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			| शब्द का अर्थ |  
				| प्रकरी					 : | स्त्री० [सं० प्रकर+ङीष्] १. एक प्रकार का गान। २. नाटक में किसी स्थानिक घटना की अवांतर कथा की सहायता से कथा-वस्तु का प्रयोजन सिद्ध करना जो एक अर्थ प्रकृति है। ३. नाटक में, उन छोटी छोटी प्रासंगिक कथाओं में से कोई एक जो समय समय पर तथा बीच-बीच में आकर मुख्य कथा की सहायक बनकर समाप्त हो जाती है। जैसे—‘प्रसाद’ के चंद्रगुप्त नामक नाटक में चंद्रगुप्त और दंडायन का मिलन। प्रासंगिक कथाओं का एक अन्य भेद है—पताका। (दे०) |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
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