| शब्द का अर्थ | 
					
				| पुश्त					 : | स्त्री० [फा०] १. पशुओं, मनुष्यों आदि की पीठ। जैसे—पुश्तखम=टेढी पीठवाला, अर्थात् कुबड़ा। २. किसी चीज का पिछला भाग। पृष्ठ-भाग। पोछा। ३. वंश-परम्परा में की प्रत्येक श्रेणी या स्थान जिस पर कोई पुरुष रहा हो या आने को हो। पीढी़। (जेनरेशन)। पद—पुश्त-दरपुश्त=बराबर या लगातार हर पीढी में। पुश्तहा-पुश्त=(क) कई पीढ़ियों से। (ख) कई पीढ़ियों तक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पुश्तक					 : | स्त्री० [फा०] पशुओं द्वारा पिछले दोनों पैर उठाकर किया जानेवाला आघात। दोलत्ती। क्रि० प्र०—झाड़ना।—मारना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पुश्तखार					 : | पुं० [फा०] पीठ खुजलाने का सींग, हाथी दाँत आदि का एक तरह का पंजा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पुश्तनामा					 : | पुं० [फा० पुश्तनामः] वह कागज जिस पर पूर्वापर क्रम से किसी कुल में उत्पन्न हुए लोगों के नाम लिखे होते हैं। वंशावली। कुरसीनामा। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पुश्तवानी					 : | स्त्री० [फा० पुश्त+हिं० वान् (प्रत्य०)] वह आड़ी लकड़ी जो किवाड़ के पीछे पल्ले की मजबूती के लिए लगाई जाती है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पुश्ता					 : | पुं० [फा० पुश्तः] १. ईंट, पत्थर मिट्टी आदि की वह ढालुईं वास्तु-रचना जो (क) नदियों के किनारे पानी की बाढ़ रोकने अथवा (ख) बड़ी और भारी दीवारों या ऊँची सड़कों को गिरने से बचाने के लिए उनके पार्श्व में खड़ी की जाती है। (एम्बैंकमेन्ट) २. किताब की जिल्द के पीछे, अर्थात् पुट्ठे पर लगा हुआ चमड़ा या ऐसी ही और कोई चीज। ३. संगीत में पौने चार मात्राओं का एक प्रकार का ताल जिसमें तीन आघात होते हैं और एक खाली रहता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पुश्तापुश्त					 : | अव्य० [फा०] १. कई पीढ़ियों से। २. कई पीढ़ियों तक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पुश्ताबंदी					 : | स्त्री० [फा०] पुश्ता उठाने, खड़ा करने या बाँधने की क्रिया या भाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पुश्तारा					 : | पुं० [फा० पुश्तवारः] वह बोझ जो पीठ पर उठाया जाय, या उठाया जा सके। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पुश्ती					 : | स्त्री० [फा०] १. टेक। सहारा। आश्रय। थाम। २. वह टेक या सहारा जो किसी चीज के पीछे उसे खड़ी रखने या गिरने से बचाने के लिए लगाया जाय़। ३. पीछे की ओर से की जानेवाली मदद या दी जानेवाली सहायता। पृष्ठ-पोषण। ४. पक्षपात। तरफदारी। ५. पालन-पोषण। क्रि० प्र०—लेना। ६. पीठ टेककर बैठने का बहुत बड़ा तकिया। गाव-तकिया। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पुश्तैन					 : | स्त्री० [फा० पुश्त] वंशपरंपरा। पीढ़ी-दर-पीढ़ी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पुश्तैनी					 : | वि० [हिं० पुश्तैन] १. जो पुरानी पीढ़ी के लोगों के अधिकार में रहा हो। जैसे—हमारा पुश्तैनी मकान बिक चुका है। २. जो कई पीढ़ियों से बराबर चला आ रहा हो। जैसे—पुश्तैनी रोग। | 
			
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				| पुश्त					 : | स्त्री० [फा०] १. पशुओं, मनुष्यों आदि की पीठ। जैसे—पुश्तखम=टेढी पीठवाला, अर्थात् कुबड़ा। २. किसी चीज का पिछला भाग। पृष्ठ-भाग। पोछा। ३. वंश-परम्परा में की प्रत्येक श्रेणी या स्थान जिस पर कोई पुरुष रहा हो या आने को हो। पीढी़। (जेनरेशन)। पद—पुश्त-दरपुश्त=बराबर या लगातार हर पीढी में। पुश्तहा-पुश्त=(क) कई पीढ़ियों से। (ख) कई पीढ़ियों तक। | 
			
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				| पुश्तक					 : | स्त्री० [फा०] पशुओं द्वारा पिछले दोनों पैर उठाकर किया जानेवाला आघात। दोलत्ती। क्रि० प्र०—झाड़ना।—मारना। | 
			
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				| पुश्तखार					 : | पुं० [फा०] पीठ खुजलाने का सींग, हाथी दाँत आदि का एक तरह का पंजा। | 
			
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				| पुश्तनामा					 : | पुं० [फा० पुश्तनामः] वह कागज जिस पर पूर्वापर क्रम से किसी कुल में उत्पन्न हुए लोगों के नाम लिखे होते हैं। वंशावली। कुरसीनामा। | 
			
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				| पुश्तवानी					 : | स्त्री० [फा० पुश्त+हिं० वान् (प्रत्य०)] वह आड़ी लकड़ी जो किवाड़ के पीछे पल्ले की मजबूती के लिए लगाई जाती है। | 
			
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				| पुश्ता					 : | पुं० [फा० पुश्तः] १. ईंट, पत्थर मिट्टी आदि की वह ढालुईं वास्तु-रचना जो (क) नदियों के किनारे पानी की बाढ़ रोकने अथवा (ख) बड़ी और भारी दीवारों या ऊँची सड़कों को गिरने से बचाने के लिए उनके पार्श्व में खड़ी की जाती है। (एम्बैंकमेन्ट) २. किताब की जिल्द के पीछे, अर्थात् पुट्ठे पर लगा हुआ चमड़ा या ऐसी ही और कोई चीज। ३. संगीत में पौने चार मात्राओं का एक प्रकार का ताल जिसमें तीन आघात होते हैं और एक खाली रहता है। | 
			
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				| पुश्तापुश्त					 : | अव्य० [फा०] १. कई पीढ़ियों से। २. कई पीढ़ियों तक। | 
			
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				| पुश्तारा					 : | पुं० [फा० पुश्तवारः] वह बोझ जो पीठ पर उठाया जाय, या उठाया जा सके। | 
			
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				| पुश्तैन					 : | स्त्री० [फा० पुश्त] वंशपरंपरा। पीढ़ी-दर-पीढ़ी। | 
			
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				| पुश्तैनी					 : | वि० [हिं० पुश्तैन] १. जो पुरानी पीढ़ी के लोगों के अधिकार में रहा हो। जैसे—हमारा पुश्तैनी मकान बिक चुका है। २. जो कई पीढ़ियों से बराबर चला आ रहा हो। जैसे—पुश्तैनी रोग। | 
			
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