| शब्द का अर्थ | 
					
				| पोप					 : | पुं० [अं०] रोम के कथोलिक गिरजों का सर्वप्रधान आचार्य या धर्म गुरु। | 
			
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				| पोपटा					 : | पुं० [देश०] एक प्रकार का जंगली झाड़ी जिसे झड़बेरी या करौंदा भी कहते हैं। | 
			
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				| पोपला					 : | वि० [हिं० पुलपुला] [स्त्री० पोपली] १. जो अंदर से बिलकुल खाली होने के कारण ऊपर से पचक या दब गया हो। पिचका और सिकुड़ा हुआ। २. (मुँह) जिसके अंदर के दाँत टूट या निकल गये हों और इसी लिए अंदर से पोला हो गया हो। | 
			
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				| पोपलाना					 : | अ०, स०=पुपलाना। | 
			
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				| पोपली					 : | वि० स्त्री० ‘पोपला’ का स्त्रीलिंग रूप। स्त्री०= पुपली।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पोप-लीला					 : | स्त्री० [अं० पोप+सं० लीला] पोपों आदि धर्म-पुरोहितों के आडंबरपूर्ण कार्य। | 
			
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