| शब्द का अर्थ | 
					
				| प्रतिबिंब					 : | पुं० [सं० प्रा० स०] १. किसी पारदर्शक तल में किसी वस्तु की दिखलाई पड़नेवाली आकृति। परछाई। प्रतिच्छाया। जैसे—जल में दिखाई देनेवाला चंद्रमा का प्रतिबिंब, शीशे में दिखाई पड़नेवाला मुख का प्रतिबिम्ब। २. छाया। ३. मूर्ति। ४. चित्र। ५. शीशा। झलक। | 
			
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				| प्रतिबिंबक					 : | वि० [सं० प्रतिबिंब+कन्] परछाई के समान पीछे-पीछे चलनेवाला। पुं० अनुगामी। अनुचर। | 
			
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				| प्रतिबिंबन					 : | पुं० [सं० प्रतिबिंब+क्विप्+ल्युट्—अन] १. छाया या परछाईं डालना या पड़ना। २. अनुकरण। ३. तुलना। | 
			
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				| प्रतिबिंबना					 : | अ० [सं० प्रतिबिंबन] प्रतिबिंबित होना। स० प्रतिबिंबित करना। | 
			
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				| प्रतिबिंबवाद					 : | पुं० [सं० ष० त०] वेदांत का एक सिद्धान्त जिसमें यह माना जाता है कि जीव वास्तव में ईश्वर का प्रतिबिंब मात्र है। | 
			
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				| प्रतिबिंबवादी (दिन्)					 : | पुं० [सं० प्रतिबिंबवाद+इनि] प्रतिबिंबवाद का अनुयायी या समर्थक। | 
			
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				| प्रतिबिंबित					 : | भू० कृ० [सं० प्रतिबिंब+इतच्] १. जिसका प्रतिबिंब पड़ता हो। जिसकी परछाईं पड़ती हो। २. जो परछाईं के कारण दिखाई देता या होता हो। कुछ-कुछ या अस्पष्ट रूप से दिखाई देनेवाला। झलकता हुआ। | 
			
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