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पुचारा  : पुं० [अनु० पुचपुच=भीगे कपड़े को दबाने का शब्द या हिं० पोतना से पुचारा] १. किसी चीज पर पतला लेप करने या पोतने का काम। २. भीगे हुए कपड़े से जमीन रगड़कर पोंछने का काम। क्रि० प्र०—देना।—फेरना। ३. वह कपड़ा या और कोई ऐसी चीज जिससे उक्त क्रिया या भाव। ४. वह घोल या तरल पदार्थ जो किसी दूसरी चीज पर पोता या लेपा जाय। क्रि० प्र०—फेरना—लगाना। ५. उक्त प्रकार के लेप से किसी चीज पर चढ़ी हुई तह या परत। ६. छोड़ी या दगी हुई तोप या बंदूक की गरम नली ठंढी करने के लिए उस पर गीला कपड़ा फेरने की क्रिया। ७. किसी को पुचकारने या प्रसन्न करते हुए कही जानेवाली ऐसी बात जो उसे अपने अनुकूल करने या किसी के विरुद्ध उभारने के लिए कही जाय। क्रि० प्र०—देना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पुचारा  : पुं० [अनु० पुचपुच=भीगे कपड़े को दबाने का शब्द या हिं० पोतना से पुचारा] १. किसी चीज पर पतला लेप करने या पोतने का काम। २. भीगे हुए कपड़े से जमीन रगड़कर पोंछने का काम। क्रि० प्र०—देना।—फेरना। ३. वह कपड़ा या और कोई ऐसी चीज जिससे उक्त क्रिया या भाव। ४. वह घोल या तरल पदार्थ जो किसी दूसरी चीज पर पोता या लेपा जाय। क्रि० प्र०—फेरना—लगाना। ५. उक्त प्रकार के लेप से किसी चीज पर चढ़ी हुई तह या परत। ६. छोड़ी या दगी हुई तोप या बंदूक की गरम नली ठंढी करने के लिए उस पर गीला कपड़ा फेरने की क्रिया। ७. किसी को पुचकारने या प्रसन्न करते हुए कही जानेवाली ऐसी बात जो उसे अपने अनुकूल करने या किसी के विरुद्ध उभारने के लिए कही जाय। क्रि० प्र०—देना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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