| शब्द का अर्थ | 
					
				| पेय					 : | वि० [सं०√पा (पीना)+यत्] जो पीया जा सके। पीये जाने के योग्य। पुं० १. कोई ऐसा स्वादिष्ट तरल पदार्थ जो पीने के काम में आता हो। पीये जाने के योग्य तरल पदार्थ। (ड्रिंक) जैसे—दूध, शरबत, शराब आदि। २. जल। पानी। ३. दूध। | 
			
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				| पेया					 : | स्त्री० [सं०] १. वैद्यक में चावलों की बनी हुई एक प्रकार की लपसी जो रोगियों को पथ्य के रूप में दी जाती थी। २. चावल की माँड़। पीच। ३. अदरक। आदी। ४. सोआ नामक साग। ५. सौंफ। ६. कोई पेय पदार्थ। जैसे—दूध, मद्य, शरबत आदि। | 
			
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				| पेयूष					 : | पुं० [सं०√पीय् (तृप्त करना)+ऊषन्] १. वह दूध जो गौ के बच्चा देने के सात दिन बाद तक निकलता है। उसका स्वाद अच्छा नहीं होता और पीने पर विकार उत्पन्न करता है। पेउस। २. ताजा घी या मक्खन। ३. अमृत। सुधा। | 
			
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