शब्द का अर्थ
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प्रक्षेप :
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पुं० [सं० प्र√क्षिप्+घञ्] १. आगे की ओर जोर से फेंकना। २. युद्ध में दूरवर्ती शत्रु पर कोई अस्त्र फेंकना। ३. छितराना। बिखेरना। वह जो फेंका या छितराया गया हो। ५. बढ़ाने के लिए इधर-उधर से लाकर कुछ मिलाना। ६. वह अंश जो उक्त प्रकार से मिलाया जाय। ७. वह पदार्थ जो औषध आदि के ऊपर से डाला या मिलाया जाय। ८. किसी कारोबार या व्यापार में लगा हुआ किसी हिस्सेदार का मूल धन। |
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समानार्थी शब्द-
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प्रक्षेपक :
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वि० [सं० प्र√क्षिप्+ण्वुल्—अक] प्रक्षेपण करनेवाला। पुं० १. वह यंत्र जिसके द्वारा किसी आकृति या चित्र का प्रतिबिंब सामनेवाले परदे पर डाला जाता है। (प्रोजेक्टर)। २. लिखाई में वह चिह्र जो इस बात का सूचक होता है कि इसके आगे का अंश मूल में नहीं है, बल्कि बाद में किसी ने क्षेपक के रूप में बढ़ाया है। |
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समानार्थी शब्द-
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प्रक्षेपण :
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पुं० [सं० प्र√क्षिप्+ल्युट—अन्] १. सामने की ओर कोई चीज फेकने की क्रिया या भाव। २. ऊपर से मिलाना। ३. जहाज आदि चलाना। ४. निश्चित करना। ५. साधारण सीमा या नियमित रेखा से आगे निकालना या बढ़ाना। ६. उक्त प्रकार से निकला या बढ़ा हुआ अंश (प्रोजेक्शन)। |
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प्रक्षेपणीय :
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वि० [सं० प्र√क्षिप्+अनीयर्] प्रक्षेपण के योग्य। |
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