| शब्द का अर्थ | 
					
				| पुरश्चरण					 : | पुं० [सं० पुरस्√चर् (गति)+ल्युट्—अन] १. किसी कार्य की सिद्धि के लिए पहले से ही उपाय सोचना और उसका अनुष्ठान करना। किसी काम की पहले से की जानेवाली तैयारी। २. किसी विशिष्ट उद्देश्य की सिद्धि के लिए नियम और विधान पूर्वक कुछ निश्चित समय तक किया जानेवाला तांत्रिक पूजा-पाठ। तांत्रिक प्रयोग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पुरश्चरण					 : | पुं० [सं० पुरस्√चर् (गति)+ल्युट्—अन] १. किसी कार्य की सिद्धि के लिए पहले से ही उपाय सोचना और उसका अनुष्ठान करना। किसी काम की पहले से की जानेवाली तैयारी। २. किसी विशिष्ट उद्देश्य की सिद्धि के लिए नियम और विधान पूर्वक कुछ निश्चित समय तक किया जानेवाला तांत्रिक पूजा-पाठ। तांत्रिक प्रयोग। | 
			
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				उपलब्ध नहीं |