। ११. उक्त देश का निवासी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुंड्रक :
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पुं० [सं० पुंड्र+कन्] १. माधली लता। २. टीका। तिलक। ३. तिलक का वृक्ष। ४. पुंड्र या पौड़ा नामक ईख। ५. रेशम के कीड़े पालनेवाला व्यक्ति। ६. घोड़े के शरीर का एक चिह्न या लक्षण जो रोएँ के रंग के भेद से होता है और जो शंख, चक्र, गदा, पद्य, खड्ग अंकुश या धनुष के आकार का होता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुंड्र-केलि :
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पुं० [ब० स०] हाथी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुंड्र-वर्द्धन :
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पुं० [ष० त०] प्राचीन प्रंड्र देश की राजधानी जो तीर्थ भी थी। |
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पुंड्र :
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पुं० [सं०√पुण्ड+रक्] १. लाल रंग का एक तरह का मोटा गन्ना। पौंड़ा। २. तिनिश का वृक्ष। ३. माधवी लता। ४. पाकर वृक्ष। ५. सफेद कमल। ६. माथे पर लगाया जानेवाला टीका या तिलक। ७. तिलक का पौधा। ८. बलि के पुत्र एक दैत्य का नाम। ९. उक्त दैत्य के नाम पर बसा हुआ भारत का एक प्राचीन देश। १॰. उक्त प्रदेश का प्राचीन नाम जिसमें आज-कल पुरनियाँ, मालदह, दीनाजपुर और राजशाही के कुछ क्षेत्र सम्मिलित थे। ११. उक्त देश का निवासी। |
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पुंड्रक :
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पुं० [सं० पुंड्र+कन्] १. माधली लता। २. टीका। तिलक। ३. तिलक का वृक्ष। ४. पुंड्र या पौड़ा नामक ईख। ५. रेशम के कीड़े पालनेवाला व्यक्ति। ६. घोड़े के शरीर का एक चिह्न या लक्षण जो रोएँ के रंग के भेद से होता है और जो शंख, चक्र, गदा, पद्य, खड्ग अंकुश या धनुष के आकार का होता है। |
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पुंड्र-केलि :
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पुं० [ब० स०] हाथी। |
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पुंड्र-वर्द्धन :
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पुं० [ष० त०] प्राचीन प्रंड्र देश की राजधानी जो तीर्थ भी थी। |
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