| शब्द का अर्थ | 
					
				| पूग					 : | पुं० [सं०√पू+गन्] १. सुपारी का पेड़ और उसका फल। २. ढेरा। ३. शहतूत का पेड़। ४. कटहल। ५. एक प्रकार की कटेरी। ६. भाव। ७. छंद। ८. समूह। ढेर। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| पूग-कृत					 : | भू० कृ० [स० त०] १. स्तूप के आकार में बनाया हुआ। जो टीले के आकार का हो। २. एकत्र किया हुआ संगृहीत। संचित। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पूगना					 : | अ० [हिं० पूजना] १. पूरा होना। जैसे—हुंडी की मिती पूगना २. चौसर आदि के खेलों में गोटी, पासे आदि का नियत मार्ग से होते हुए अन्त में कोठे या घर में पहुँचना जो जीत का सूचक माना जाता है। ३. दे० ‘पूजना’। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| पूगपात्र					 : | पुं० [ष० त०] पीकदा। उगालदान। | 
			
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				| पूग-पीठ					 : | पुं० [ष० त०] पीकदान। | 
			
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				| पूग-पुष्पिका					 : | स्त्री० [ब० स०, कप्,+टाप्, इत्व] विवाह-संबंध स्थिर हो जाने पर दिया जाने वाला पुष्प सहित पान। पानफूल। | 
			
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				| पूग-फल					 : | पुं० [ष० त०] सुपारी। | 
			
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				| पूगरीठ					 : | पुं० [सं० पूग√रुट् (दीप्ति)+अच्] एक प्रकार का ताड़। | 
			
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				| पूगी (गिन्)					 : | पुं० [सं० पूग+इनि] सुपारी का पेड़। स्त्री० सुपारी। | 
			
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				| पूगीफल					 : | पुं० [सं० पूगफल] सुपारी। | 
			
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				| पूग्य					 : | वि० [सं० पूग+यत्] पूग-संबंधी। पूग का। | 
			
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				| पूग					 : | पुं० [सं०√पू+गन्] १. सुपारी का पेड़ और उसका फल। २. ढेरा। ३. शहतूत का पेड़। ४. कटहल। ५. एक प्रकार की कटेरी। ६. भाव। ७. छंद। ८. समूह। ढेर। | 
			
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				| पूग-कृत					 : | भू० कृ० [स० त०] १. स्तूप के आकार में बनाया हुआ। जो टीले के आकार का हो। २. एकत्र किया हुआ संगृहीत। संचित। | 
			
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				| पूगपात्र					 : | पुं० [ष० त०] पीकदा। उगालदान। | 
			
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				| पूग-पीठ					 : | पुं० [ष० त०] पीकदान। | 
			
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				| पूग-फल					 : | पुं० [ष० त०] सुपारी। | 
			
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				| पूगी (गिन्)					 : | पुं० [सं० पूग+इनि] सुपारी का पेड़। स्त्री० सुपारी। | 
			
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				| पूगीफल					 : | पुं० [सं० पूगफल] सुपारी। | 
			
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				| पूग्य					 : | वि० [सं० पूग+यत्] पूग-संबंधी। पूग का। | 
			
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