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			| शब्द का अर्थ |  
				| प्रकाशन					 : | वि० [सं० प्र√काश्+णिच्+ल्यु—अन] १. प्रकाश करनेवाला। २. चमकीला। ३. दीप्तिमान्। पुं० १. प्रकाश करने की क्रिया या भाव। २. प्रकाश में या सबके सामने लाने की क्रिया या भाव। ३. आज-कल मुख्य रूप से ग्रन्थ आदि छपवाकर बेचने तथा प्रचारित करने का व्यवसाय। ४. प्रकाशित की जानेवाली कोई पुस्तक। (पब्लिकेशन; अंतिम दोनों अर्थों के लिए)। ५. विष्णु। |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |  |