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			| शब्द का अर्थ |  
				| पुष्यलक					 : | पुं० [सं०√पुष्+कि, पुषि√अल् (पर्याप्ति)+ अच्+क] १. कस्तूरी मृग। २. वह जैन साधु जो हाथ में चँवर लिए रहता हो। ३. बड़ी और मोटी कील या खूँटा। |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |  
				| पुष्यलक					 : | पुं० [सं०√पुष्+कि, पुषि√अल् (पर्याप्ति)+ अच्+क] १. कस्तूरी मृग। २. वह जैन साधु जो हाथ में चँवर लिए रहता हो। ३. बड़ी और मोटी कील या खूँटा। |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |  |