शब्द का अर्थ
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पूतना :
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स्त्री० [सं० पूतन+टाप्] १. एक राक्षसी जो कंस के कहने पर बालक कृष्ण को मारने के उद्देश्य से अपने स्तनों पर विष लगाकर, उसे स्तन-पान कराने आई थी। बालक कृष्ण ने इसका दुष्ट उद्देश्य जान लिया और इसे मार डाला। २. राक्षसी। दानवी। ३. सुश्रुत के अनुसार, एक बाल-ग्रह या बाल रोग जिसमें बच्चे को जल्दी अच्छी नींद नहीं आती। उसे पतले, मैले दस्त आते हैं, बहुत प्यास लगती है और बार-बार कै होती है। ४. कार्तिकेय की अनुचरी एक मातृका। ५. पीली हर्रे। ६. सुगंधित जटामासी। गन्ध-मासी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पूतनारि :
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पुं० [सं० ष० त०] पूतना के शत्रु; श्रीकृष्ण। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पूतना-दूषण :
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पुं० [ष० त०] श्रीकृष्ण। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पूतना-सूदन :
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पुं० [ष० त०] श्रीकृष्ण। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पूतनाहर्रे :
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स्त्री० [सं० पूतना+हिं० हर्रे] छोटी हर्रे। |
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पूतना :
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स्त्री० [सं० पूतन+टाप्] १. एक राक्षसी जो कंस के कहने पर बालक कृष्ण को मारने के उद्देश्य से अपने स्तनों पर विष लगाकर, उसे स्तन-पान कराने आई थी। बालक कृष्ण ने इसका दुष्ट उद्देश्य जान लिया और इसे मार डाला। २. राक्षसी। दानवी। ३. सुश्रुत के अनुसार, एक बाल-ग्रह या बाल रोग जिसमें बच्चे को जल्दी अच्छी नींद नहीं आती। उसे पतले, मैले दस्त आते हैं, बहुत प्यास लगती है और बार-बार कै होती है। ४. कार्तिकेय की अनुचरी एक मातृका। ५. पीली हर्रे। ६. सुगंधित जटामासी। गन्ध-मासी। |
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पूतनारि :
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पुं० [सं० ष० त०] पूतना के शत्रु; श्रीकृष्ण। |
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पूतना-दूषण :
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पुं० [ष० त०] श्रीकृष्ण। |
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पूतना-सूदन :
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पुं० [ष० त०] श्रीकृष्ण। |
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पूतनाहर्रे :
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स्त्री० [सं० पूतना+हिं० हर्रे] छोटी हर्रे। |
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