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			| शब्द का अर्थ |  
				| पुरजा					 : | पुं० [फा० पुर्जः] १. टुकड़ा। खंड। मुहा०—पुरजे पुरजे उड़ाना या करना=कागज, पत्र आदि को फाड़कर उसके अनेक छोटे-छोटे टुकड़े कर देना। २. काटकर निकाला हुआ टुकड़ा। कतरन। धज्जी। ३. कागज के टुकड़े पर लिखी हुई बात या सूचना। ४. किसी के हस्ते भेजी जाने वाली चिट्टी। ५. किसी बड़े यंत्र का कोई अंग, अंश या खंड। जैसे—घड़ी के कई पुरजे खराब हो गये हैं। पद—चलता पुरजा=बहुत बड़ा चालाक। मुहा०—(किसी के दिमाग का) पुरजा ढीला होना=कुछ खबती, झक्की या सनकी होना। |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |  
				| पुरजा					 : | पुं० [फा० पुर्जः] १. टुकड़ा। खंड। मुहा०—पुरजे पुरजे उड़ाना या करना=कागज, पत्र आदि को फाड़कर उसके अनेक छोटे-छोटे टुकड़े कर देना। २. काटकर निकाला हुआ टुकड़ा। कतरन। धज्जी। ३. कागज के टुकड़े पर लिखी हुई बात या सूचना। ४. किसी के हस्ते भेजी जाने वाली चिट्टी। ५. किसी बड़े यंत्र का कोई अंग, अंश या खंड। जैसे—घड़ी के कई पुरजे खराब हो गये हैं। पद—चलता पुरजा=बहुत बड़ा चालाक। मुहा०—(किसी के दिमाग का) पुरजा ढीला होना=कुछ खबती, झक्की या सनकी होना। |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
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