| शब्द का अर्थ | 
					
				| पूष					 : | पुं० [सं०√पूष् (बढ़ना)+क] १. शहतूत का पेड़। २. पौष मास। | 
			
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				| पूषक					 : | पुं० [सं०√पूष+ण्वुल्—अक] १. शहतूत का पेड़ और उसका फल। | 
			
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				| पूषण					 : | पुं० [सं०√पूष्+कनिन्] १. सूर्य। २. बारह आदित्यों में से एक। (पुराण) ३. एक दैविक देवता। | 
			
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				| पूषदंतहार					 : | पुं० [सं० पूषन्-दन्त, ष० त०, पूषदन्त√हृ (हरण)+अच्] वीर भद्र। (जिसने दक्ष के यज्ञ के समय सूर्य का दाँत तोड़ा था)। | 
			
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				| पूषमित्र					 : | पुं० [सं०] गोभिल का एक नाम। | 
			
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				| पूषा					 : | स्त्री० [सं० पूष+टाप्] १. चन्द्रमा की तीसरी कन्या। २. हठयोग के अनुसार दाहिने कान की एक नाड़ी। | 
			
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				| पूषाकल्याणी					 : | स्त्री० [सं०] संगीत में, कर्नाटकी पद्धति की एक रागिनी। | 
			
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				| पूषात्मज					 : | पुं० [सं० पूषन्-आत्मज, ष० त०] १. मेघ। बादल। २. इंद्र। ३. कर्ण। | 
			
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