| शब्द का अर्थ | 
					
				| पोला					 : | वि० [हिं० फूलना, या सं० पोल=फुलका] [स्त्री० पोली] १. जिसके अंदर कुछ न हो, खाली जगह या हवा ही हो। अंदर से खाली। खोखला। ‘ठोस’ का विपर्याय। जैसे-पोला छड़, पोली नली। २. जिसके नीचे का तल कड़ा या ठोस न हो। जिसके अंदर उचित या पूरा भराव न हो। जो कड़ा या ठोस न हो। जैसे—पोली जमीन। ३. जिसमें विशेष तत्त्व या सार न हो। निस्सार और इसी लिए प्रायः निरर्थक या रद्दी। थोथा। पुं० [देश०] एक प्रकार का छोटा पेड़ जिसकी छाल से रस्सी बनाई जाती है। इसकी लकड़ी साफ और नरम होती है। पुं०=पूला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| पोलाद					 : | पुं०=फौलाद। | 
			
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				| पोलारी					 : | स्त्री० [हिं० पोल] छेनी के आकार का एक छोटा औजार जिससे सुनार, कंगन, घुँघरु आदि के दाने बनाते हैं। | 
			
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				| पोलाव					 : | पुं०=पुलाव। | 
			
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