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			| शब्द का अर्थ |  
				| प्रतितंत्र-सिद्धान्त					 : | पुं० [सं० ष० त०] ऐसा सिद्धांत जो कुछ शास्त्रों में हो तो और कुछ में न हो। जैसे—मीमांस में ‘शब्द’ को नित्य माना जाता है परन्तु न्याय में वह अनित्य माना जाता है; इसलिए यह प्रति-तंत्र सिद्धान्त है। |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |  |