| शब्द का अर्थ | 
					
				| पेड़					 : | पुं० [प्रा० पेष्ठ=पिंड] १. वृक्ष। दरख्त। पुं० [सं० पिंड] आदि या मूल कारण। | 
			
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				| पेड़ना					 : | स०=पेरना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पेड़ा					 : | पुं० [सं० पिंड] १. खोए और चीनी खाँड़ से बनी हुई एक प्रसिद्ध गोलाकार चिपटी टिकिया के आकार की मिठाई। २. उक्त आकार या रूप में लाई हुई (गुँध हुए) आटे की लोई जिसे बेल कर पूरी रोटी आदि का रूप दिया जाता है। स्त्री० [सं०] बड़ा टोकरा या पिटारा। | 
			
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				| पेड़ार					 : | पुं० [सं० पिंड] एक प्रकार का वृक्ष।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पेड़ी					 : | स्त्री० [हिं० पेड़] १. छोटा पेड़ या पौधा। जैसे—नील की पेड़ी। २. पान का पुराना पौधा। ३. उक्त पौधे का पान। ४. मनुष्य का धड़। ६. प्रति पेड़ के हिसाब से लगनेवाला कर। ६. ऐसा खेत जिसमें ऊख की फसल कट चुकी हो और जिसे जोतकर गेहूँ आदि बोने के योग्य बनाया गया हो। | 
			
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				| पेड़ू					 : | पुं० [हिं० पेट] १. मनुष्य के शरीर में मूत्रेंद्रिय से ऊपर तथा नाभि से कुछ नीचे का स्थान। पेट के नीचे का अगला अंश या भाग। उपस्थ। २. गर्भाशय। पद—पेड़ू की आँच=(क) स्त्री के मन में होने-वाली काम-वासना। (ख) केवल कामुकता के कारण किसी पुरुष के साथ होनेवाली आसक्ति। | 
			
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